सुप्रीम कोर्ट ने मनोज बाजपेयी के मानहानि मामले को इंदौर से मुंबई स्थानांतरित करने के कमाल आर खान के अनुरोध को खारिज कर दिया। अभिनेता और निर्माता कमाल राशिद खान उर्फ केआरके पर बॉलीवुड एक्टर मनोज बाजपेयी ने इंदौर की अदालत में मानहानि का मुकदमा ठोंक रखा है। KRK ने इस केस को इंदौर से मुंबई स्थानांतरित करने की मांग की थी, लेकिन उनकी याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया है। याचिका आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 406 के तहत दायर की गई थी, जिसमें न्यायिक मजिस्ट्रेट, प्रथम श्रेणी, इंदौर, मध्य प्रदेश के न्यायालय के समक्ष लंबित शिकायत को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, मुंबई, महाराष्ट्र की अदालत में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया गया था।
अदालत ने पाया कि चूंकि शिकायत इंदौर में शुरू की गई थी, जहां यह आरोप लगाया गया था कि शिकायतकर्ता को मानहानिकारक ट्वीट्स की जानकारी थी, इसलिए स्थानांतरण के अनुरोध को स्वीकार करने का कोई कारण नहीं था। तदनुसार, स्थानांतरण याचिका खारिज कर दी गई।
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आरोप है कि कमाल राशिद खान ने कथित तौर पर अभिनेता मनोज बाजपेयी के बारे में अपमानजनक ट्वीट किए थे, जिसके बाद बाजपेयी ने उनके खिलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज की थी। शिकायत इंदौर में दर्ज की गई थी, जहां बाजपेयी के वकीलों ने दावा किया कि कथित अपमानजनक बयान प्रसारित और प्रकाशित किए गए थे। दिल्ली उच्च न्यायालय का फैसला केआरके के लिए एक झटका है, जिन्होंने शहर में अपने निवास और इस तथ्य का हवाला देते हुए कि मनोज बाजपेयी भी मुंबई में स्थित हैं, इस मामले को मुंबई स्थानांतरित करने की मांग की थी। हालांकि, अदालत ने स्थानांतरण के अनुरोध में कोई दम नहीं पाया और स्थानांतरण याचिका का निस्तारण कर दिया।
मानहानि का मामला
मनोज बाजयी ने कमाल आर. खान के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था। खान ने उन्हें “चरसी/गंजेदी” कहा था और पिछले हफ्ते इंदौर की अदालत द्वारा गिरफ्तारी वारंट जारी करने के तुरंत बाद, खान मामले को स्थानांतरित करने का अनुरोध करने के लिए सुप्रीम कोर्ट गए। तब बाजपेयी को सुप्रीम कोर्ट ने जवाबी हलफनामा जमा करने का आदेश दिया था।
वास्तविक मामला 2021 का है। कमाल आर खान ने दिसंबर 2022 में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में उनके खिलाफ मामला खत्म करने की भी कोशिश की, लेकिन अदालत ने उनके प्रस्ताव को खारिज कर दिया। इंदौर की अदालत द्वारा केआरके के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी करने के ठीक एक हफ्ते बाद, वह सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश हुए और मामले को मुंबई स्थानांतरित करने की मांग की। हालांकि यहां से भी उन्हें राहत नहीं मिली है।
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