Shiv & Shankar difference : हिन्दू धर्म में अनेक देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना की जाती हैं। हर एक भगवान की उपासना करने का अपना महत्त्व और अपनी विशेषता है। देश में भगवान शिव (Lord Shiva) के भी बड़ी संख्या में भक्त हैं। शिव जी को कई नामों से जाना जाता है। जैसे कि- देवों के देव महादेव, भोलेनाथ, महेश, नीलकंठ, गंगाधार और रुद्र आदि। सोमवार के दिन भगवान शिव जी की विधि विधान से पूजा-अर्चना करने से महादेव अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं।
कुछ लोग, भगवान शिव और शंकर (Shiv & Shankar difference) को अलग-अलग देवता के रूप में मानते हैं तो कुछ एक ही माने हैं। आज हम आपको इसी के बारें में बताएगे कि शिव और शंकर एक है या अलग हैं।
जानिए क्या है शिव और शंकर में अंतर
हिन्दू धर्म के मुताबिक, शिव और शंकर (Shiv & Shankar difference) की आकृति अलग होती हैं। कई जगह शंकर को शिवलिंग के चित्रि में दिखाया जाता है तो कहीं शिव जी का नाम भगवान शंकर के साथ जोड़ा जाता है। इसके अलावा कहीं शंकर जी को ऊंचे पर्वत पर तपस्या में लीन के रूप में दिखाया जाता है तो कहीं शिव जी को ज्योति बिंदु के स्वरूप माना जाता है, जिनकी ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजा-अर्चना की जाती हैं।
शिव जी के तीन प्रमुख कर्तव्य
पुराणों में, भगवान शिव जी के तीन प्रमुख कर्तव्यों के बारे में बताया गया है। जो है सत युगी दुनिया की स्थापना करना, दैवीय दुनिया का पालन करना और पतित दुनिया का विनाश करना। इन तीनों कर्तव्यों को शिव जी तीन प्रमुख देवता ब्रह्मा, विष्णु और शंकर के द्वारा करवाते हैं। इस वजह से शिव जी को त्रिमूर्ति भी कहा जाता है। शिव जी, जन्म मरण के चक्र से मुक्त है। जबकि शंकर जी साकारी देवता है। भगवान शिव, शंकर में प्रवेश करके अपने अनुसार, कार्य करवाते हैं।
बता दें कि शिव जी (Shiv & Shankar difference) को एक निराकार ज्योति बिंदू का स्वरूप माना जाता है। जबकि शंकर जी को साकार माना जाता है।
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