आईसीआईसीआई बैंक धोखाधड़ी मामले में वीडियोकॉन के मालिक वेणुगोपाल धूत को गिरफ्तार कर लिया गया है। दरअसल, वेणुगोपाल धूत के ऊपर सीबीआई ने 3,250 करोड़ रुपये का लोन पास करने का आरोप लगाया है। वेणुगोपाल धूत वीडियोकॉन ग्रुप ऑफ कंपनीज को नियमों को दरकिनार करते हुए पहले कर्ज बांटा और बाद में उसे NPA में डाल दिया। इस धोखाधड़ी की जानकारी जांच एजेंसी से जुड़े लोगों ने दी है। जांच एजेंसी इस मामले में आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व एमडी चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। वे फिलहाल तीन दिनों की सीबीआई रिमांड पर हैं। CBI ने यह भी आरोप लगाया कि जब चंदा कोचर ने वीडियोकॉन ग्रुप की कंपनियों का 3,250 करोड़ रुपये का लोन पास किया तो उनके पति दीपक कोचर की कंपनी को वीडियोकॉन से एक मुआवजे के हिस्से के रूप में निवेश भी मिला था।
क्या है पूरा मामला
चंदा कोचर, उनके पति और वीडियोकॉन ग्रुप के प्रमोटर वेणुगोपाल धूत को सीबीआई ने भ्रष्टाचार और आपराधिक साजिश मामले में आरोपी बनाया है। दरअसल, 2019 में CBI ने वीडियोकॉन (Videocon)इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, न्यूपॉवर रिन्यूएबल्स प्राइवेट लिमिटेड, वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड, सुप्रीम एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड जैसी कंपनियों के नाम के अलावा कोचर दंपति और वेनुगोपाल धूत को भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया था। CBI ने दावा किया था कि वीडियोकॉन समूह को 2012 में ICICI बैंक से 3,250 करोड़ रुपये का लोन मिलने के बाद, धूत ने कथित तौर पर 64 करोड़ रुपये नूपावर रिन्यूएबल्स को ट्रांसफर कर दिए, जहां दीपक कोचर की 50 फीसदी हिस्सेदारी थी।
चंदा कोचर ने वीडियोकॉन ग्रुप की कंपनियों के लिए क्रेडिट लिमिट तय की थी। CBI की चार्जशीट में कहा गया है कि उस वक्त बैंक की प्रमुख रहते हुए चंदा कोचर ने वीडियोकॉन ग्रुप को नियमों को दरकिनार करते हुए लोन बांटा, और बाद में उसे एनपीए घोषित कर दिया गया, जिससे बैंक को नुकसान हुआ और उधार लेने वालों को फायदा हुआ। जांच एजेंसी ने यह भी आरोप लगाया था कि चंदा कोचर के पति दीपक कोचर को एक आरोपी ने नूपावर रिन्यूएबल्स लिमिटेड (NRL) का स्वामित्व हासिल करने और अवैध धन प्राप्त करने में मदद की थी।
1,875 रुपये के छह लोन दिए
सीबीआई ने आरोप लगाया कि 2009 और 2011 के बीच कोचर के कार्यकाल के दौरान आईसीआईसीआई बैंक ने वीडियोकॉन ग्रुप और उससे जुड़ी फर्मों को 1,875 रुपये के छह ऋण वितरित किए। प्राथमिकी में कहा गया है कि चंदा कोचर 300 करोड़ रुपये और 750 करोड़ रुपये के दो मामलों में ऋण स्वीकृत करने वाली समितियों में थीं।
सितंबर 2009 में 300 करोड़ रुपये के ऋण के एक दिन बाद धूत ने नूपावर को 64 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए। चंदा कोचर ने मई 2009 में आईसीआईसीआई बैंक के एमडी और सीईओ के रूप में कार्यभार संभाला था। यह भी आरोप लगाया गया है कि इनमें से अधिकांश ऋण गैर-निष्पादित एसेट में बदल गए।