Justin Trudeau: पिछले कुछ महीनों से चल रही राजनीतिक उथल-पुथल के बाद आखिरकार कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अपने पद से इस्तीफा देने का फैसला किया है। दरअसल, बीते कई दिनों से लिबरल पार्टी के सांसदों के विरोध के बाद पीएम ने ऐसा फैसला लिया है। अब वे लिबरल पार्टी के नेता के पद से भी इस्तीफा देंगे। हालांकि, जस्टिन ट्रूडो लिबरल पार्टी के नए नेता के चुने जाने तक प्रधानमंत्री के पद पर बने रहेंगे। गौरतलब है कि ये ऐसे समय में हुआ है जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चेतावनी दी है कि अगर कनाडा अपने यहां अमेरिका में आने वाले अप्रवासी और नशीली दवाओं को रोकने में विफल रहा तो, कनाडा के सभी सामानों पर 25 फीसदी शुल्क लगा दिया जाएगा।
एक दशक तक कनाडा के पीएम रहे ट्रूडो
जस्टिस ट्रूडो 2015 में प्रधानमंत्री बने थे। उससे पहले दस साल तक कनाडा में कंजर्वेटिव पार्टी का शासन था। शुरुआत में उनकी नीतियों को सराहा गया था। लेकिन हाल के वर्षों में बढ़ती खाद्य और आवास की कीमतों और बढ़ते आप्रवासन के कारण उनका समर्थन घट गया है। अब बहुत जल्द लिबरल पार्टी के नेता चुने जाएंगे। इसमें प्रमुख रूप से कनाडा की पूर्व वित्त मंत्री और उप प्रधानमंत्री रहीं क्रिस्टिया फ्रीलैंड, कैबिनेट मंत्री डॉमिनिक लीब्लांक, मार्क कार्नी, जो कि पहले बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक ऑफ कनाडा के गवर्नर रह चुके हैं, तथा राष्ट्रीय स्तर पर लिबरल पार्टी की नेता और कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत की पूर्व प्रीमियर क्रिस्टी क्लार्क का नाम शामिल है।
भारतीय मूल के दो पीएम पद के उम्मीदवार
हालांकि, इसमें दो भारतीय मूल के नेताओं का भी नाम है। कनाडा में पीएम पद की रेस में भारतवंशी सांसद अनीता आनंद का भी चर्चा में है। अनीता आनंद ट्रूडो मंत्रिमंडल में शामिल हैं। वह कनाडा की रक्षा मंत्री रह चुकी हैं। साथ ही मौजूदा समय में परिवहन और आंतरिक व्यापार मंत्री हैं। वहीं, कनाडा पीएम पद की रेस में दूसरे भारतवंशी के तौर पर लिबरल सांसद जॉर्ज चहल का नाम भी शामिल है। हालांकि कई सांसदों ने उनको अंतरिम नेता नियुक्त करने की सिफारिश की है।
अगर चहल को अंतरिम नेता चुना जाता है, तो वे पीएम की दौड़ से बाहर हो जाएंगे। क्योंकि कनाडा के नियमों के मुताबिक अंतरिम नेता प्रधानमंत्री पद का चुनाव नहीं लड़ सकते।
पूर्व वित्त मंत्री के इस्तीफे के बाद विवाद और तेज
बता दें कि कनाडा की पूर्व वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने 16 दिसंबर को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने अर्थव्यवस्था से जुड़े ट्रुडो के फैसलों की आलोचना की थी। फ्रीलैंड और ट्रूडो के बीच नीतियों पर मतभेद थे। इसके बाद से उनके इस्तीफे को लेकर चर्चाएं तेज हो गई थीं। माना जा रहा था कि बहुत जल्द ट्रूडो पीएम पद छोड़ देंगे। लेकिन इसमें काफी ज्यादा समय लग गया।
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