Shardiya Navratri 2024: हिंदु धर्म में पंचांग के अनुसार आश्विन महीने को धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह पूरे साल का ऐसा महीना है जिसमें सबसे ज्यादा त्योहार आते हैं। इस महीने की शुरुआत ही त्योहार से होती है और समापन भी त्योहार से ही होता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार आश्विन महीना अक्टूबर में आता है। अक्टूबर के महीने में कई बङे-बङे त्योहार और व्रत आते हैं जिन्हें बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।
आश्विन महीने की शुरुआत हिंदू धर्म के पावन पर्व नवरात्रि से होती है। जिसे शारदीय नवरात्रि कहते हैं। हिंदू परंपरा में नवरात्रि का त्योहार वर्ष में दो बार मनाया जाता है। एक चैत्र मास में और दूसरा आश्विन मास में। नवरात्रि का अर्थ है नव और रात्रि जिसका अर्थ है नौ रातें। नवरात्रि में दुर्गा माता के नौ अलग-अलग रुपों की पूजा की जाती है।
कब मनाई जाती है शारदीय नवरात्रि ?
शारदीय नवरात्रि हर साल आश्विन महीने में कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से शुरु होकर नवमी तिथि को समाप्त होती है।
क्यों मनाई जाती है नवरात्रि ? Shardiya Navratri 2024
आश्विन के महीने में आने वाले शारदीय नवरात्रि के महात्मय को सर्वोपरि माना जाता है। इसका कारण है कि इसी समय देवताओं ने राक्षसों से परास्त होकर आद्या शक्ति की प्रार्थना की थी। एक काल में दैत्यों की भारी सेना ने मिलकर देवताओं के सभी लोकों पर आक्रमण कर दिया और अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया था। जब सभी देवता सभी तरह के प्रयास के बाद भी दैत्यों से अपनी रक्षा नहीं कर पाए तब सबने मिलकर आद्या शक्ति रुपी देवी को पुकारा।
देवताओं की पुकार सुनकर माँ का अविर्भाव हुआ। तब माँ ने सभी राक्षसों का संहार किया और देवताओं की रक्षा की। राक्षसों के अत्याचार से मुक्ति पाने पर सभी देवताओं ने मिलकर देवी माँ की स्तुति की। उसी पावन स्मृति में शारदीय नवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है।
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इस वर्ष कब है शारदीय नवरात्रि ? Shardiya Navratri 2024
इस वर्ष शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर 2024 दिन गुरुवार से शुरु होकर 12 अक्टूबर 2024 दिन शनिवार को समाप्त हो रहा है। इस वर्ष तृतीय तिथि दो दिन होने के कारण नवरात्रि नौ दिन के स्थान पर दस दिन की मनाई जाएगी।
कैसे करें नवरात्रि की पूजा ?
नवरात्रि के पहले दिन सुबह उठकर स्नान करके साफ कपङे धारण करें।
अपने मंदिर की साफ-सफाई करें।
नवरात्रि में दुर्गा माता को नौ दिनों के लिए एक लकङी की चौकी पर विराजमान कराया जाता है।
लकङी की चौकी पर साफ लाल या पीला कपङा बिछाएं। उस कपङे पर दुर्गा माता की मूर्ति या प्रतिमा स्थापित करें।
माता रानी की मूर्ति को लाल रंग की चुनरी और फूलों की माला चढाई जाती है।
नवरात्रि में नौ दिनों तक माता रानी की प्रतिमा के सामने घी की अखंड ज्योति जलाई जाती है। जिसका अर्थ है कि वह
ज्योति नौ दिनों तक बिना बुझे जलाई जाती है। वह ज्योति नवरात्रि के अंतिम दिन नवमी को ही शांत की जाती है।
चौकी पर माता की प्रतिमा के पास एक लोटे में सिक्का और सुपारी डालकर उस लोटे के ऊपर एक नारियल रखते हैं।
नारियल को लाल रंग की चुनरी, पान के पत्ते और फूलों से सजाया जाता है। नौ दिनों तक वह लोटा और नारियल माता की प्रतिमा के पास रखा जाता है।
एक मिट्टी के पात्र में साफ रेत में जौ डालकर उसे नौ दिनों तक सींचा जाता है।
हर रोज सुबह दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है। जिसमें दुर्गा माता के नौ अलग-अलग रुपों ने किस प्रकार दैत्यों का संहार किया इसका वर्णन सुनने को मिलता है।
दुर्गा माता के भक्त नवरात्रि के पूरे नौ दिन व्रत रखते हैं और माता के नौ अलग-अलग रुपों की पूजा करते हैं।
नवरात्रि के अंतिम दिन यानि नवमी तिथि को कन्याओं का पूजन किया जाता है। माता रानी को हलुआ, पूरी और काले चने का भोग लगाकर अपना व्रत खोला जाता है।
शारदीय नवरात्रि का महत्व
आश्विन माह में आने वाले शारदीय नवरात्रि मुख्य रुप से पाप और बुराई पर जीत को दर्शाती है। रामायण काल में भगवान राम ने रावण से युद्ध करने से पहले नौ दिनों तक शारदीय नवरात्रि में दुर्गा देवी के सभी नौ रुपों की पूजा और व्रत किया था। तब जाकर प्रभु श्री राम को विजय दशमी के दिन रावण की मृत्यु कर युद्ध जीता था। महाभारत काल में पांडवों ने भी युद्ध में विजय प्राप्त करने के लिए श्री कृष्ण के परामर्श पर शारदीय नवरात्रि की पावन बेला पर दुर्गा देवी के नौ रुपों की पूजा की थी।