विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी UGC ने विनिमय 2025 का ड्राफ्ट जारी कर दिया है जिसके तहत कई बदलाव होने हैं। इसी क्रम में अब यूजीसी ने प्रोफेसर बनने को लेकर विषय की बाध्यता हटा दी है। मतलब ये कि आप जिस विषय में पीएचडी या यूजीसी नेट सफल होंगे उसी विषय में असिस्टेंट प्रोफेसर बन सकते हैं। मालूम हो कि नई शिक्षा नीति के अनुरूप विवि अनुदान आयोग (यूजीसी) नियमों में बदलाव कर रहा है, जो अगले शैक्षिक वर्ष से लागू होंगे।
नई शिक्षा नीति के तरह ड्रॉफ्ट जारी
पहले शिक्षक बनने के लिए एक ही विषय में स्नातक (यूजी), पीजी और पीएचडी होना जरूरी था। अब नई शिक्षा नीति के तरह ड्रॉफ्ट जारी किया गया है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) अपने रेग्यूलेशन 2018 में संशोधन की तैयारी कर रहा है। उसकी जगह यूजीसी रेग्यूलेशन 2024 आएगा। इससे यूजीसी के मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षक बनने की प्रक्रिया में बड़ा बदलाव होगा।
इतना ही नहीं, ड्राफ्ट गाइडलाइन के अनुसार किसी भी उच्च शिक्षा संस्थान में 10 साल का अनुभव रखने वाले भी यूनिवर्सिटी में वाइस चांसलर बन सकेंगे। इसके अलावा उच्चा शिक्षा में प्रोफेसर, रिसर्च सेक्टर में अकादमिक प्रशासन का अनुभव रखने वाले भी कुलपित बन सकेंगे।
बहु-विषयक प्रणाली को मिलेगा बढ़ावा
बता दें कि यह प्रावधान एनइपी 2020 के अंतर्गत विश्वविद्यालय परिसरों में बहु-विषयक प्रणाली को बढ़ावा देगा। 2018 के विनियमों में एपीआइ प्रणाली ने शिक्षकों के प्रदर्शन को मात्रात्मक रूप से आंका गया है, लेकिन 2025 के विनियम में एपीआइ-आधारित मूल्यांकन को खत्म कर, चयन समितियों को संपूर्ण और गुणात्मक दृष्टिकोण अपनाने की अनुमति दी गयी है।
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