Sensex Opening Bell: अक्टूबर 2024 में विदेशी निवेशकों की तरफ से रिकॉर्ड बिकवाली ने भारतीय शेयर बाजारों पर भारी दबाव डाला। शुक्रवार के शुरुआती कारोबार में निफ्टी इंडेक्स 0.34 प्रतिशत यानी 84 अंक की गिरावट के साथ 24,664.95 अंक पर खुला, जबकि बीएसई सेंसेक्स इंडेक्स 257 अंक या 0.32 प्रतिशत गिरकर 80,749.26 पर आ गया। बाजार में लगातार चौथे दिन गिरावट का दौर जारी रहा, जिससे निवेशकों के बीच चिंता बढ़ी।
इस गिरावट के कई प्रमुख कारण रहे, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण है विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) द्वारा बड़े पैमाने पर बिकवाली। एफआईआई लगातार भारतीय बाजारों से निकासी कर रहे हैं, जिससे बाजार पर दबाव बढ़ता जा रहा है। गुरुवार को एफआईआई ने 7,421.40 करोड़ रुपये की इक्विटी बेची, जो बाजार में गिरावट का मुख्य कारण बना। इसके अलावा, इंफोसिस जैसी प्रमुख आईटी कंपनियों के शेयरों में बिकवाली ने बाजार को और कमजोर किया।
इंफोसिस के नतीजों पर असर
इंफोसिस, जो भारत की दूसरी सबसे बड़ी आईटी सेवा निर्यातक कंपनी है, ने अपनी दूसरी तिमाही के नतीजे जारी किए। कंपनी ने शुद्ध लाभ में लगभग 5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की, लेकिन यह निवेशकों को खुश करने में विफल रही। इसके परिणामस्वरूप इंफोसिस के शेयरों में भारी बिकवाली देखी गई। सेंसेक्स की 30 प्रमुख कंपनियों में से इंफोसिस, टाइटन, मारुति, नेस्ले और हिंदुस्तान यूनिलीवर के शेयरों में सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज की गई।
इंफोसिस के शेयरों की कमजोरी ने पूरे आईटी सेक्टर को प्रभावित किया, और निफ्टी आईटी इंडेक्स में 1.21 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। इसके अलावा, अन्य प्रमुख सेक्टरों पर भी बिकवाली का दबाव बना रहा, जिसमें एफएमसीजी और प्राइवेट बैंक इंडेक्स को छोड़कर अधिकांश इंडेक्स लाल निशान में खुले।
विदेशी निवेशकों का प्रभाव
एफआईआई की बिकवाली भारतीय बाजारों में गिरावट का प्रमुख कारण रही है। भारतीय शेयर बाजारों के ऊंचे मूल्यांकन के चलते एफआईआई लगातार अपने निवेश निकाल रहे हैं। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार के अनुसार, “भारत में उच्च मूल्यांकन के कारण एफआईआई की ओर से निरंतर बिकवाली बाजार में गिरावट का मुख्य कारण रहा।”
हालांकि, बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले हफ्तों में स्थिति में सुधार हो सकता है। बैंकिंग और मार्केट एक्सपर्ट अजय बग्गा ने कहा कि एफआईआई की बिकवाली अब आधे रास्ते पर है और जैसे-जैसे यह कम होगी, घरेलू निवेश प्रवाह बाजार की रिकवरी में मदद करेगा। उन्होंने आगे कहा, “जब रिकवरी होगी, तो यह तेज और केंद्रित होगी, जिससे लंबी अवधि के निवेशकों को बाजार की अस्थिरता के दौरान टिके रहने का प्रोत्साहन मिलेगा।”
ये भी पढ़े:-Stock Market Today : शेयर बाजार आज तेज़ी के साथ खुला, सेंसेक्स 300 अंक उछला और 25,900 के पार
वैश्विक बाजारों का असर
भारतीय शेयर बाजारों में गिरावट का असर वैश्विक घटनाक्रमों से भी जुड़ा है। शुक्रवार को एशियाई बाजारों में भी मिश्रित रुख देखा गया। सियोल के बाजारों में गिरावट दर्ज की गई, जबकि टोक्यो, शंघाई और हांगकांग के बाजारों में बढ़त रही। इसके विपरीत, गुरुवार को अमेरिकी बाजारों में मिश्रित रुझान देखा गया। एसएंडपी 500 सूचकांक मामूली बढ़त के साथ बंद हुआ, जबकि नैस्डैक सूचकांक मामूली गिरावट के साथ बंद हुआ। वैश्विक तेल बाजार में भी उतार-चढ़ाव रहा, जिसमें ब्रेंट क्रूड की कीमत 0.20 प्रतिशत बढ़कर 74.60 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई।
प्रमुख कंपनियों के नतीजे
भारतीय बाजार में आज कुछ प्रमुख कंपनियों के नतीजे आने वाले हैं, जिनमें जियो फाइनेंशियल सर्विसेज, हिंदुस्तान जिंक, टाटा कंज्यूमर, आईसीआईसीआई इंश्योरेंस और एलएंडटी फाइनेंस शामिल हैं। इन कंपनियों के तिमाही नतीजे बाजार की दिशा को प्रभावित कर सकते हैं। विशेष रूप से, एक्सिस बैंक के नतीजे भी महत्वपूर्ण हैं, जिसने अपनी सितम्बर तिमाही में 19.29 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की। हालांकि, बैंक ने असुरक्षित ऋण खंड में कठिनाई की सूचना दी, जो निवेशकों के लिए चिंता का विषय हो सकता है।
रिकवरी की उम्मीद
बाजार के विशेषज्ञों का मानना है कि हालांकि वर्तमान में बिकवाली का दबाव बना हुआ है, लेकिन आने वाले हफ्तों में बाजार में रिकवरी की उम्मीद है। विदेशी निवेशकों की बिकवाली के बावजूद, घरेलू निवेशक अभी भी बाजार में सक्रिय हैं और आने वाले समय में उनके द्वारा किए गए निवेश बाजार को स्थिर कर सकते हैं। इसके अलावा, भारत की मजबूत आर्थिक नींव और कंपनियों की बेहतर कमाई की संभावनाएं बाजार की लंबी अवधि की स्थिति को मजबूत कर सकती हैं।
भारतीय शेयर बाजारों में अक्टूबर 2024 में जारी गिरावट विदेशी निवेशकों की बिकवाली, इंफोसिस के कमजोर नतीजों और वैश्विक बाजारों के मिले-जुले रुझान का परिणाम रही। हालांकि, बाजार विशेषज्ञों को उम्मीद है कि आने वाले हफ्तों में स्थिति में सुधार हो सकता है और घरेलू निवेशकों के मजबूत प्रवाह से बाजार में रिकवरी हो सकती है।