UGC: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने देश की सभी यूनिवर्सिटीज को ऑनलाइन, ऑफलाइन या हाइब्रिड तीनों में से किसी भी मोड में स्किल बेस्ड कोर्सेज शुरू करने की मंजूरी दी है। असेसमेंट (मूल्यांकन) की प्रक्रिया में कोई डिलाई न हो, इसके लिए भी कड़े दिशा-निर्देश जारी किए गए है। इंडस्ट्री के साथ मिलकर शुरू किए जाने वाले कोर्सेज में असेसमेंट की प्रक्रिया यूनिवर्सिटी और इंडस्ट्री को संयुक्त रूप से पूरा करना होगा। छात्रों की प्लेसमेंट में मदद के लिए भी यूनिवर्सिटी को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी।
अपनी पसंद के हिसाब से विकल्प चुनने की होगी आजादी
यूजीसी के अध्यक्ष प्रो. एम. जगदीश कुमार का कहना है कि स्किल कोर्सेज को ऑनलाइन, फिजिकल या हाइब्रिड मोड में चलाने की मंजूरी से छात्रों के पास अपनी पसंद के हिसाब से विकल्प चुनने की आजादी होगी। पढ़ाई के साथ- साथ अब सभी छात्रों को स्किल डिवेलपमेंट पर ध्यान देना ही होगा, ताकि पढ़ाई पूरी करने के साथ ही वह आसानी से जॉब पा सके या खुद का बिजनेस शुरू कर सकें।
प्रो. कुमार का कहना है कि इंडस्ट्री के साथ मिलकर चलाए जाने वाले कोर्सेज की असेसमेंट प्रक्रिया में इंडस्ट्री के भी प्रफेशनल्स शामिल होगे। इससे छात्रों का मूल्यांकन इंडस्ट्री की मांग को ध्यान में रखकर भी किया जा सकेगा। स्किल कोर्सेज का उद्देश्य छात्रों को नौकरी के लिए जरूरी कौशल प्रदान करना, रोजगार क्षमता को बढ़ाना और तेजी से विकसित हो रही भारत की वर्कफोर्स को मजबूत करना है।
हाइब्रिड मोड में चलाए जाएंगे क्लास
हाइब्रिड मोड में चलाए जाने वाले कोर्सेज में ऑनलाइन और फिजिकल दोनों तरह की क्लासेज होगी। शार्ट टर्म कोर्सेज भी होंगे, जिनकी अवधि तीन से छह महीने के बीच होगी। यूजीसी के मुताबिक ऑनलाइन असेसमेंट का विकल्प दिया जा सकता है, लेकिन इसमें किसी तरह की गड़बड़ी की गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। वहीं, पैक्टिकल मूल्यांकन की प्रक्रिया जैसे इंटर्नशिप, ऑन द जॉब ट्रेनिंग, प्रोजेक्ट्स में भी इंडस्ट्री की भागीदारी जरूरी होगी ताकि पढ़ाई पूरी करने के बाद छात्र रोजगार पाने के लिए पूरी तरह से तैयार हो सकें। स्किल यूनिवर्सिटीज अपने यहां चलाए जाने वाले कोर्सेज में स्किल कंपोनेंट को 60 से 70% तक रख सकती है, वहीं दूसरी यूनिवर्सिटी में यह 50% तक रहेगा।
स्किल बेस्ड कोर्सेज का होगा विकल्प
यूजीसी ने स्किल बेस्ड कोर्सेज को लेकर यूनिवर्सिटीज को तमाम तरह के विकल्प दिए है। यानी, यूनिवर्सिटी की भी जिम्मेदारी है कि वह अपने छात्रों को रोजगार दिलाने में मदद करें। केवल कोर्स शुरू करने भर से काम नहीं चलेगा, पहली बात तो यह है कि इंडस्ट्री के साथ मिलकर क्वॉलिटी कोर्स ही चलाया जाए। असेसमेंट ऐसा हो कि इइंडस्ट्री कैंपस से ही छात्रों को चुन ले। जो छात्र अपना बिजनेस करना चाहे, उनको एलुमनी नेटवर्क के जरिए मदद दिलवाई जाए। यूजीसी ने तो यहा तक कहा है कि जिन छात्रो को जॉब नहीं मिल पाती है, उनकी भी मदद हो और इंटरव्यू की भी तैयारी की जाए।
यूजीसी ने गाइडलाइंस में कहा है कि यूनिवर्सिटी में करियर काउंसलिंग सेल हो, प्लेसमेंट सपोर्ट टीम हो, करियर कोचिंग सेशन आयोजित किए जाएं, जॉब फेयर हो। साथ ही एलुमनी नेटवर्क को भी मजबूत करना होगा और मेंटरशिप स्कीम को बढ़ावा देना जरूरी है। पुराने छात्र अपने साथियों को करियर सलाह दे सकेंगे।
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