Urban Crops give higher Yields than Traditional Farms : देश में शहरों की संख्या और उसका आकार बढ़ने से खेती वाली जगह पर दबाव बढ़ रहा है। जिसके बाद कुछ लोग शहरों के अंदर व अपने घर की लंबी ऊंची इमारतों में ही व्यवस्थित तरीके से खेती करने लगे हैं। बता दें कि अब एक नए अध्ययन में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि खीरा, आलू, लेट्यूस जैसी कई फसलें ग्रामीण खेती की तुलना में शहरों में चार गुना ज्यादा उपज देती हैं।
कई मामलों में है शहरी खेती बेहतर
शोध में पाया गया है कि कुछ तरह की फसलें कुछ तरीकों से उगाने के लिए ज्यादा उपयुक्त होती हैं। जैसे टमाटर और पत्तेदार हरी सब्जियां, हाइड्रोपोनिक वातावरण में ज्यादा उपज वाली साबित हुई हैं, जहां मिट्टी की जगह पानी का इस्तेमाल ज्यादा होता है। इसके अलावा ये बात भी सामने आई है कि ल्यूटेस, काले और ब्रोकली जैसी फसलें प्राकृतिक रूप से पैदा करने के लिए ज्यादा अच्छी होती हैं।
शहरी खेती का खर्च कम है ग्रामीण खेती के मुकाबले
अध्ययन में साफ तौर पर पाया गया कि घर के अंदर और घर के बाहर के हरित इलाकों की पैदावार में बहुत कम अंतर होता है। इसी के साथ विभिन्न फसलों में अलग-अलग स्थानों की उपयुक्तता में अहम अंतर होता है। जैसे सेब के पेड़, उच्च पैदावार वाले चैंबर में नहीं उग सकते लेकिन गेंहू की फसल ऐसी में अच्छी उगती है। इसके अलावा शहरी खेती का खर्च ग्रामीण खेती के मुकाबले कम होता है।
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