Friday, November 22, 2024
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रामसेतु का पत्थर इसलिए तैरता है पानी में, जाने क्या कहता है विज्ञान

Ram Setu Stone Scientific Facts : रामसेतु के पत्थरों की बहुत मान्यता हैं। माना जाता है कि यहां पर मौजूद बड़े-से-बड़े पत्थर पानी में तैरते हैं। देश के पंबन द्वीप और श्रीलंका के मन्नार द्वीप को जोड़ने वाले पुराने पुल को रामसेतु (Ram Setu) के नाम से जाना जाता हैं। पुल के नीचे मौजूद पत्थर पानी में तैरते हैं।

हिन्दू मान्यता के अनुसार, कहा जाता है कि यहां पर प्रभु श्रीराम की कृपा हैं। माता सीता को राजा रावण के कब्जे से छुड़ाने के लिए भगवान राम को इसी रस्ते से जाना था। इसलिए सुग्रीम की वानर सेना की मदद से उन्होंने ये पुल बनवाया था। माना जाता है कि इन तमाम पत्थरों पर भगवान राम का नाम लिखा है। इसलिए ये पानी में तैरते नहीं हैं। हालांकि उस समय इस पुल को बिना किसी चूना-पत्थर के बनाया गया था।

क्या कहता है विज्ञान

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वैज्ञानिकों के मुताबिक ये पत्थर अंदर से पूरी तरह खोखले होते हैं। इन तमाम पत्थरों में छोटे-छोटे छेद होते है, जिनमें हवा भरी होती हैं। इन खोखले पत्थरों में 90 प्रतिशत हवा होती है। इस वजह से इनका वजन बहुत कम होता है। पानी का उत्प्लावक बल (Buoyancy Force) भी इन्हें डूबने नहीं देता और इस संतुलन के कारण ये पत्थर पानी में नहीं डूबते। बता दें कि इसी Buoyancy Force का संतुलन बनाए रखने से बड़े से बड़े जहाज भी पानी में डूबते नहीं है और तैरते हैं। इन तमाम पत्थरों को प्यूमिक स्टोन (Pumice Stone) के नाम से जाना जाता हैं।

क्या होते है प्यूमिक स्टोन

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तेज तापमान और उच्च दाब के कारण ज्वालामुखी से लावा निकलता हैं। ये इतनी तेजी से निकलता है कि इसका तापमान करीब 1500 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। लावा जब ठंडा हो कर एक आकर लेता है और उससे जिस पत्थर का निर्माण होता है, उसे प्यूमिक स्टोन कहा जाता हैं। गर्म लावा जब हवा या पानी के संपर्क में आता है, तो पत्थर में कोल्ड शॉक की स्थिति बनती है। इसी स्थिति में गर्म लावा के अंदर ज्यादा से ज्यादा हवा भर जाती हैं। ठंडा होने के साथ ही इसमें बहुत छोटे-छोटे और कई सारे बबल बन जाते हैं। जो मिलकर एक विशाल पत्थर बनते हैं।

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