Gods that are alive in Kalyug : धरती पर जन्म लेने वाले हर एक व्यक्ति की मृत्यु निश्चित है। महान से महान मनुष्य को भी एक-न-एक दिन मरना ही है। लेकिन पौराणिक कथाओं के मुताबिक सम्पूर्ण सृष्टि में केवल सात ऐसे व्यक्ति हैं जो अमर है यानी वह हमेशा जीवित रहेंगे। ये सभी किसी न किसी वचन, श्राप, वरदान या नियम की वजह से अमर है। इन सभी के पास अनेक दिव्य शक्तियां भी है। आज हम आपको इस आर्टिकल में उन सात दिव्य चिरंजीवियों (Gods that are alive in Kalyug) के बारे में विस्तार से बताएंगे, जिन्होंने मौत को भी मात देदी है।
परशुराम जी
भगवान परशुराम (Parashurama) को श्रीहरि विष्णु के छठवें अवतार माना जाता हैं। जिन्हें अमरत्व का वरदान प्राप्त है। पुराणों में परशुराम के प्राकट्य का काल का तो वर्णन नहीं है। लेकिन सतयुग, द्वापरयुग और त्रेतायुग तीनो युगों में परशुराम जी के जीवित होने का वर्णन है। भगवान परशुराम जी बहुत ज्यादा बलवान हैं। जिन्होंने (Parashurama) अब तक लगभग 21 बार धरती को क्षत्रियहीन किया है।
हनुमान जी
राम भक्त भगवान हनुमान को भी अमरत्व का वरदान प्राप्त हैं। बता दें कि राम जी जब अपनी लीला को समाप्त कर अयोध्या से बैकुण्ठ पधार रहे थे तो तब हनुमान महाराज (Hanuman Ji) ने राम जी से पृथ्वी पर रुकने की अपनी इच्छा को व्यक्त किया। तब भगवान राम ने उन्हें वरदान दिया कि जब तक धरती पर मेरा (Ram ji) नाम रहेगा तब तक आप भी यहां विराजमान रहेंगे। इसलिए कहा जाता है कि जहां कई भी भगवान राम और हनुमान जी (Hanuman Ji) की भक्ति होता है, वहां पर बजरंग बली जरूर आते हैं।
विभीषण जी
राम भक्त विभीषण (Vibhishan) को भी अमरत्व का वरदान मिला हुआ हैं। विभीषण जी लंकापति रावण के छोटे भाई है। जब राम जी और रावण के बीच युद्ध हुआ था। तो तब महाराज विभीषण ने सत्य का साथ देते हुए अपने भाई की जगह भगवान राम के पाव पकड़े थे। रावण का अंत करने के बाद राम जी ने लंका पर राज नहीं किया बल्कि विभीषण (Vibhishan) को लंका का राजा बना दिया था और धर्म-शास्त्रों का अनुसरण का आदेश दिया।
राजा बलि
बता दें कि राजा बलि (Raja Bali) को भगवान श्रीहरि ने अनंत काल के लिए पाताल लोक का राजा बनाया था। इसी मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि आज भी राजा बलि पाताल लोक पर राज कर रहे हैं।
वेद व्यास जी
महर्षि पाराशर व माता सत्यवती के पुत्र वेद व्यास जी (Vedvyas) को भी अमर होने का वरदान मिला हैं। वेद व्यास जी ने श्रीमदभगवद महापुराण के साथ-साथ कई ग्रन्थ प्रकाशित किए थे, जो आज भी समस्त सृष्टि में पूजे जाते है। हालांकि देश के कई राज्यों में उन्हें (Vedvyas) ‘कृष्ण द्वैपायन’ के नाम से भी जाना जाता हैं।
अश्वत्थामा
गुरु द्रोणाचार्य के बेटे अश्वत्थामा (Ashvtthama) भी अमरत्व हैं। उन्हें भगवान श्री कृष्ण ने अनंत काल तक भटकने का श्राप दिया है। इसलिए आज भी वह धरती पर इधर-उधर भटकते रहते हैं। बता दें कि कुरुक्षेत्र और उसके आसपास की जगहों पर आज भी अश्वत्थामा के देखे जाने के दावे किए जाते हैं। लेकिन वास्तविक में इसका (Ashvtthama) कोई सबूत नहीं है।
कृपाचार्य
कौरवों और पाण्डवों के गुरु कृपाचार्य (Karapachary) को भी अमरत्व का वरदान प्राप्त हैं। कृपाचार्य को उन 3 गणमान्य व्यक्तियों में से एक माना जाता है। जिन्हें (Karapachary) भगवान कृष्ण के विराट स्वरूप का दर्शन मिला था।
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