Tuesday, September 17, 2024
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Supreme Court ने संदीप घोष की याचिका को किया खारिज, घोष पर लगे है वित्तीय अनियमितताओं के आरोप

Supreme Court: कोलकाता का आरजी कर मेडिकल कॉलेज हाल के दिनों में कई विवादों के कारण चर्चा में रहा है जिनमें एक महिला डॉक्टर से दुष्कर्म और हत्या का मामला प्रमुख है। इसी विवाद के बीच इस प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेज में वित्तीय अनियमितताओं के गंभीर आरोप भी सामने आए, जिनके केंद्र में पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष का नाम आया। यह पूरा मामला तब और तूल पकड़ गया जब कोलकाता हाईकोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी और अब सुप्रीम कोर्ट ने संदीप घोष की याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने इस जांच के खिलाफ गुहार लगाई थी।

वित्तीय अनियमितताओं के आरोप

संदीप घोष पर लगे आरोप काफी गंभीर हैं। उनके ऊपर यह आरोप है कि उन्होंने आरजी कर मेडिकल कॉलेज में प्रिंसिपल रहते हुए विभिन्न वित्तीय गड़बड़ियां कीं। कॉलेज के पूर्व उपाधीक्षक अख्तर अली ने इन आरोपों को उजागर किया। उनके अनुसार, संदीप घोष ने अस्पताल में लावारिस शवों की तस्करी की, बायो-मेडिकल कचरे के निपटान में भ्रष्टाचार किया और निर्माण निविदाओं में भाई-भतीजावाद को बढ़ावा दिया।

इन आरोपों के तहत कोलकाता पुलिस ने संदीप घोष के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी (आपराधिक षड्यंत्र), 420 (धोखाधड़ी) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7 के तहत मामला दर्ज किया था।यह मामला तब और भी महत्वपूर्ण हो गया जब कोलकाता हाईकोर्ट ने 24 अगस्त को इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया।

सीबीआई ने जांच शुरू की और संदीप घोष के खिलाफ विभिन्न ठिकानों पर छापेमारी की। इनमें कोलकाता और हावड़ा स्थित उनके ठिकाने शामिल थे। जांच एजेंसी ने आरोपों की तहकीकात की और घोष को हिरासत में लिया।

सुप्रीम कोर्ट की याचिका | Supreme Court

जब कोलकाता हाईकोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपी, तो संदीप घोष ने इसे चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। घोष ने अपनी याचिका में हाईकोर्ट के आदेश को अवैध और उनके अधिकारों का उल्लंघन बताया। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया और यह कहा कि उन्हें इस मामले में पक्षकार बनने का अधिकार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद सीबीआई को अपनी जांच पूरी करने में अब कोई कानूनी अड़चन नहीं रही।

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राजनीतिक पहलू

इस मामले के राजनीतिक पक्ष को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। बंगाल के विपक्षी दलों ने इस पूरे प्रकरण को सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेताओं और सरकारी अधिकारियों के साथ भ्रष्टाचार के गठजोड़ के रूप में देखा है। विपक्ष के अनुसार, संदीप घोष और टीएमसी के कुछ नेताओं के बीच घनिष्ठ संबंध हैं, जिनकी वजह से घोष को विभिन्न वित्तीय अनियमितताओं में मदद मिली। बीजेपी और कांग्रेस जैसे विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि टीएमसी के नेताओं ने घोष की गलत हरकतों को बढ़ावा दिया और इस पूरे प्रकरण में राज्य सरकार की निष्क्रियता पर भी सवाल खड़े किए।

सीबीआई और ईडी की भूमिका

सीबीआई के साथ-साथ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी इस मामले की जांच में जुट गया है। ईडी ने वित्तीय अनियमितताओं के मामलों की जांच के तहत संदीप घोष के कोलकाता और हावड़ा स्थित ठिकानों पर छापेमारी की। ईडी इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के पहलुओं की जांच कर रही है और देख रही है कि कहीं घोष ने अवैध रूप से अर्जित धन को दूसरे स्रोतों में निवेश तो नहीं किया। ईडी के अधिकारियों का मानना है कि इस मामले में केवल घोष ही नहीं, बल्कि कई अन्य सरकारी अधिकारी और ठेकेदार भी शामिल हो सकते हैं, जिनका भ्रष्टाचार से संबंध हो सकता है।

आरजी कर मेडिकल कॉलेज और उसकी साख

आरजी कर मेडिकल कॉलेज पश्चिम बंगाल का एक प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थान है और इसकी साख पूरे देश में फैली हुई है। इस कॉलेज से हजारों डॉक्टर अपनी शिक्षा पूरी कर चुके हैं, जो आज देश-विदेश में चिकित्सा के क्षेत्र में कार्यरत हैं। लेकिन इस कॉलेज का नाम हाल के दिनों में विवादों के कारण बदनाम हुआ है। डॉक्टर की हत्या और दुष्कर्म के मामले ने पूरे बंगाल को झकझोर कर रख दिया था, और उसी समय पर कॉलेज के भीतर चल रही वित्तीय अनियमितताओं ने स्थिति को और भी बिगाड़ दिया।

दुष्कर्म और हत्या का मामला

आरजी कर मेडिकल कॉलेज में महिला डॉक्टर से दुष्कर्म और हत्या का मामला भी इस विवाद का हिस्सा है। इस मामले में कॉलेज के ही कुछ स्टाफ और बाहरी व्यक्तियों पर आरोप लगे हैं। पुलिस ने इस मामले में भी जांच तेज कर दी है और कई संदिग्धों को हिरासत में लिया है। इस घटना ने राज्य की चिकित्सा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं, खासकर तब जब यह मामला एक प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेज से जुड़ा हुआ है।

संदीप घोष के खिलाफ जारी सीबीआई और ईडी की जांच के परिणामस्वरूप यह मामला और भी गहराता जा रहा है। यदि जांच में आरोप साबित होते हैं, तो यह बंगाल सरकार और टीएमसी के लिए एक बड़ा राजनीतिक झटका साबित हो सकता है। वहीं, विपक्ष इस मामले को अगले चुनाव में बड़ा मुद्दा बना सकता है। दूसरी ओर, आरजी कर मेडिकल कॉलेज की साख को सुधारने के लिए सरकार को कड़े कदम उठाने पड़ सकते हैं।

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