Death by Injection : दुनियाभर के दशों में मौत (Death) की सजा देना का अपना नियम और अपना कानून हैं। अमेरिका में एक अनोखे तरीके से दोषी को मौत की सजा दी जाती है। 7 दिसम्बर, 1982 के दिन पहली बार, अमेरिका में एक जहरीले इंजेक्शन से दोषी को सजा दी गई। हालांकि इस तरह की सजा के बाद, ये सवाल उठने लगा था कि सजा देने का ये तरीका कितना मानवीय है ..?
सजा-ए-मौत की कहानी
विश्व में सबसे पहले अमेरिका के टेक्सास शहर (texas city of USA) में चार्ल्स ब्रूक्स जूनियर (Charles Brooks Jr.) नामक व्यक्ति को जहरीला इंजेक्शन देकर मौत की सजा सुनाई गई थी। चार्ल्स पर डेविड ग्रेगरी नाम के ऑटो मैकेनिक की हत्या का मामला दर्ज था। दोषी साबित होने के बाद उन्हें इस तरीके से मौत की सजा दी गई।
ब्रूक्स को मौत की सजा देने के लिए, खास तरह की दवाओं का कॉकटेल तैयार किया गया। इंजेक्शन लगते ही इंसान का दिमाग और शरीर तेजी से सुन्न पड़ने लगता है। शरीर का हर अंग पैरालाइज हो जाता है। साथ ही दिल की धड़कने थमने से व्यक्ति की मौत हो जाती हैं।
विवाद और बहस के बाद भी यह तरीका रहा जारी
बूक्स (Charles Brooks Jr.) को सजा देने के बाद, दुनिया भर में इस तरह की मौत की सजा पर सवाल उठने लगे थे। आम नागरिकों और डॉक्टर्स के बीच इस बात पर बहस चल रहीं थी कि, जहरीला इंजेक्शन लगाकर मौत देने की यह प्रक्रिया कितनी जायज है और कितनी नहीं। डॉक्टर्स का मानना था कि इस तरह की सजा से मरने वाले इंसान को दर्द नहीं होगा। जबकि गैस, बिजली के झटके या लटका कर मारने की सजा में व्यक्ति को बहुत ज्यादा दर्द का सामना करना पढता हैं। इसलिए इस तर्क को देकर इस तरह की सजा को स्वीकार्य कर लिया गया।