Share Market: शुक्रवार को भारतीय शेयर बाजार में सेंसेक्स और निफ्टी 50 इंडेक्स लगातार पांचवें दिन गिरावट के साथ खुले, जिसके पीछे प्रमुख कारण वैश्विक स्तर पर कमजोर संकेत और घरेलू बाजार में बढ़ती बिकवाली थी। यह गिरावट मुख्य रूप से रिलायंस इंडस्ट्रीज, बैंकिंग और वित्तीय शेयरों के कारण देखी गई, जिनका बाजार पर अधिक प्रभाव है। सुबह 9:32 बजे तक बीएसई सेंसेक्स 410 अंक (0.5%) की गिरावट के साथ 82,086 पर आ गया, जबकि निफ्टी 50 इंडेक्स में 140 अंक (0.56%) की गिरावट दर्ज की गई और यह 25,094 पर कारोबार कर रहा था।
सेंसेक्स के प्रमुख घटक शेयरों में सबसे बड़ी गिरावट रिलायंस इंडस्ट्रीज, आईसीआईसीआई बैंक, बजाज फाइनेंस, एचडीएफसी बैंक, एलएंडटी और एशियन पेंट्स में देखी गई। इन शेयरों की कमजोरी ने सेंसेक्स को नीचे खींचा। दूसरी तरफ, कुछ कंपनियों के शेयरों ने हल्की बढ़त दिखाई। इनमें टीसीएस, एचसीएल टेक, इंडसइंड बैंक, टाटा मोटर्स और टेक महिंद्रा के नाम प्रमुख हैं, जिन्होंने शुरुआती कारोबार में सकारात्मक रुझान दिखाया।
वैश्विक तनाव और निवेशकों की सतर्कता
पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव ने वैश्विक निवेशकों के बीच सावधानी बढ़ा दी है। ईरान और इस्राइल के बीच तनाव बढ़ने की संभावना से बाजारों में अस्थिरता पैदा हो गई है। इस हफ्ते की शुरुआत में ईरान ने इस्राइल पर बैलेस्टिक मिसाइल से हमला किया था, जिसने इस क्षेत्र में अशांति को नए स्तर पर पहुंचा दिया है। इस घटनाक्रम के बाद निवेशक नए निवेश करने से बच रहे हैं और जो पहले से निवेश कर चुके हैं, वे बाजार से निकलने की कोशिश कर रहे हैं। वैश्विक स्तर पर यह स्थिति तेल की कीमतों में वृद्धि की ओर संकेत करती है, जिससे आर्थिक अस्थिरता और बाजार की नकारात्मक प्रतिक्रिया बढ़ने की संभावना है।
तेल की कीमतें, जो पहले से ही एक साल के उच्चतम स्तर पर हैं, इस संकट के कारण और भी बढ़ सकती हैं। निवेशकों को डर है कि अगर यह तनाव बढ़ता है, तो कच्चे तेल की आपूर्ति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है, जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों में और बढ़ोतरी हो सकती है। इसका असर एशियाई बाजारों में देखा जा रहा है, जहां शुक्रवार को प्रमुख इंडेक्स में गिरावट आई।
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घरेलू बाजार में विदेशी निवेशकों की बिकवाली
घरेलू बाजार में विदेशी निवेशकों की बिकवाली लगातार जारी है, जो भारतीय बाजारों पर अतिरिक्त दबाव बना रही है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) भारतीय बाजार से अपनी पूंजी निकाल रहे हैं, जिससे बाजार की अस्थिरता और बढ़ गई है। इस बिकवाली का मुख्य कारण वैश्विक अनिश्चितता और बढ़ती ब्याज दरें हैं, जो निवेशकों को सुरक्षित संपत्तियों में निवेश करने की दिशा में प्रेरित कर रही हैं। इसके अलावा, अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की मौद्रिक नीति में सख्ती और डॉलर की मजबूती भी विदेशी निवेशकों की बिकवाली को बढ़ावा दे रही है।
सेक्टोरल प्रदर्शन
शेयर बाजार में शुक्रवार को अधिकांश सेक्टर्स में गिरावट देखी गई। निफ्टी रियल्टी इंडेक्स में सबसे बड़ी गिरावट आई, जो शुरुआती कारोबार में 3.5% तक टूट गया। इस सेक्टर के प्रमुख शेयर जैसे फोनिक्स मिल्स, लोढ़ा, प्रेस्टीज और डीएलएफ में भारी बिकवाली हुई। इसके अतिरिक्त, निफ्टी ऑटो, मीडिया, मेटल, पीएसयू बैंक, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और ऑयल एंड गैस सेक्टर्स में भी 1% से 2% तक की गिरावट दर्ज की गई।
डीमार्ट के शेयरों में 4.4% की बड़ी गिरावट देखने को मिली, जिसका कारण ब्रोकरेज फर्म्स की ओर से वित्तीय वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही के नतीजों पर मिली-जुली प्रतिक्रिया थी। डीमार्ट के प्रदर्शन पर नकारात्मक प्रतिक्रिया के चलते इसके शेयरों पर दबाव देखा गया, जिससे निवेशकों ने इन शेयरों को बेचने की प्रवृत्ति दिखाई।
प्रमुख स्टॉक्स और सेक्टर्स की स्थिति
रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों में गिरावट का कारण इसके प्रमुख कारोबार से जुड़ी चिंताएँ थीं। रिलायंस का तेल और गैस कारोबार वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों से प्रभावित होता है, और पश्चिम एशिया के तनाव के चलते निवेशक इस सेक्टर में जोखिम से बच रहे हैं। इसके अलावा, बैंकिंग और वित्तीय सेक्टर के शेयरों में भी गिरावट आई, जिसका प्रमुख कारण वैश्विक ब्याज दरों में बढ़ोतरी की संभावना और बढ़ती एनपीए (नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स) की चिंताएँ हैं।
एचडीएफसी बैंक और बजाज फाइनेंस जैसे प्रमुख वित्तीय संस्थानों के शेयरों में भी गिरावट देखने को मिली। इन शेयरों में गिरावट का मुख्य कारण घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बढ़ती ब्याज दरें और क्रेडिट जोखिम थे, जिसने निवेशकों की चिंता बढ़ाई।
हालांकि, आईटी सेक्टर ने कुछ मजबूती दिखाई, जहां टीसीएस, एचसीएल टेक और टेक महिंद्रा के शेयरों में बढ़त देखी गई। आईटी कंपनियों को वैश्विक स्तर पर आउटसोर्सिंग और डिजिटलीकरण की बढ़ती मांग से लाभ हो रहा है। इसके अलावा, इंडसइंड बैंक और टाटा मोटर्स के शेयरों में भी हल्की बढ़त दर्ज की गई, जो बाजार में कुछ हद तक स्थिरता प्रदान कर रहे थे।
भारतीय शेयर बाजार में शुक्रवार को गिरावट का प्रमुख कारण वैश्विक बाजारों से मिल रहे कमजोर संकेत और घरेलू स्तर पर विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली थी। पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों ने निवेशकों को सतर्क कर दिया है, जिससे वे जोखिम उठाने से बच रहे हैं। हालांकि, आईटी सेक्टर में कुछ सकारात्मकता देखी गई, लेकिन कुल मिलाकर बाजार पर दबाव बना हुआ है।