Recently updated on July 25th, 2024 at 12:42 pm
भ्रष्टाचार की जड़ें मजबूत भले ही हो पर उसे उखाड़ फेंकने का काम लगातार केंद्र की वर्तमान सरकार कर रही है। कोई भी पार्टी चाहे जितनी भी कोशिश अपने भ्रष्टाचार को दबाने के लिए क्यों न कर ले पर वो कहते हैं न कि झूठ की आयु ज्यादा दिन की नहीं होती है। आम आदमी पार्टी के दो नेता भ्रष्टाचार के मामले में जेल की सलाखों के पीछे हैं। पहले सत्येंद्र जैन तो अब मनीष सिसोदिया भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे हैं।
राजनीति में आरोप – प्रत्यारोप तो चलते ही रहते हैं लेकिन जिस प्रकार से भ्रष्टाचार के आरोप आम आदमी पार्टी और उनके कुछ नेताओं पर लगे हैं वो हमे सोचने पर मजबूर करते हैं कि क्या सच में ये वहीं पार्टी है जो खुद के सबसे ईमानदार होने का दावा करती है ? सवाल ये भी उठते हैं कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी भ्रष्टाचार के आरोपों पर इतनी बिलबिला गई है कि वो अब प्रधानमंत्री की डिग्री पर सवाल खड़े करने लगे हैं। ये तो हद है।
आपने कहावत तो सुनी ही होगी ” खिसयानी बिल्ली खम्भा नोंचे “। आम आदमी पार्टी ने पिछले कुछ दिनों में जिस प्रकार पीएम की शिक्षा पर सवाल खड़े किए हैं वो दिखाता है कि केजरीवाल एंड कंपनी अपने गलत कर्मों से दिल्ली और देश की जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है। पर वे इसमें भी सफल नहीं हो रहें क्योंकि पब्लिक सब जानती है। आप वाले भले ही दिल्ली में सड़क किनारे या फिर घर या बिल्डिंग पर पीएम को लेकर कोई भी पोस्टर क्यों न लगा लें पर जनता तो इनके कारनामों की अब पूरी फिल्म देख रही है। इनको लगता है कि पीएम की शिक्षा पर सवाल खड़े कर ये अपने मकसद में कामयाब हो जाएंगे।
मनीष सिसोदिया ने अब जेल के अंदर से ही चिट्ठी लिखी है। लोग पहले आशा कर रहे थे कि अगर सिसोदिया जेल के अंदर से कुछ लिखेंगे तो अच्छा लिखेंगे पर उन्होंने भी अपने बॉस अरविंद केजरीवाल की तरह ही वहीं कर दिया जिसका अंदेशा था। मनीष सिसोदिया ने भी पीएम को लेकर उसी शब्द का इस्तेमाल किया जो आजकल आप वाले कर रहें हैं। उन्होंने भी पीएम की शिक्षा पर सवाल खड़े किए हैं।
मनीष सिसोदिया अब ऐसा क्यों कर रहे हैं ये तो जग जाहिर है, जब चोर की चोरी पकड़ी जाती है तो वो बौखला ही जाता है। कुछ ऐसी ही हालत वर्तमान में मनीष सिसोदिया की और आम आदमी पार्टी की है। अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के एक बड़े दावे की हाल ही में पोल खुली है। दिल्ली के सरकारी स्कूलों के 9वीं और 11वीं कक्षा के 96 प्रतिशत बच्चे एग्जाम में फेल हो गए और दिल्ली सरकार दावा करती है कि देश में सबसे अच्छी पढ़ाई दिल्ली के स्कूलों में ही कराई जा रही है। शिक्षा के बेहतर मॉडल का दावा करने वाले केजरीवाल इस मामले पर चुप हैं। उनकी चुप्पी के भी मायने है। वे चुप हैं क्योकि वे जानते हैं कि उनका दावा फेल हो चुका है। अब ये लोग पीएम मोदी की डिग्री पर सवाल खड़े कर रहे हैं तो आप समझ ही सकते हैं कि ये क्या करने की कोशिश कर रहे हैं। आम आदमी पार्टी की बौखलाहट इसलिए भी है क्योकि आम आदमी पार्टी के दो सबसे भरोसेमंद मंत्री जेल की हवा खा रहे हैं। ऐसे में केजरीवाल और आम आदमी पार्टी की बौखलाहट देखने को तो मिलेगी ही।
आम आदमी पार्टी अब लगातार अपने भाषणों में पीएम की डिग्री का जिक्र छेड़ते नजर आते हैं। उनके पास ऐसा लगता है कि अब कोई मुद्दा ही नहीं रह गया है। राजनीति में आरोप – प्रत्यारोप लगाना कोई गलत बात नहीं पर इसकी भी एक मर्यादा होती है। ये केंद्रीय ऐजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप मोदी सरकार पर लगाते हैं और कहते हैं कि सरकार विपक्ष को समाप्त करना चाहती है। लेकिन सच तो ये है कि केंद्रीय एजेंसिया बस अपना काम कर रही है। 2014 से पहले जब कांग्रेस पार्टी केंद्र की सत्ता में थी तब भी कई दल यूपीए सरकार पर ईडी और सीबीआई के दुरुपयोग का आरोप लगाते थे। आम आदमी पार्टी भी उन्हीं दलों की तरह वर्तमान सरकार पर आरोप लगा रही है।
खैर जो भी हो पर ये तो स्पष्ट हो गया है कि आम आदमी पार्टी के कट्टर ईमानदार के दावे पूरी तरह झूठे हैं। ये ध्यान भटकाने में माहिर है पर जनता इनसे ज्यादा चालाक है। 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर ये पीएम पर और पीएम की शिक्षा पर सवाल खड़े कर रहे हैं पर इनकी ये कोशिश नाकाम ही नजर आती है। भ्रष्टाचार पर प्रहार ईडी और सीबीआई का काम है और अगर आम आदमी पार्टी या फिर किसी भी भ्रष्टाचार करने वाले को इसमें राजनीति या फिर बदले की भावना नजर आती है, तो इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है।