Thursday, November 21, 2024
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आखिर क्यों किसानों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को डाक के जरिए भेजी प्याज? यहां जानिए पूरा मामला…

महाराष्ट्र के अहमदनगर से एक अजब-गजब खबर सामने आई है। यहां किसानों के एक समूह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को डाक के जरिए प्याज भेजी है। जी हां, प्याज। ऐसा क्यों किया गया, आइए इस लेख में आपको इसके बताते हैं…

प्याज उत्पादक किसान परेशान

पूरा मामला कुछ यूं हैं कि महाराष्ट्र के प्याज उत्पादक किसान परेशान हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें अपनी फसल का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है। किसानों को प्याज औने-पौने दाम पर बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है। इसका विरोध जताने के लिए वो तरह-तरह के तरीके अपना रहे हैं।

किसानों की मांग

यही कारण हैं कि अहमदनगर के किसान संगठन ने पीएम नरेंद्र मोदी को डाक के जरिए भेंट के रूप में प्याज भेजी है। इस दौरान किसान समूह के द्वारा प्याज के घटने दाम से राहत दिलाने और निर्यात पर रोक हटाने की मांग भी की। एक किसान कहते हैं- “हमारी मांग ये है कि केंद्र सरकार प्याज एवं अन्य कृषि उत्पादनों के निर्यात पर तत्काल रोक हटाएं, जिससे किसानों के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार खुलने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही हम पिछले साल अपनी उपज बेचने वाले किसानों के लिए मुआवजे के तौर पर 1,000 रुपये प्रति क्विंटल की भी मांग करते हैं।“

इस दौरान उन्होंने ये भी दावा किया कि लागत मूल्य बहुत अधिक थी। वैश्विक बाजार दरों के अनुसार किसान उर्वरक, कीटनाशक, पेट्रोल और डीजल के लिए भुगतान करते हैं, लेकिन जब उपज बेचने की बारी आती है, तो उन्हें इसे भारतीय कीमतों के हिसाब से बेचना पड़ता है।

किसानों की हालत

मौजूदा समय में किसानों की हालत कैसी है, इसके कुछ उदाहरण हम आपको देते हैं। पिछले दिनों महाराष्ट्र का ही एक मामला सामने आया था। यहां एक किसान ने सोलापुर मंडी में 512 किलो प्याज बेची थी और जानते हैं उनको कमाई कितनी हुई? केवल दो रूपये। हैरानी की बात तो ये है कि ये रकम भी उन्हें चेक के जरिए दी गई थी, जो करीब 15 दिनों में खाते में आई।

आलम तो ये है कि किसान इस कदर परेशान हो गए कि वो प्याज की होली तक जला रहे हैं। एक किसान ने डेढ़ एकड़ में लगी प्याज की फसल की होली जलाई। किसानों का ऐसा मानना है कि खेत से प्याज निकालकर मंडी तक ले जाने से उन्हें कोई लाभ नहीं होगा। हालात ऐसे हैं कि किसानों को अपनी प्याज एक रुपये से लेकर छह रुपये तक में बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है।

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