Mystery Of Hasanamba Temple In Hassan : देश में ऐसी कई जगह हैं, जो अपनी चमत्कारिक प्रवृत्ति के लिए प्रसिद्ध हैं। खासतौर से भारत के मंदिर अपनी अविश्वसनीय मान्यताओं, खासियत और किवदंतियां के लिए जाने जाते हैं, जिनमें से एक है हसनंबा मंदिर। बेंगलुरु से लगभग 180 किमी दूर, यह मंदिर हसन में स्थित है। देवी शक्ति या अम्बा को समर्पित यह मंदिर 12 वीं शताब्दी ईस्वी में बनाया गया था। बहरहाल पहले हसन को सिहमासनपुरी के नाम से जाना जाता था।
मंदिर से जुड़ी रहस्मय कहानी
पौराणिक कथाओं के अनुसार, बहुत साल पहले राक्षस अंधकासुर, ने कठोर तपस्या की थी, जिसके बाद उन्हें ब्रह्मा से अदृश्य होने का वरदान मिला था। जिसके बाद उन्होंने बहुत अत्याचार किया। जिसको देखते हुए भगवान शिव ने उसका अंत करने की ठानी लेकिन अंधकासुर में इतनी शक्ति थी कि जब शिव जी उन्हें मारने की कोशिश करते हैं, तभी जमीन पर गिरती उसके खून की एक बूंद राक्षस बन जाती। जिसके बाद भगवान शिव ने अपनी शक्तियों से योगेश्वरी देवी का निर्माण किया, जिन्हाेंने इसी जगह पर अंधकासुर का नाश किया था।
बता दें कि एक बार जब सात मातृका ब्राह्मी, माहेश्वरी, कौमारी, वैष्णवी, वारही, इंद्राणी और चामुंडी दक्षिण भारत में तैरते हुए आई तो तब वह हसन की सुंदरता देखकर हैरान रह गई और यहीं रहने का फैसला किया। हसनंबा और सिद्धेश्वर को समर्पित इस मंदिर के परिसर में तीन मुख्य मंदिर हैं व मुख्य मीनार का निर्माण द्रविड़ शैली में किया गया था। कहा जाता है कि यह मंदिर वर्ष में केवल एक सप्ताह के लिए एक बार खुलता है और सालभर बाद जब दिवाली के दिन मंदिर के पट खोले जाते हैं, तो दीपक जलता हुआ मिलता है व भक्तों द्वारा चढ़ाए गए फूल भी ताजे होते है। इसके अलावा मंदिर में जो प्रसाद चढ़ाया जाता है अगले साल तक वह भी ताजा रहता है।
हसनंबा मंदिर से जुड़ा चमत्कार
भक्तों के लिए यह मंदिर दिवाली के दौरान केवल 7 दिनों के लिए खुलता है और बालीपद्यमी के उत्सव के तीन दिन बाद बंद हो जाता है।
दिवाली के दौरान मंदिर में दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में भक्त आशीर्वाद लेने आते हैं। कहा जाता है कि देवी हसनंबा ने अपनी भक्त बहू, की सास को पत्थर में बदल दिया था, क्योंकि वह अपनी बहू को प्रताड़ित करती थी। इसके अलावा हसनंबा ने गहने चुराने की कोशिश करने वाले चार लुटेरों को पत्थरों में बदल दिया था और ये चार पत्थर अभी भी कलप्पा गुड़ी में पाए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह चरों पत्थर हर वर्ष एक इंच हिलते है और जब तक यह हसनंबा के चरण कमलों तक नहीं पहुंचेगे तब तक इनका कलियुग समाप्त नहीं होगा।
हसनंबा मंदिर कैसे पहुंचें
हसनंबा मंदिर तक फ्लाइट से जाने के लिए बैंगलोर एयरपोर्ट सबसे पास है। इसके अलावा बेंगलुरु, मैसूर, हुबली और मैंगलोर रेलवे स्टेशन, हासन के सबसे निकट है। बता दें कि हासन बेंगलुरु से लगभग 187 किलोमीटर और मैसूर से 115 किलोमीटर दूर है और यहां से हासन के लिए आसानी से बसें मिलती है।
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