Recently updated on July 25th, 2024 at 12:42 pm
“स्वच्छता ही है एक मात्र उपाए, जो सभी को हमेशा स्वस्थ्य बनाए”। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने साफ-सुधरे भारत का सपना देखा था। गांधी जी मानते थे कि यदि कोई व्यक्ति स्वच्छ नहीं है तो वह स्वस्थ नहीं रह सकता है। इसलिए वो स्वच्छता पर काफी जोर दिया करते थे। स्वच्छ और स्वस्थ भारत के महात्मा गांधी के इस सपने को लेकर 2 अक्टूबर 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक मिशन शुरू किया, जिसको नाम दिया गया ‘स्वच्छ भारत अभियान’।
महात्मा गांधी के सपने को साकार करने के लिए पीएम मोदी ने खुद झाड़ू उठाकर स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की थी। पीएम मोदी ने साफ-सफाई करते हुए कूड़ा भी उठाया था। अपने प्रधानमंत्री को ऐसा करते पूरा देश एक साथ खड़ा हुआ और देखते ही देखते ‘स्वच्छ भारत अभियान’ ने जनआंदोलन का रूप ले लिया।
एक समय ऐसा था जब हमारे देश के लोगों की ये सोच हुआ करती थी कि वो अपने घरों को तो साफ करते थे, लेकिन घरों से निकलने वाले कूड़ों को गलियों-सड़कों और चौराहों पर फेंक देते थे। लोग ये नहीं सोचा करते थे कि पूरा देश ही हमारा घर है और इसे साफ रखना उनकी भी जिम्मेदारी है। 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों की इसी सोच को बदलने का काम किया। ‘स्वच्छ भारत अभियान’ विश्व के लिए एक उदाहरण बना।
जब 2014 में जब प्रधानमंत्री मोदी ने इस मिशन की शुरुआत की थी, तो उन्होंने देश के लोगों को “न गंदगी करेंगे ,न करने देंगे” का मंत्र भी दिया था। इस अभियान में आम लोगों से लेकर बड़े बड़े सितारों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। सचिन तेंदुलकर, सलमान खान, प्रियंका चोपड़ा समेत देश की नामचीन हस्तियों को इस अभियान से जोड़ा गया और देश को खुले में शौच मुक्त और स्वच्छ बनाने का लक्ष्य रखा गया।
आपको बता दें कि स्वच्छ भारत अभियान का पहला चरण देश में पूरा हो चुका है। पहले चरण में सरकार ने 5 साल के अंदर देश में 1.2 करोड़ शौचालय निर्माण के लक्ष्य को हासिल कर लिया है, जो अपने आप में एक बड़ी कामयाबी है। स्वच्छ भारत अभियान से सबसे ज्यादा फायदा ग्रामीण और शहर में रहने वाले गरीब परिवारों को हुआ है।
स्वच्छ भारत अभियान ने लोगों को इतना प्रेरित किया है कि अब स्वच्छता कई लोगों की आदत बन चुकी हैं। ये लोग जहां कही भी गंदगी देखते हैं तो सफाई का काम करने में जुटे जाते हैं। इसका एक उदाहरण हैं, ‘सैफुद्दीन शाजापुर वाला’ नाम के एक व्यक्ति, जो कई सालों से अपने स्कूटर से जगह-जगह जाकर खुद ही स्वच्छता का काम करते हैं। इंदौर में जब भी क्रिकेट मैच आयोजित होता है, तो वो स्टेडियम के आसपास अकेले ही स्वच्छता अभियान चलाते हैं। सैफुद्दीन बताते हैं कि स्वच्छ भारत अभियान को उन्होंने अपने जीवन का हिस्सा बना लिया। उन्हें जब भी लगता है कि कहीं कोई बड़ा सार्वजनिक आयोजन होने वाला है तो वह अपनी क्षमता के मुताबिक अपने खर्चे पर अपने स्कूटर पर लोगों को जागरूक करने पहुंच जाते हैं। इसके अलावा भी ऐसी कई कई कहानियां हमें अक्सर सुनने को मिल ही जाती हैं, जो दूसरे लोगों के लिए मिसाल बनती हैं।
देखा जाये तो भारत में “स्वच्छ भारत मिशन” का अब तक का सफर आसान नहीं रहा। ये सपना और ये सफर अभी खत्म भी नहीं हुआ है, बल्कि अब तो इस मशाल की लौ और भी तेज हो गई है। अभी देश को “स्वच्छ भारत मिशन” को नई ऊंचाइयों पर ले जाना है।