इंग्लैंड ने रविवार को पाकिस्तान को हराकर इस साल का टी20 विश्व कप अपने नाम कर लिया। ये दूसरी बार है जब इंग्लैंड ने टी20 विश्व का ट्रॉफी अपने नाम किया है। पहली बार 2010 में इंग्लैंड ने टी20 विश्व कप का फाइनल मैच जीता था। इंग्लैंड के इस जीत में कई बातें सीखने लायक है। भारत जैसी टीमें उनसे सबक लेकर बहुत कुछ सीख सकती है। हम इस आर्टिकल में यही जानेंगे कि आखिर वो कौन से चीज़ थी जिसने इंग्लैंड को यहां तक पहुंचाया। अन्य टीमों को क्या करना चाहिए था ?
इंग्लैंड की अप्रोच
इंग्लैंड ने इस पुरे टूर्नामेंट में बेखौफ रुख अपनाया है। निडर होकर क्रिकेट मैच को खेला। इस तरह की अप्रोच को इंग्लैंड ने शुरू से ही जारी रखा। पहले श्रीलंका को हराकर सेमीफाइनल का टिकट कटाया, फिर भारत को अंतिम-4 के मुकाबले में हराया और आखिर में मेलबर्न में मुश्किल में घिरे होने के बावजूद पाकिस्तान को हराकर जीत दर्ज की। इस पूरे टूर्नामेंट में इंग्लैंड की टीम का यही अंदाज देखने को मिला। पाकिस्तान के खिलाफ आखिरी मैच में भी जल्द ही 3 विकेट गिर गए थे लेकिन बटलर ने अपना तूफानी अंदाज पॉवरप्ले में जारी रखा जिसके कारण अंत में रन का दबाव देखने को नहीं मिला।
इंग्लैंड के पास यूटिलिटी प्लेयर्स की भरमार
किसी भी टीम के लिए यूटिलिटी प्लेयर का होना बहुत जरुरी होता है और इंग्लैंड की टीम के पास तो ऐसे खिलाड़ियों की भरमार है। यूटिलिटी प्लेयर वो होते हैं जो गेंदबाजी, बल्लेबाजी के साथ-साथ फील्डिंग भी जबरदस्त करते हैं। लगभग सभी टीमों के पास ऐसे प्लेयर होते हैं लेकिन जिस लेवल और मात्रा में खिलाड़ी इंग्लैंड के पास हैं वैसे इंडिया जैसे टीम के पास नहीं है। पूरे टूर्नामेंट में इंग्लैंड को इसका फायदा मिला। इस इंग्लैंड की टीम के पास लिविंगस्टोन के रूप में 7 नंबर पर भी बेहतरीन ऑल-राउंडर मौजूद था।
इंग्लैंड के पास गेंदबाजी में काफी विकल्प
गेंदबाजी में विदेशी टीमों ने अपना दबदबा बना कर रखा है। इंग्लैंड की टीम में ऐसे कई गेंदबाज भरे पड़ें है जो अच्छी गेंदबाजी कर सकते है। चोटिल होने से किसी गेंदबाज की कमी इंग्लैंड को ज्यादा महसूस नहीं हुई। इसी वजह से बटलर कभी भी इस बात को लेकर दबाव में नजर नहीं आए कि अगर एक गेंदबाज महंगा साबित हुआ तो किसे गेंद थमाए। इस टी20 विश्व कप से पहले रीस टॉप्ली, जो इस टूर्नामेंट से पहले टी20 में इंग्लैंड के सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज थे, चोटिल होकर बाहर हो गए। इसके बावजूद इंग्लैंड की गेंदबाजी कमजोर नजर नहीं आई। उसके 15 सदस्यीय स्क्वॉड में 10 ऐसे खिलाड़ी थे, जो टी20 फॉर्मेट के लिहाज से ठीक-ठाक गेंदबाजी करने वाले थे।