दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया नई आबकारी नीति के कथित घोटाले मामले में बेहद ही बुरे फंसे हैं। सिसोदिया को कही से भी राहत मिलती दिख नहीं रही है। अब आज यानी 12 अप्रैल को एक बार फिर मनीष सिसोदिया के ईडी से जुड़े मामले में विशेष अदालत द्वारा सुनवाई की गई। ईडी की ओर से प्रस्तुतियां के बाद अदालत ने अब इश मामले को 18 अप्रैल को सिसोदिया की ओर से दलीलों के लिए सूचीबद्ध किया है। यानी इस बार भी उन्हें राहत नहीं मिली और मामले पर सुनवाई आगे बढ़ गई है।
आप नेता मनीष सिसोदिया पर सीबीआई ने वर्ष 2021-2022 के लिए आबकारी नीति के संबंध में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। सीबीआई मामले में सिसोदिया को विशेष सीबीआई न्यायाधीश एमके नागपाल ने राउज एवेन्यू कोर्ट में जमानत देने से इनकार कर दिया था और अब सिसोदिया ने दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है, जहां अदालत 20 अप्रैल को मामले की सुनवाई होगी। सीबीआई और ईडी के आरोप में शराब नीति के भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े आरोपों के सिलसिले में अदालतों द्वारा हिरासत में रखा गया। सिसोदिया फिलहाल 17 अप्रैल तक ईडी और सीबीआई की हिरासत में हैं।
यह भी पढ़ें: नहीं कम हो रही AAP नेता की मुश्किलें: अब सत्येंद्र जैन को लगा दिल्ली HC से झटका
ईडी ने किया जमानत का विरोध
12 अप्रैल बुधवार को सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई पूरी नहीं हो सकी। सुनवाई के दौरान ईडी के द्वारा इसका विरोध किया गया। वहीं सिसोदिया के पक्ष को अगली सुनवाई में मौका दिया जाएगा। ईडी के लिए विशेष वकील ज़ोहेब हुसैन ने दावा किया कि सिसोदिया दिल्ली आबकारी नीति को पारित करने के लिए जिम्मेदार थे और यह जानबूझकर चर्चा के बिना पारित किया गया था। उन्होंने यह भी दावा किया कि मामले में साजिश के तत्व शामिल हैं क्योंकि विशेषज्ञ समिति द्वारा अनुशंसित मॉडल में व्यक्तियों को आवेदन करने और दो खुदरा बिक्री प्राप्त करने के लिए कहा गया था। यह कार्टेलाइजेशन को रोकने के लिए किया गया था; फिर भी, लॉटरी पद्धति का उद्देश्य ऐसा करना था। हुसैन ने दावा किया कि किकबैक के स्थान पर, स्पिरिट कार्टेल को अवैध लाभ प्रदान करने के लिए एक आपराधिक पारिस्थितिकी स्थापित की गई थी।
इससे पहले 5 अप्रैल को हुई सुनवाई में सिसोदिया के वकील एडवोकेट सिसोदिया के वकील एडवोकेट विवेक जैन ने तर्क दिया कि उनके मुवक्किल के खिलाफ आबकारी नीति में आरोप हो सकते हैं लेकिन प्रथम दृष्या से धन शोधन का कोई अपराध नहीं बनता है। जैन कहते हैं कि मनी लॉन्ड्रिंग के तहत अपराध करने के लिए पैसा दिखाना पड़ता है और सिसोदिया व उनके परिवार के किसी सदस्य के खाते में कोई पैसा नहीं आया। न तो कोई आरोप है और न ही दिखाने के लिए कोई सामग्री है कि पैसा मिल गया है। जैन ने आगे दलील देते हुए कहा कि आबकारी नीति को विभिन्न विभागों और सरकार के स्तरों के माध्यम से अनुमोदन के लिए पारित किया गया है, केवल एक व्यक्ति को पकड़ना सही नहीं है, यहां तक कि कोई मनी ट्रैक भी नहीं पाया गया है। आगे जमानत की बात पर जैन ने दलील दी है कि चूंकि जमानत देने पर कोई रोक नहीं है, इसलिए इसे दिया जाना चाहिए। ईडी की तरफ से एडवोकेट ज़ोहेब हुसैन ने दलील दी थी कि ईडी कुछ नए सबूत इकट्ठा कर रहा है और कुछ महत्वपूर्ण सबूत हैं जो अभी भी पता लगाए जा रहे हैं।
यह भी पढ़ें: 2024 चुनाव से पहले बड़ा फैसला: AAP बनीं नेशनल पार्टी, TMC-NCP से क्यों छिना ये दर्जा?
सिसोदिया के खिलाफ मामला
सिसोदिया के दिल्ली आबकारी नीति में शामिल होने के मामले में यह दावा किया गया था कि नीति के लाभ मार्जिन को इस तरह से बदल दिया गया था कि कुछ व्यापारियों का पक्ष लिया गया था, और परिवर्तनों के बदले में रिश्वत एकत्र की गई थी। दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) वीके सक्सेना ने दिल्ली के मुख्य सचिव की एक रिपोर्ट के आधार पर इस मामले में सीबीआई जांच का आग्रह किया था और ईडी और सीबीआई ने संदिग्ध धोखाधड़ी के संबंध में मामले दर्ज किए। निष्कर्षों के अनुसार सिसोदिया ने कानूनी आवश्यकताओं का उल्लंघन किया और एक ऐसी नीति की जानकारी दी जिसके गंभीर वित्तीय प्रभाव थे। सीबीआई की चार्जशीट में उनका नाम नहीं होने के बावजूद सिसोदिया और कुछ अन्य लोगों की जांच जारी थी। इस बात पर जोर देते हुए कि सिसोदिया निर्दोष हैं, आप ने आरोपों का खंडन किया। सिसोदिया का मानना है कि नीति और उसमें किए गए समायोजन को एलजी ने स्वीकार कर लिया था और सीबीआई अब एक निर्वाचित प्रशासन के नीतिगत विकल्पों का अनुसरण कर रही है।
गौरतलब है कि कथित शराब घोटाले के इस मामले में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को सीबीआई ने 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था। तब से ही जेल में बंद हैं। सिसोदिया से जेल में ही ईडी ने भी पूछताछ की थी और इसके बाद 9 मार्च को ईडी के द्वारा इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। दिल्ली सरकार द्वारा 17 नवंबर 2021 को ये नई एक्साइज पॉलिसी लागू की थी, जिसने सिसोदिया को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है। एलजी की सिफारिश के बाद CBI ने 17 अगस्त 2022 को केस दर्ज कर इस मामले में जांच शुरू की थी। केस में मनीष सिसोदिया समेत 15 लोगों को आरोपी बनाया गया था।
यह भी पढ़ें: ‘जब औरंगजेब असम आया था तो…’ केजरीवाल के मेहमाननवाजी वाले बयान पर हिमंता बिस्वा सरमा ने किया पलटवार