Vishwa Hindu Parishad: विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने रविवार को एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की, जिसमें सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के 30 सेवानिवृत्त जजों की उपस्थिति ने इसे विशेष रूप से महत्वपूर्ण बना दिया। इस बैठक में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई, जिनमें काशी के ज्ञानवापी और मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद, वक्फ संशोधन विधेयक, जबरन या लालच देकर धर्मपरिवर्तन और मंदिरों की सरकारी नियंत्रण से मुक्ति जैसे विषय शामिल थे। यह बैठक वीएचपी के विधि प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित की गई थी और इसे संघ परिवार के वैचारिक मुद्दों के संदर्भ में महत्वपूर्ण माना जा रहा है, जो वर्तमान में अदालतों में लंबित हैं।
बैठक का मुख्य उद्देश्य
विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष आलोक कुमार ने इस बैठक के उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए कहा कि इसका मुख्य उद्देश्य सेवानिवृत्त जजों और वीएचपी के बीच विचारों का आदान-प्रदान करना था, ताकि दोनों पक्ष एक-दूसरे के दृष्टिकोण को बेहतर ढंग से समझ सकें। काशी के ज्ञानवापी और मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद वर्तमान में अदालतों में लंबित हैं, और ऐसे में इन मुद्दों पर कानूनी दृष्टिकोण से चर्चा आवश्यक मानी जा रही है। संघ परिवार को अब यह महसूस हो रहा है कि आंदोलन के बजाय कानूनी रास्ता अधिक प्रभावी हो सकता है, जैसा कि अयोध्या विवाद में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद देखा गया था।
विधि प्रकोष्ठ की भूमिका | Vishwa Hindu Parishad
वीएचपी का विधि प्रकोष्ठ संघ परिवार के विभिन्न वैचारिक मुद्दों को कानूनी रूप से सुलझाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इस बैठक में वक्फ संशोधन विधेयक और मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने के मुद्दों पर विशेष रूप से चर्चा की गई। वक्फ संशोधन विधेयक को फिलहाल संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजा गया है, क्योंकि संसद के पिछले सत्र में इसे पेश करने के बाद विपक्ष और एनडीए के कुछ सहयोगियों द्वारा इस पर आपत्ति जताई गई थी। इसके अलावा, धर्मांतरण-विरोधी कानून, जो बीजेपी शासित राज्यों में लागू किए गए हैं, भी न्यायिक समीक्षा के दायरे में आ चुके हैं।
वीएचपी के प्रवक्ता विनोद बंसल के अनुसार, इस बैठक में राष्ट्रवाद, हिंदुत्व, मंदिरों की मुक्ति, धर्मांतरण, गोहत्या और वक्फ बोर्ड पर विस्तार से चर्चा की गई। उन्होंने इसे विचारों के आदान-प्रदान का एक मंच बताया, जहां विभिन्न मुद्दों पर खुली चर्चा की गई।
सेवानिवृत्त जजों की भागीदारी
सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जजों की इस बैठक में भागीदारी संघ परिवार के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण रही। इसमें शामिल जजों का अनुभव और उनकी कानूनी समझ संघ परिवार के उन मुद्दों पर नई दृष्टिकोण प्रदान कर सकती है, जो वर्तमान में अदालतों में लंबित हैं। मथुरा और काशी विवाद के अलावा, धर्मांतरण और मंदिरों की मुक्ति जैसे मुद्दे भी इसमें प्रमुखता से उठाए गए।
इससे यह स्पष्ट होता है कि वीएचपी और संघ परिवार अब न्यायिक मार्ग को प्राथमिकता दे रहे हैं, ताकि उनके वैचारिक मुद्दों का समाधान कानूनी रूप से हो सके। अयोध्या विवाद में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद संघ परिवार को महसूस हुआ कि कानूनी प्रक्रिया आंदोलन की तुलना में अधिक प्रभावी हो सकती है, और यही कारण है कि वे अब न्यायपालिका के माध्यम से इन मुद्दों को सुलझाने पर जोर दे रहे हैं।
केंद्रीय कानून मंत्री की उपस्थिति
इस बैठक में केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी उपस्थित थे, जिनकी उपस्थिति ने इसे और भी महत्वपूर्ण बना दिया। मेघवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म “एक्स” पर इस बैठक की तस्वीरें साझा कीं और इसे एक महत्वपूर्ण विचार-विमर्श का हिस्सा बताया। उन्होंने लिखा, “आज विश्व हिंदू परिषद के विधि प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित जजों की बैठक में सहभागिता करके विकसित भारत के निर्माण से संबंधित न्यायिक सुधारों पर विस्तृत संवाद किया। इस अवसर पर सेवानिवृत्त न्यायाधीश, अन्य न्यायविद, वरिष्ठ वकील और प्रबुद्धजन उपस्थित रहे।”
कानूनी और सामाजिक मुद्दों पर ध्यान
इस बैठक में जिन प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की गई, उनमें मंदिरों की सरकारी नियंत्रण से मुक्ति, धर्मांतरण, वक्फ बोर्ड के संशोधन, और राष्ट्रवाद और हिंदुत्व पर चर्चा शामिल है। वीएचपी के अध्यक्ष आलोक कुमार ने इसे समाज के सामने मौजूद सामूहिक मुद्दों पर चर्चा का एक अवसर बताया, जिसमें सेवानिवृत्त जजों और वीएचपी के बीच मुक्त विचार-विमर्श हुआ।
धर्मांतरण के मुद्दे पर चर्चा करते हुए, यह कहा गया कि जबरन या लालच देकर धर्मांतरण एक गंभीर समस्या है, जिसे कानूनी और सामाजिक स्तर पर सुलझाने की आवश्यकता है। विभिन्न राज्यों में धर्मांतरण-विरोधी कानून लागू किए गए हैं, लेकिन इन कानूनों की न्यायिक समीक्षा भी आवश्यक हो गई है।
वक्फ संशोधन विधेयक और मंदिरों की मुक्ति
वक्फ संशोधन विधेयक पर चर्चा करते हुए, वीएचपी ने इसे एक महत्वपूर्ण मुद्दा बताया, जो वर्तमान में संसद की संयुक्त संसदीय समिति के विचाराधीन है। इस विधेयक के माध्यम से वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और निगरानी में सुधार लाने की योजना है। वहीं, मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने का मुद्दा भी बैठक में प्रमुखता से उठाया गया। वीएचपी का मानना है कि मंदिरों का प्रबंधन समाज के हाथों में होना चाहिए, न कि सरकार के।
कुल मिलाकर, इस बैठक में शामिल जजों और वीएचपी के पदाधिकारियों के बीच कानूनी और सामाजिक मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श हुआ। बैठक का मुख्य उद्देश्य उन मुद्दों पर चर्चा करना था, जो हिंदू समाज के लिए महत्वपूर्ण हैं और वर्तमान में अदालतों में लंबित हैं।
विश्व हिंदू परिषद की इस महत्वपूर्ण बैठक ने यह स्पष्ट किया कि संघ परिवार अब आंदोलन के बजाय कानूनी मार्ग पर जोर दे रहा है। अयोध्या विवाद में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद, वीएचपी और संघ परिवार ने महसूस किया है कि न्यायिक मार्ग अधिक प्रभावी हो सकता है। काशी और मथुरा विवाद जैसे मुद्दों पर कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से समाधान प्राप्त करना संघ परिवार की प्राथमिकता बन गई है। इसके अलावा, वक्फ संशोधन विधेयक, मंदिरों की मुक्ति और धर्मांतरण जैसे मुद्दों पर भी बैठक में गंभीर चर्चा की गई।