Supreme Court: शुक्रवार यानी आज सुप्रीम कोर्ट में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के अल्पसंख्यक दर्जे के मामले में सुनवाई की गई है। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने एएमयू का अल्पसंख्यक दर्जा बरकरार रखा है। बता दें कि सात जजों की बेंच ने 4-3 के बहुमत से अपना फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एएमयू एक अल्पसंख्यक संस्थान हैं। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि कोई भी धार्मिक समुदाय संस्थान की स्थापना कर सकता है। मगर धार्मिक समुदाय संस्था का प्रशासन नहीं देख सकता है। संस्थान की स्थापना सरकारी नियमों के मुताबिक की जा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा ?
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत अल्पसंख्यक दर्जे का हकदार है। चाहे कोई शैक्षणिक संस्था संविधान लागू होने से पहले बनी हो या बाद में… इससे उसका दर्जा नहीं बदल जाएगा.”
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर तीन जजों की नई बेंच बनेगी। यह नई बेंच ही तय करेगी एएमयू का दर्जा क्या होगा। बेंच अल्पसंख्यक संस्थानों के लेकर मानदंड भी तय करेगी।
5000 करोड़ रुपये से अधिक मिलने का दावा
बता दें कि एएमयू को अल्पसंख्यक का दर्जा दिए जाने का विरोध करने वाले एक वकील ने यहां तक दावा किया था कि 2019 से 2023 के बीच केंद्र सरकार से उसे 5,000 करोड़ रुपये से अधिक मिले हैं, जो केंद्रीय यूनिवर्सिटी दिल्ली यूनिवर्सिटी को मिले धन से लगभग दोगुना है।
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