Supreme Court Pending Cases:सुप्रीम कोर्ट और देश के अन्य न्यायालयों में लंबित मुकदमों की संख्या एक गंभीर चिंता का विषय बनती जा रही है। जहां एक ओर न्याय प्रणाली में सुधार की जरूरत को समझा जा रहा है, वहीं दूसरी ओर लंबित मामलों की बढ़ती संख्या इस सुधार को चुनौती देती है।
सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या और उसका प्रभाव
सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या बढ़ाकर मुकदमों के निपटारे में तेजी लाने का प्रयास किया गया था। 2009 में सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या 26 से बढ़ाकर 31 कर दी गई। इस फैसले का उद्देश्य लंबित मामलों को कम करना और न्याय प्रक्रिया को त्वरित बनाना था। इसके बावजूद, लंबित मामलों की संख्या में लगातार वृद्धि होती रही है। 2013 में यह संख्या 50,000 से बढ़कर 66,000 हो गई थी।
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बढ़ते पेंडिंग केस: कारण और निपटारे के प्रयास | Supreme Court Pending Cases
सुप्रीम कोर्ट में लंबित मुकदमों की संख्या बढ़ने के पीछे कई कारण हैं। न्यायिक प्रक्रिया की जटिलता, मुकदमों की बढ़ती संख्या, और मामलों के निपटारे में समय की कमी जैसे कारकों ने इस समस्या को बढ़ावा दिया है। जस्टिस टी.एस. ठाकुर के कार्यकाल के दौरान यह संख्या फिर से बढ़कर 63,000 हो गई थी।
पेपरलेस कोर्ट का प्रस्ताव और उसका प्रभाव | Supreme Court Pending Cases
जस्टिस जे.एस. खेहर ने केस मैनेजमेंट सिस्टम में सूचना टेक्नलॉजी का इस्तेमाल करके सबसे पहले पेपरलेस कोर्ट का प्रस्ताव रखा था। यह प्रस्ताव लंबित मामलों की संख्या को कम करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास था। इसके बावजूद, लंबित मामलों की संख्या में बहुत ज्यादा कमी नहीं आई।
कोविड-19 का प्रभाव
कोविड-19 महामारी ने न्याय व्यवस्था को भी गंभीर रूप से प्रभावित किया। सुप्रीम कोर्ट और अन्य न्यायालयों में मामलों की सुनवाई बंद हो गई, जिससे लंबित मामलों की संख्या और भी बढ़ गई। जस्टिस एस.ए. बोबडे के कार्यकाल के दौरान, महामारी के कारण न्याय व्यवस्था ठप पड़ गई और लंबित मामलों की संख्या बढ़कर 65,000 हो गई।
2021-22 में लंबित मामलों की स्थिति
सीजेआई एनवी रमन्ना के कार्यकाल में भी कोविड-19 के प्रभाव के चलते मामलों का निपटारा प्रभावित रहा। 2021 में लंबित मामलों की संख्या 70,000 तक पहुंच गई थी और 2022 के अंत तक यह संख्या 79,000 हो गई।
मौजूदा स्थिति और भविष्य की चुनौतियां
वर्तमान में, जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट में 82,831 मामले लंबित हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ ने मामलों को अलग-अलग श्रेणियों में बांटने और एक जैसे मामलों को एक साथ सूचीबद्ध करने के लिए कई तकनीकी उपाय किए हैं, लेकिन इसके बावजूद लंबित मामलों की संख्या में बढ़ोतरी जारी है।
हाई कोर्ट और निचली अदालतों की स्थिति
सिर्फ सुप्रीम कोर्ट ही नहीं, बल्कि हाई कोर्ट और निचली अदालतों में भी लंबित मामलों की संख्या बढ़ रही है। 2014 में हाई कोर्ट में कुल 41 लाख मामले लंबित थे, जो 2023 में बढ़कर 61 लाख हो गए। निचली अदालतों में 2014 में 2.6 करोड़ मामले लंबित थे, जो अब बढ़कर 4.5 करोड़ हो गए हैं।