Rudraksha Dharan Karne Ke Niyam : सनातन धर्म मे रुद्राक्ष धारण करने का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रुद्राक्ष भगवान महादेव (Mahadev) के आंसुओं से बना है। इसलिए इसे उनका आभूषण भी कहा जाता हैं। इसे धारण करने से व्यक्ति को शारिरिक और मानसिक दोनों लाभ मिलते है। लेकिन कई लोगों को इसे धारण नहीं करना चाहिए। आज हम आपको इस आर्टिकल में रुद्राक्ष की माला पहनने के नियमों (Rudraksha Dharan Karne Ke Niyam) के बारें में विस्तार से बताएंगे।
रुद्राक्ष धारण करने के नियम
- ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, स्नान और महादेव की पूजा करने के बाद ही रुद्राक्ष (Rudraksha Dharan Karne Ke Niyam) को धारण करना चाहिए।
- रुद्राक्ष को गले में पहनना बहुत ज्यादा शुभ होता है। लेकिन इसे कलाई और हृदय पर भी धारण किया जा सकता हैं। गले में 36 रुद्राक्ष, कलाई पर 12 और हृदय पर 108 रुद्राक्ष (Rudraksha Dharan Karne Ke Niyam) की माला धारण करनी चाहिए।
- रुद्राक्ष की माला को सावन माह या फिर शिवरात्रि में धारण करना शुभ होता हैं। बता दें कि रुद्राक्ष को पहनने से पहले उसे शिव जी को समर्पित जरूर करें।
जानिए किन लोगों को रुद्राक्ष नहीं पहनना चाहिए
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता को उसके बच्चे के जन्म के बाद जब तक सूतक काल समाप्त नहीं हो जाता तब तक रुद्राक्ष (Rudraksha Dharan Karne Ke Niyam) धारण नहीं करना चाहिए।
- रुद्राक्ष धारण किए हुए व्यक्ति को नवजात शिशु और उसकी मां से दूर रहना चाहिए और अगर उसको उनके पास जाना भी है तो रुद्राक्ष की माला को उतारने के बाद ही जाएं।
- इसके अलावा धूम्रपान, शराब और मांसाहार का सेवन करने वाले व्यक्तियों को भी रुद्राक्ष धारण (Rudraksha Dharan Karne Ke Niyam) नहीं करना चाहिए।
- श्मशान घाट में जाते समय भी रुद्राक्ष धारण नहीं करना चाहिए। इसे उतारने के बाद ही श्मशान घाट में जाएं।
- सोते समय रुद्राक्ष (Rudraksha Dharan Karne Ke Niyam) नहीं पहनना चाहिए। इसे उतार कर अपने तकिए के नीचे रख दें।
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