Tuesday, September 17, 2024
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Thiland Wood Temple : बिना कील के 1981 से बनाया जा रहा है ये अनोखा मंदिर, पूरी दुनिया हैरान

Thiland Wood Temple: भारत देश में अनगिनत मंदिर हैं। ऐसे मंदिर जो अपनी बनावट और शैली के लिए जाने जाते हैं। रोचक बात ये हैं की भारत के साथ विदेश में भी कुछ ऐसे मंदिरों का निर्माण किया गया हैं जो हमारे हिन्दू धर्म को दर्शाते हैं और उसकी खूबसूरती दिखाते हैं। ऐसा ही एक मंदिर थायलैंड में बनाया गया हैं जिसकी बनावट और स्थापत्य शैली बहुत अलग हैं।

थायलैंड में पटाया नाम का एक धार्मिक स्थल हैं जिसे “सेन्चरी ऑफ ट्रुथ” के नाम से जाना जाता हैं। इस जगह पर एक ऐसा मंदिर बनाया जा रहा हैं जो पूरी दुनिया में एक अकेला ऐसा मंदिर होगा जो पूरी तरह से केवल लकड़ी से बना होगा। इस मंदिर में नाम के लिए भी एक कील का उपयोग नहीं किया जा रहा है। इस मंदिर की स्थापत्य शैली बहुत ही आकर्षित करने वाली हैं।

यह सबसे ज्यादा समय में बनने वाले मंदिरों में से होगा। सूत्रों के अनुसार इस मंदिर का निर्माण कार्य 1981 में थाई व्यवसायी लेक वेरीफानेन्ट ने कराया था और तब से लेकर आज तक इसका निर्माण कार्य चल रहा हैं। इस मंदिर के पूरे बनने का अनुमान 2025 में रखा गया हैं।

Photos: All wooden 'Sanctuary of Truth' Hindu-Buddhist temple and museum in Pattaya | Entertainment-photos – Gulf News

मंदिर की बनावट

ये मंदिर बौद्ध और हिन्दू धर्म की परंपरा को दिखाता हैं। इस मंदिर के बनने में लगने वाला अधिक समय का कारण ही यही हैं की इसमे किसी और धातु का इस्तेमाल नहीं किया गया। ये मंदिर 3200 वर्ग मीटर में फैला हुआ है और 105 मीटर इसकी ऊंचाई हैं। मंदिर में 4 गोपुरम बनाए गए हैं जो हिन्दू धर्म, चीनी धर्म, बौद्ध धर्म और थायलैंड की पौराणिक कथायो की छवियों को दिखाते हैं। इस मंदिर में कृत्रिम प्रकाश की व्यवस्था नहीं हैं इसलिए इस मंदिर को इस तरीके से बनाया गया है ताकि बाहर का प्रकाश अंदर आ सके।

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मंदिर की विशेषता |Thiland Wood Temple

बताया जाता हैं की इस मंदिर में हिन्दू और बौद्ध धर्म के देवी-देवतायो की मूर्तिया बनाई गई हैं। सभी मूर्तिया पूरी तरह से लकड़ी से बनाई गई हैं। मंदिर की दीवारों पर भी जिन मूर्तियों को बनाया गया हैं उसे भी पूरी तरह से लकड़ी से ही बनाया गया हैं। दीवारों पर नक्काशी करने के लिए हथोड़ी और छैनी का इस्तेमाल किया गया हैं। मंदिर की चारों दिशायों में चार बड़े-बड़े दरवाजे बनाए गए हैं। यह मंदिर पूरी तरह से कुदरती रोशनी पर टिका हैं। इस मंदिर में प्रकाश की कोई व्यवस्था न होने के कारण चारों बड़े-बड़े दरवाजे बनाए गए हैं जिससे सूरज का प्रकाश अंदर आ सके।

शाम को सूर्य अस्त होने के बाद मंदिर के अंदर अंधेरा हो जाता हैं। लेकिन ये अंधेरा मन को सुकून देता हैं। इस अंधरे में मन को शांति मिलती हैं। मंदिर समुद्र किनारे पर हैं समुद्री लहरों के साथ यहाँ से सूर्यास्त देखने से सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव होता हैं। इस मंदिर का मुख्य उद्देश्य लोगों को प्राचीन कला और संस्कृति से रुबरु कराना हैं। इस मंदिर में प्रवेश करते ही शांति का अनुभव होता हैं। यहाँ हिन्दू और चीनी परम्पराओ को देखने और उन्हे जानने का अवसर मिलता हैं।

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