तेज रफ्तार से भागती हुई इस जिंदगी में आर्थिक, घर में कलह, नौकरी की परेशानियों और ग्रहों की चाल के तानेबाने के बदलने के वजह से कहीं न कहीं समाज में मानसिक परेशानियां बढ़ती जा रही हैं। पूरी दुनिया में हज़ारों-लाखों लोग मानसिक रोग के शिकार होते जा रहे हैं और इसका असर उनके साथ-साथ उनके पूरे परिवार पर पड़ता है। इन परेशानियों से निजात के लिए कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत करनी होगी, जिससे आपको मानसिक परेशानी से मुक्ति मिल सके। आइए जानते हैं ज्योतिष शास्त्र के इन उपायों के बारे में…
ज्योतिष की दृिष्टि से
विचार करें तो अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा की स्थिति सही नहीं है तो मानसिक बीमारी में चंद्रमा, बुध, चतुर्थ भाव व पंचम भाव का आंकलन किया जाता है। चंद्रमा मन है, बुध से बुद्धि देखी जाती है और चतुर्थ भाव भी मन है तथा पंचम भाव से भी बुद्धि देखी जाती है। कुंडली में चंद्रमा की कमजोर स्थिति रोगों को बढ़ती है। इसके कारण गृह क्लेश, माता-पिता के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ना आदि बहुत सी समस्याएं मानसिक रूप से परेशान कर देती हैं।
राहु के अशुभ प्रभाव से मिलती है मुक्ति
शास्त्रों में कहा गया है, कि बिस्तर पर सोने जाने से पहले हाथ-पैर को धोकर कर जाना चाहिए। कभी भी गीले पैरों को लेकर नहीं सोना चाहिए। ऐसा करने से राहु का अशुभ प्रभाव पड़ता है और उससे आपकी परेशानियां भी बढ़ने लगती हैं। इसलिए हाथ-पैर साफ करके और ईश्वर को याद करके ही बिस्तर में सोने जाना चाहिए।
मन की शांति के लिए इस प्रकार दे अर्घ्य:
मानसिक परेशानी को दूर करने के लिए ये उपाय हैं अचूक:
- भगवान शिव की पूजा से भी कुडंली में चंद्रमा मजबूत होता है। इसलिए प्रदोष व्रत, रूदाभिषेक और मौन रहकर ध्यान करने से बहुत शुभ फल प्राप्त होता है।
- ज्योतिष शास्त्र की माने तो कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत करने के लिए चावल की खीर बनाकर उसे गरीब व जरूरतमंदों को दान करें।
- यदि आपको तनाव की समस्या हो तो सोमवार के दिन किसी चांदी की वस्तु में द्विमुखी रूद्राक्ष जड़वाकर धारण करना चाहिए। रूद्राक्ष धारण करने से मन शांत होने के अलावा और भी कई फायदे होते हैं।
ये मंत्र करते हैं मन को शांत
मानसिक रोग को सबसे पहले नकारात्मक विचार ही बढ़वा देते हैं। इसलिए सबसे पहले अपने अंदर से नकारात्मता को दूर करना चाहिए। कुछ ऐसे मंत्र हैं जो आपके मन को शांति प्रदान करने के साथ स्वस्थ भी रखते हैं।
- ”ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात” का जाप करें।
- ‘पुनन्तु विश्वभूतानि जातवेदः पुनीहि मा’
- ‘ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।’
- ‘नवो नवोसि मासान्ते जायमान: पुन: पुन:।
- आप्यायस्व स मे त्वेवं सोमराज नमो नम:।।