महाराष्ट्र की शिंदे सरकार पर खतरा फिलहाल टल गया है। दरअसल, महाराष्ट्र के सियासी संकट के मामले को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने सात जजों की बड़ी बेंच को सौंपने का फैसला लिया। सुप्रीम कोर्ट ने शिवसेना के 16 बागी विधायकों के निलंबन पर फैसला सुनाने से इनकार कर दिया और मामला बड़ी बेंच को ट्रांसफर कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसला का साफ मतलब ये है कि अभी शिंदे सरकार बनी रहेगी। अब 7 जजों वाली बेंच इस पर अपना फैसला सुनाएगी।
फैसला सुनाते हुए सीजीआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि 2016 का नबाम रेबिया मामला, जिसमें कहा गया था कि स्पीकर को अयोग्य ठहराने की कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकती है, जब उनके निष्कासन का प्रस्ताव लंबित है, तो इसमें एक बड़ी पीठ के संदर्भ की आवश्यकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने उठाए सवाल
संविधान पीठ ने इस मामले को बड़ी बेंच के पास भेजते हुए तीखी टिप्पणी भी की। कोर्ट की ओर से कहा कि स्पीकर को दो गुट बनने की जानकारी मिली थी। भरत गोगावले को चीफ व्हिप बनाने का स्पीकर का निर्णय गलत था। स्पीकर को जांच करके फैसला लेना चाहिए था। स्पीकर को सिर्फ पार्टी व्हिप को मान्यता देनी चाहिए। उन्होंने सही व्हिप को जानने की कोशिश नहीं की। कोर्ट की ओर से कहा गया कि शिवसेना के बीच आंतरिक मतभेद थे, जिसका हल फ्लोर टेस्ट से संभव नहीं था। फ्लोर टेस्ट कराने से पहले गर्वनर को सलाह लेनी चाहिए थी। पार्टी के कलह में राज्यपाल को दखल नहीं देना चाहिए। असली पार्टी का दावा सही नहीं है। चुनाव आयोग को सिंबल जारी करने से नहीं रोका जा सकता है। विश्वासमत के लिए अंदरूनी कलह का आधार काफी नहीं है।
‘उद्धव नहीं देते इस्तीफा तो…’
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने राज्यपाल के फैसले को संविधान के खिलाफ बताया था। इसके साथ की कोर्ट की ओर से ये भी कहा गया कि उद्धव सरकार इसलिए बहाल नहीं की जा सकती थी, क्योंकि मुख्यमंत्री पहले ही अपना इस्तीफा दे चुके थे। उद्धव ठाकरे अगर इस्तीफा नहीं देते, तो स्थिति अलग होती और उन्हें राहत मिल सकती थी। स्वेच्छा से दिए गए इस्तीफे को कोर्ट निरस्त नहीं कर सकता।
आपको बता दें कि उद्धव गुट की ओर से एकनाथ शिंदे समेत 15 विधायकों के बागी होने के बाद इनकी अयोग्यता की मांग की गई थी। गौरतलब है कि जून 2022 में एकनाथ शिंदे और उनके गुट के विधायकों ने शिवसेना से बगावत कर दी थी। इसके बाद 29 जून 2022 को उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी गठबंधन की सरकार गिर गई। शिवसेना के बागी गुट ने BJP के समर्थन से राज्य में सरकार बनाई और एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बने। वहीं एकनाथ शिंदे समेत 16 बागी विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में विधानसभा उपाध्यक्ष के फैसले के खिलाफ याचिका दायर कर अपनी अयोग्यता पर रोक लगाने की मांग गई थी।
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