Friday, October 18, 2024
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Senior Living Market: जानें भारत में क्यों हो रहा सीनियर लिविंग मार्केट का विकास?

Senior Living Market: भारत में संपत्ति खरीदने की प्रवृत्ति गहरी जड़ें जमाए हुए है और केवल 30 प्रतिशत लोग ही किराए या लीजिंग का विकल्प चुनते हैं। इसका मुख्य कारण है भारतीयों का संपत्ति के प्रति विशेष लगाव और सुरक्षा की भावना। इसी सोच के कारण बुढ़ापे में भी लोग अपने घर को लेकर आत्मनिर्भर रहना चाहते हैं।

वर्तमान समय में बुजुर्गों की जीवनशैली में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। वे अपनी स्वतंत्रता (Senior Living Market) का अनुभव करना चाहते हैं और एक ऐसे वातावरण में रहना पसंद करते हैं जो उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार कर सके। यही वजह है कि भारत में सीनियर लिविंग मार्केट एक महत्वपूर्ण आर्थिक अवसर के रूप में उभर रहा है।

क्या है सीनियर लिविंग मार्केट ?

सीनियर लिविंग मार्केट एक ऐसा क्षेत्र है जो विशेष रूप से 60 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए विकसित किया गया है। यह बाजार बुजुर्गों को एक सुरक्षित, आरामदायक और सहयोगी वातावरण प्रदान करता है, जिसमें वे स्वतंत्र रूप से और सक्रिय जीवनशैली के साथ रह सकते हैं। इन सुविधाओं में स्वतंत्र आवास, सहायता प्राप्त आवास और नर्सिंग होम जैसी विकल्प शामिल हैं, जो बुजुर्गों की विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।

सीनियर लिविंग के प्रकार

  1. स्वतंत्र आवास: यह उन लोगों के लिए होता है जो अपनी दैनिक गतिविधियों का प्रबंधन खुद कर सकते हैं और उन्हें अधिक स्वतंत्रता की आवश्यकता होती है। इन आवासों में बुजुर्गों को आवश्यक सेवाएं और सुविधाएं प्रदान की जाती हैं।
  2. सहायता प्राप्त आवास: इसमें उन सीनियर्स की मदद की जाती है जिन्हें दैनिक जीवन में कुछ सहायता की जरूरत होती है, जैसे कि सफाई, खाना बनाना, और दवाइयों का प्रबंधन।
  3. नर्सिंग होम: नर्सिंग होम उन बुजुर्गों के लिए होते हैं जिन्हें चिकित्सा सेवाओं या गहन देखभाल की जरूरत होती है। इसमें सीनियर्स की दैनिक देखभाल की जाती है।

सीनियर लिविंग की मांग में वृद्धि के कारण

भारत में वरिष्ठ नागरिकों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, और अगले 25 वर्षों में यह संख्या दोगुनी होने की उम्मीद है। वर्तमान में बुजुर्ग केवल स्वास्थ्य समस्याओं के कारण ही सीनियर लिविंग (Senior Living Market) की ओर रुख नहीं कर रहे, बल्कि वे इसे एक बेहतर जीवनशैली के रूप में देख रहे हैं। नई पीढ़ी के सीनियर्स स्वतंत्र रहना चाहते हैं और अपनी जीवनशैली के अनुसार जीवनयापन करना चाहते हैं।

नई मानसिकता और स्वतंत्रता का महत्व

आज के बुजुर्ग अब पारंपरिक मानसिकता से हटकर स्वतंत्रता का अनुभव करना चाहते हैं। कई लोग रिटायरमेंट के बाद अपने जीवन को नए सिरे से जीना चाहते हैं। मैनसुम सीनियर लिविंग के (Senior Living Market) सह-संस्थापक अनंताराम वरयूर का मानना है कि सीनियर्स एक ऐसी जगह पर रहना चाहते हैं जहां उनकी सभी आवश्यकताएं पूरी की जा सकें। सीनियर्स को अब अपने बच्चों के साथ रहने की अनिवार्यता महसूस नहीं होती, जिससे वे अपनी स्वतंत्रता का आनंद ले सकते हैं।

सीनियर लिविंग मार्केट में आर्थिक अवसर

भारत में सीनियर लिविंग का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। अनुमान है कि 2024 तक इस बाजार की मांग 18-20 लाख यूनिट्स तक पहुंच जाएगी। हालांकि, इस मांग की तुलना में सप्लाई अभी काफी कम है। 2030 तक सप्लाई में वृद्धि की उम्मीद है, लेकिन फिर भी मांग की तुलना में यह कम ही रहेगी, जिससे इस क्षेत्र में निवेश की संभावनाएं और अधिक बढ़ जाती हैं।

क्षेत्रीय अंतर

भारत के उत्तर और दक्षिण क्षेत्रों में सीनियर लिविंग की मांग और स्वीकृति में बड़ा अंतर है। दक्षिण भारत में सीनियर लिविंग को स्वतंत्र जीवनशैली के रूप में स्वीकार किया गया है, जबकि उत्तर भारत (Senior Living Market) के बुजुर्ग अब भी परिवार के साथ रहना पसंद करते हैं। हालांकि, धीरे-धीरे उत्तर भारत में भी इस सोच में बदलाव आ रहा है, और सीनियर्स एक शांत और आरामदायक जीवनशैली की ओर आकर्षित हो रहे हैं।

नीति और नियमन का महत्व

सीनियर लिविंग मार्केट (Senior Living Market) के विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार और नीति निर्माताओं का विशेष योगदान है। नीति आयोग ने सीनियर केयर सुविधाओं के लिए मानक निर्धारित किए हैं और सिंगल विंडो अप्रूवल की सिफारिश की है। यह डेवलपर्स को तेजी से परियोजनाओं को पूरा करने और बुजुर्गों के लिए आवास उपलब्ध कराने में सहायता करेगा।

सिंगल विंडो अप्रूवल क्या है?

सिंगल विंडो अप्रूवल एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से परियोजनाओं के लिए जरूरी अनुमतियां और लाइसेंस एक ही स्थान पर प्राप्त किए जा सकते हैं। इससे समय और प्रयास की बचत होती है और परियोजनाओं को तेजी से पूरा किया जा सकता है।

संपत्ति की खरीदारी की प्राथमिकता

भारत में सीनियर्स संपत्ति खरीदने को प्राथमिकता देते हैं। केवल 30 प्रतिशत लोग ही लीजिंग का विकल्प चुनते हैं। संपत्ति के प्रति यह झुकाव भारतीय मानसिकता को दर्शाता है, जिसमें संपत्ति को (Senior Living Market) सुरक्षा और स्थिरता का प्रतीक माना जाता है। डेवलपर्स को बुजुर्गों के लिए नए विकल्पों की पेशकश करनी चाहिए, जैसे गारंटीड बायबैक विकल्प, जो उनके निवेश को सुरक्षित बना सके।

जीवनशैली में बदलाव

सीनियर लिविंग (Senior Living Market) का बढ़ता बाजार भारत में एक नई जीवनशैली का प्रतीक है। बुजुर्ग अब अपने जीवन के आखिरी वर्षों को स्वतंत्रता और खुशहाली के साथ जीने के लिए नए विकल्पों की तलाश कर रहे हैं। यह न केवल आर्थिक अवसर प्रदान करता है, बल्कि समाज में एक सकारात्मक बदलाव भी ला रहा है।

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