Ramayan: सनातन धर्म मे कई वेद, ग्रंथ, शास्त्र और काव्य हैं। जो हमे हिंदू धर्म की संस्कृति और सभ्यता के बारे में बताते हैं। इस बात मे शक नही है कि हमारे कई प्रश्नो के जवाब इन्हीं ग्रंथो मे छुपे हुए हैं। हिंदू धर्म का एक ऐसा महाकाव्य है जिसके बारे मे शायद ही कोई हिंदू भक्त न जानता हो।
वह महाकाव्य है ” रामायण “। रामायण प्रभु श्री राम के जीवन की कथा है। इसमे उनके जीवन से जुङी सभी कथाएं पढने को मिलती हैं। जैसे वनवास, राज्यभिषेक, सीता हरण, रावण युद्ध आदि।रामायण वाल्मिकी जी के द्वारा रचित एक प्राचीन महाकाव्य है।
यह 7 अध्यायों मे विभाजित है जिसे कांड कहते हैं। इसमे लगभग 24,000 श्लोक हैं। वाल्मिकी जी के द्वारा रामायण मे लिखे सभी श्लोकों का अर्थ बहुत गहरा है। हर श्लोक ज्ञान का संदेश देता है। यहाँ तक कि रामायण के श्लोकों मे व्यक्ति के जीवन के सभी संकटो को दूर करने की शक्ति भी है। आज जानते हैं रामायण के कुछ मुख्य श्लोकों के बारे मे जिनके जाप से व्यक्ति बङे से बङे संकट से मुक्त हो सकता है।
विद्या प्राप्ति के लिए
गुरु ग्रह गए पढन रघुराई।
अल्पकाल विद्या सब पाई।।
( अर्थ – गुरुकुल मे पढने से कुछ ही दिनों मे चारो भाईयों ने बेहतर शिक्षा प्राप्त कर ली। )
विवाह के लिए | Ramayan
तब जनक पाइ बसिष्ठ आयसु ब्याह साज संवारी कै।
मांडवी श्रुतकीरति उरमिला कुंअरि लई हंकारी कै।।
अर्थ – वसिष्ठ मुनि की आज्ञा लेकर राजा जनक ने विवाह का सामान सजा लिया और मांडवी, श्रुतकीरति, उरमिला को विवाह के लिए मंडप में बुलाया।
भक्ति पाने के लिए | Ramayan
हरि अनंत हरि कथा अनंता।
कहंहि सुनहिं बहुबिधि सब संता।।
रामचंद्र के चरित सुहाए।
कलप कोटि लगि जाहिं न गाए।।
(अर्थ – राम जी का चरित्र अनंत है और उनकी कथा भी अंनत है। वे किस कारण से अवतार लेते हैं और सभी काम करते हैं, यह कोई साधारण बुद्धि से नहीं समझ सकता। )
रोगों से बचने के लिए
दैहिक दैविक भौतिक तापा।
राम काज नहिं काहुहिं व्यापा।।
(अर्थ – वैदिक मान्यताओं के अनुसार दैहिक, दैविक और भौतिक तीन प्रकार के दुख होते हैँ। राम के राज्य मे किसी को भी इन तीनो मे से कोई भी दुख नहीं था। )
दरिद्रता दूर करने के लिए
अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के।
कामद धन दारिद्र दवारि के।।
(अर्थ – अतिथि शिव के पूज्य और प्रियतम होते हैं और दरिद्रतारुपी दावानल के बुझाने के लिए कामना पूर्ण करनेवाले मेघ होते हैं।)
मन की शांति के लिए
होइहि सोइ जो राम रचि राखा।
को करि तर्क बढावै साखा।।
अस कहि लगे जपन हरिनामा।
गईं सती जँह प्रभु सुखधामा।।
( अर्थ – जो कुछ राम ने रचा है, वही होगा। तर्क करके कौन विस्तार करे। ऐसा कहकर भगवान शिव श्री राम का नाम जपने लगे और सीता माता वहाँ गई जहाँ प्रभु श्री राम थे। )
शत्रु पर विजय पाने के लिए
लछिमन बान सरासन आनू।
सोषौं बारिधि बिसिख कृसानु।।
सठ सन बिनय कुटिल सन प्रीति।
सहज कृपन सन सुंदर नीति।।
(अर्थ – लक्ष्मण धनुष बाण लाओ मैं अग्नि बाण से समुद्र को सोख डालूँ। मूर्ख से विनय, कुटिल से प्रीति, स्वाभाविक ही कंजूस से सुंदर नीति होती है। )
कार्य की सफलता के लिए
कवन सो काज कठिन जग माहीं।
जो नहिं होइ तात तुम पाहीं।।
(अर्थ – इस जग मे ऐसा कोई काम नहीं है जिसे आप नहीं कर सकते। सभी कठिनाईयों से निपटने के लिए संकल्प और मेहनत की जरुरत होती है। )
धन प्राप्ति के लिए
सो धन धन्य प्रथम गति जाकी।
धन्य पुन्य रत मति सोई पाकी।।
धन्य घरी सोई जब सतसंगा।
धन्य जन्म द्विज भगति अभंगा।।
(अर्थ – धन की तीन गति होती है। दान, भोग और नाश। दान उत्तम है, भोग मध्यम है और नाश नीच गति है।)
कोई काम शुरु करने से पहले
अनुचित उचित काज कछु होई।
समुझि करिय भल कह सब कोई।।
सहसा करि पाछे पछिताहीं।
कहहिं बेद बुध ते बुध नाहीं।।
( अर्थ – व्यक्ति को कोई भी काम करने से पहले ये सोच लेना चाहिए कि उससे मिलने वाला परिणाम उचित होगा य़ा अनुचित। जो बिना सोचे समझे काम करते हैं वे बाद मे पछताते हैं। ऐसे लोगों को वेद के अनुसार बुद्धिमान नहीं माना जाता। )
रामायण की इन चौपाइयों का जो नियम से जाप करता है। उसके मार्ग मे आने वाली सभी रुकावटें दूर हो जाती हैं और साथ ही उस व्यक्ति को आध्यात्मिक बल की प्राप्ति भी होती है।