Chakla Belan Vastu Rules: हिन्दू धार्मिक मान्यता के अनुसार रसोई घर में माता अन्नपूर्णा का वास होता हैं जो माता लक्ष्मी (Mata Lakshmi) का दूसरा रूप होती है। वास्तु शास्त्र के मुताबिक प्रत्येक घर की पहचान उसके रसोई घर से होती है। रसोई घर में मौजूद हर एक चीज का अपना अलग महत्व होता हैं। रसोई में चकला और बेलन का भी अपना महत्व है। ज्योतिष शास्त्र कहती है कि चकला-बेलन का इस्तेमाल करते समय विभिन्न सावधानियों को अपनाना चाहिए। नहीं तो इनका दुष्प्रभाव भी होता है। आज हम आपको इस आर्टिकल में चकला-बेलन (Chakla Belan Vastu Rules) से जुड़े वास्तु शास्त्र के बारे में बताएंगे।
चकला-बेलन से जुड़े वास्तु टिप्स
- वास्तु शास्त्र के मुताबिक गुरुवार या फिर बुधवार के दिन ही लकड़ी का चकला-बेलन (Chakla Belan Vastu Rules) खरीदना चाहिए। इस दिन इन्हें घर लाना शुभ होता हैं। जबकि शनिवार और मंगलवार के दिन गलती से भी लकड़ी से बना चकला-बेलन नहीं खरीदना चाहिए।
- जल्दबाजी में कभी भी चकला-बेलन नहीं खरीदना चाहिए। बल्कि इसे हमेशा देखभाल के ही खरीदे।
- हमेशा ऐसा चकला-बेलन (Chakla Belan Vastu Rules) खरीदे जो कहीं से भी ऊंचा नीचा नहीं हो।
- वास्तु शास्त्र के मुताबिक चकला-बेलन को इस्तेमाल करने के तुरंत बाद उसे धोएं और सुखा कर अपनी जगह पर रख दें। खाना बनाने के बाद इसे गंदा छोड़ने से घर-परिवार में वास्तु दोष बढ़ता है। साथ ही माता अन्नपूर्णा भी रुष्ठ हो जाती हैं।
- इसके अलावा अगर रोटी बनाते समय चकला-बेलन (Chakla Belan Vastu Rules) में से आवाज आती हैं तो उससे भी वास्तु दोष उत्पन्न होता है। साथ ही गृह क्लेश और धन हानि का भी खतरा मंडराता रहता है।
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