Home अपराध कानून महिला के नहाते हुए बाथरूम में झांकना निजता का उल्लंघन: दिल्ली HC

महिला के नहाते हुए बाथरूम में झांकना निजता का उल्लंघन: दिल्ली HC

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गुरुवार को एक मामले पर सुनवाई करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि बाथरूम का उपयोग करना भले ही वह बिना दरवाजे वाला सार्वजनिक हो और केवल पर्दे हों, फिर भी ये एक निजी कार्य है। इसलिए जब कोई पुरुष ऐसे बाथरूम में झांकता है, जब महिलाएं स्नान कर रही होती हैं, तो यह भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354सी के तहत दृश्यरतिक व्यवहार का अपराध होगा।

2014 का है मामला

बता दें कि इस मामले में आरोपी आईपीसी की धारा 354सी और 2012 के 12 यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत आरोप के लिए अपनी सजा की अपील कर रहा था। आरोपी को एक वर्ष का कठोर कारावास व 20 हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई गई है। मूल शिकायत 2014 में एक किशोर लड़की द्वारा की गई थी जिसने कहा था कि आरोपी उसे यौन इरादे से घूरता था और जब भी वह स्नान करने जाती थी तो हमेशा बाथरूम के बाहर खड़ा रहता था और झूठे बहाने से अंदर झांकता था। इसके अलावा दावा किया गया कि प्रतिवादी ने पहले उसके खिलाफ अपमानजनक बातें कही और इशारे किए थे।

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वहीं इस मामले को लेकर अभियुक्त का तर्क था कि स्नान सार्वजनिक स्नानघर में किया जा रहा था और इसकी तुलना पवित्र नदियों, वाटर पार्कों, स्विमिंग पूल या झीलों में स्नान करने से की जा सकती है।

अदालत ने कहा कि सिर्फ इसलिए कि सार्वजनिक बाथरूम में बिना दरवाजे के लेकिन केवल पर्दे के साथ स्नान किया जा रहा है, यह सार्वजनिक कार्य नहीं है बल्कि यह निजी कार्य है और अभियुक्त का ऐसा दावा पूरी तरह से आधारहीन है कि यह नदी या सरोवर में स्नान करने के समान है। न्यायमूर्ति शर्मा ने कहा कि धार्मिक स्थलों पर पवित्र स्नान करने की तुलना एक बंद बाथरूम से नहीं की जा सकती है जहां एक महिला स्नान कर रही है। हालांकि, सार्वजनिक खुले स्थान पर नहाने के मामले में भी ‘उचित अपेक्षा’ की जाएगी कि ऐसी महिलाओं की तस्वीरें या वीडियो न ली जाएं और न ही प्रसारित की जाएं, कोर्ट ने कहा।

इसलिए अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि अभियुक्त ने तांक-झांक कर पीड़िता की निजता का उल्लंघन किया है। अदालत ने अभियुक्त की एक साल की सजा भी बरकरार रखी है, हालांकि POCSO कानून के आरोपों से राहत दे दी है। क्योंकि शिकायतकर्ता यह साबित करने में विफल रही कि अपराध करने के समय उसकी उम्र 18 वर्ष से कम थी ।

भारतीय दंड संहिता की धारा 354सी के तहत दृश्यरतिक का अपराध क्या है?

2013 के संशोधन के बाद IPC में धारा 354C जोड़ी गई है, जो महिला की तांक झांक से संबंधित। यह धारा कहती है कि जब कोई पुरुष किसी निजी कार्य में संलग्न महिला को देखता है, या उसकी छवि बनाता है, तो ये अपराध की श्रेणी में आता है। धारा 354-सी के तहत अपराध सिद्ध होने पर पहली बार दोषी पाये जाने पर एक से तीन वर्ष साल की जेल और दूसरी बार दोषी पाये जाने पर सात साल की जेल और जुर्माने का दंड दिया जाता है। यह अपराध भी समझौता करने योग्य नहीं है।

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