मंगलवार को एक बड़ा फैसला लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को रूट मार्च निकालने की अनुमति दे दी है। उच्च न्यायलय ने मद्रास हाईकोर्ट के फैसला को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा, जिससे तमिलनाडु सरकार को झटका लगा है। कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार की मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले की अपील को खारिज कर दिया है।
तमिलनाडु सरकार को झटका
मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा राज्य में आरएसएस को एक मार्च आयोजित करने के फैसले को तमिलनाडु में स्टालिन प्रशासन द्वारा चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपील खारिज कर दी। आरएसएस को मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले की पुष्टि करते हुए न्यायमूर्ति वी रामासुब्रह्मण्यम और पंकज मित्तल से बनी सर्वोच्च न्यायालय की एक खंडपीठ द्वारा मार्च आयोजित करने की अनुमति दी गई थी।
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जब RSS ने मूल रूप से स्वतंत्रता के 75 वें वर्ष, भारत रत्न बी आर अम्बेडकर की जन्म शताब्दी, और 2 अक्टूबर, 2022 को विजयादशमी उत्सव मनाने के लिए एक मार्च और एक सार्वजनिक बैठक आयोजित करने की अनुमति का अनुरोध किया, तो मद्रास उच्च न्यायालय ने 10 फरवरी को उनके अनुरोध को स्वीकार कर लिया। यह देखते हुए कि एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए विरोध आवश्यक हैं। तमिलनाडु सरकार ने इस तरह के मार्च के आयोजन की अनुमति देने से इनकार कर दिया, तो आरएसएस ने मदार्स कोर्ट का रूख किया।
सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु की राज्य सरकार की याचिका को खारिज करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को राज्य में रूट मार्च करने की अनुमति देने वाले मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले की पुष्टि की।