Recently updated on July 25th, 2024 at 12:41 pm
सनातन धर्म को लेकर जिस प्रकार की बयानबाजी विपक्षी पार्टियों के कुछ नेता कर रहे हैं वह सच में शर्मनाक है। तमिलनाडु के एक मंत्री द्वारा सनातन की तुलना डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारी से करना और फिर उसी पार्टी के एक नेता द्वारा यह कहना कि डेंगू और मलेरिया तो कम है सनातन की तुलना एड्स से की जानी चाहिए यह उससे भी ज्यादा शर्मनाक है। लेकिन आपको यह समझना होगा कि यह बयान विपक्ष की मानसिकता को दर्शाता है। इंडिया अलायंस में शामिल डीएमके के दो नेताओं द्वारा सनातन को समाप्त करने की बात पर इंडिया एलायंस की मुख्य पार्टी कांग्रेस का चुप रहना काफी कुछ कहता है। सनातन धर्म को लेकर जो विवाद चल रहा है उसमें इंडिया एलायंस में शामिल राजनीतिक पार्टियों अपना बचाव करके चल रही है। विपक्षी पार्टियां डीएमके के नेता के बयान की आलोचना खुले तौर पर नहीं कर रही हैं बल्कि एक तरह से उनके बयान से ऐसा लगता है कि वें वोट बैंक की राजनीति से बंधे हुए हैं। उनकी मजबूरी क्या है आप समझ सकते हैं। दरअसल, वे सोच रहे हैं कि अगर उन्होंने डीएम के नेता द्वारा जो बयान दिया है उसे बारे में अगर उसकी आलोचना की तो इंडिया एलाइंस जो की 2024 में मोदी सरकार से मुकाबला करने के लिए बनाया जा रहा है वह बनने से पहले ही बिखर जाएगा। यह सवाल यहां पर काफी जरूरी है कि क्या विपक्षी पार्टियों में जो नेता है वह अपने धर्म से भी समझौता करने को तैयार हो गए हैं ? क्या वे भूल गए हैं कि उनके धर्म पर अगर कोई आपत्तिजनक टिप्पणी करता है तो उन्हें इसका जवाब देना चाहिए। सनातन के मुद्दे पर विपक्षी पार्टियों का चुप रहना यह साफ दिखता है कि इन्हें अपने कुर्सी और वोट बैंक से आगे और कुछ नहीं दिखता चाहे वह धर्म ही क्यों ना हो।
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सनातन धर्म को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियों का दौरा देखने को मिल रहा है। इसमें डीएम के मुख्य तौर पर नजर आ रही है तो वही कुछ अन्य पार्टियों के नेता भी आए दिन सनातन धर्म पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने से बाज नहीं आते हैं। हालांकि केंद्र में बैठी भाजपा ने इस पर पलटवार करते हुए डीएमके और ऐसे दलों को करारा जवाब दिया है जो सनातन धर्म और सनातन संस्कृति पर सवाल खड़े कर रहे हैं। जो लोग इस समय सनातन धर्म को मिटाने और सनातन धर्म के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी कर रहे हैं उन्हें सनातन के बारे में कुछ पता ही नहीं है। वें सिर्फ किताबें पढ़कर एक धर्म के बारे में अपनी राय बना रहे हैं जो सरासर गलत है। सनातन सत्य है और सनातन करोड़ों साल पुराना है। जब पूरी दुनिया में कुछ नहीं था तो केवल सनातन था। सनातन धर्म सबसे पुराना है और इसी ने दुनिया को चलने की राह भी दिखाई है। सनातन धर्म सत्य है और जीवन जीने का मार्ग भी। मगर 2024 का लोकसभा चुनाव नजदीक होने के कारण ऐसा लगता है कि राजनीतिक पार्टियों खासतौर पर विपक्षी पार्टियों सनातन पर हमलावर इसलिए हो गई हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि ऐसे बयानों से उनका वोट बैंक बढ़ेगा। वह एक तबके को नीचा दिखाकर दूसरे तबके को खुश करना चाहते हैं लेकिन देश की जनता इतनी भी बेवकूफ नहीं है। वह जानती है कि चुनाव के समय ऐसे बयानों का क्या मतलब होता है। सोचिए अगर किसी दूसरे धर्म पर इस तरह की कोई टिप्पणी होती तो बवाल मच जाता और धर्मनिर्पेक्षता खतरें में आ जाती लेकिन सनातन के मामले में सबके मुंह में दही जम गई है। लेकिन सनातन धर्म को लेकर जिस प्रकार की टिप्पणी विपक्षी पार्टी के कुछ नेताओं ने की है उसे पर सब चुप हैं। तथाकथित सेकुलर लोगों के मुंह में ताला लग गया है क्योंकि वें जानते हैं कि अगर उन्होंने इस बारे में बोला तो उनकी फैन फॉलोइंग, उनके वोट बैंक और उनके चाहने वाले उनसे नाराज हो जाएंगे।
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कई पत्रकार, कई विपक्षी नेता जो अपनी बेबाक बोली के लिए जाने जाते हैं वें सनातन के अपमान पर चुप हैं। उन्हें इस बारे में कुछ नहीं कहना है। लेकिन अगर यही किसी दूसरे धर्म पर टिप्पणी हुई होत तो तो यह सांप की तरह बिल से बाहर निकल आते हैं क्योंकि इन्हें वहां अपना फायदा दिखता है। लेकिन जहां बात सनातन की हो और दूसरे के आस्था की हो वहां ये सेकुलर गैंग चुप रहता हैं क्योंकि इन्हें इसी में फायदा दिखता है। लेकिन सनातन पर सवाल उठाने वालों को इतिहास का पन्ना भी पलटना चाहिए। सनातन को मिटाने की कोशिश मुगलों से लेकर कई विदेशी आक्रमणकारियों ने की लेकिन सनातन नहीं मिटा और ना ही कभी मिटेगा। सनातन को मिटाने वाले खुद ही मिट गए, लेकिन सनातन नहीं मिटा। सनातन पर सवाल उठाने वाली विपक्षी पार्टियों के कुछ नेताओं को अपने हित से उठकर अपने देश के संस्कृति और सनातन के बारे में सोचना चाहिए। लेकिन ऐसे लोगों से आशा भी क्या की जा सकती है जो अपने धर्म से बड़ा अपनी कुर्सी को समझते हैं। अगर वें ऐसा चुनाव को लेकर कर रहे हैं तो जनता भी इन्हें चुनाव में मजा चखना को तैयार है।