VVPAT : वीवीपैट पर्चियों की गिनती को लेकर कार्यकर्ता अरुण कुमार अग्रवाल की दायर याचिका पर न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने याचिका पर चुनाव आयोग और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने वीवीपैट पर्चियों से संबंधित एक मामले की सुनवाई की जिसमें वीवीपैट पर्चियों की पूरी गिनती की मांग की गई थी।
आपको बता दे की वीवीपैट एक स्वतंत्र वोट सत्यापन प्रणाली है जो मतदाता को यह देखने की अनुमति देता है कि उसका वोट सही तरीके से डाला गया है या नहीं। न्यायमूर्ति के द्वारा इस याचिका पर चुनाव आयोग और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया, जिसे सुनवाई 17 मई को तय किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई इस याचिका में कहा गया है कि यदि वीवीपैट पार्चियों का एक साथ सत्यापन किया जाता है। तब प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र में गिनती के लिए तैनात अधिकारी की सख्या अधिक करने होंगे और पूरा सत्यापन पांच से छह घंटे में किया जा सकता है।
आगे बताया गया की सरकार ने 24 लाख वीवीपैट खरीदे हैं, जिसमें लगभग पांच हजार करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। इसके बावजूद करीब 20 हजार वीवीपैट की पर्चियां ही सत्यापित हो सकती हैं। पिछले चुनाव से पहले आठ अप्रैल 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने प्रत्येक लोकसभा में वीवीपैट पर्चियों के माध्यम से गुजरने वाली ईवीएम की संख्या को एक से बढ़ाकर पांच करने का आदेश दिया था।