Friday, November 22, 2024
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SEBI प्रमुख माधबी पुरी बुच के खिलाफ आरोपों की जांच शुरू, जानिए क्या हैं आरोप

SEBI : भारतीय पूंजी बाजार नियामक, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी), की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच के खिलाफ हाल के आरोपों ने एक नया मोड़ ले लिया है। हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में उन्हें अदाणी समूह के खिलाफ उठाए गए आरोपों से जोड़कर देखा गया है, और यह मामला अब संसदीय लोक लेखा समिति (पीएसी) के ध्यान में आ गया है। इस लेख में हम इस विवाद के विभिन्न पहलुओं की समीक्षा करेंगे और यह समझने का प्रयास करेंगे कि यह मुद्दा सेबी और उसके प्रमुख के लिए क्या मायने रखता है।

पीएसी का संज्ञान और उसकी भूमिका

संसदीय लोक लेखा समिति (पीएसी) ने हाल ही में सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच के खिलाफ आरोपों की जांच करने का निर्णय लिया है। इस निर्णय के पीछे मुख्य कारण हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में उठाए गए आरोप हैं, जो कि सेबी की जांच प्रक्रिया और बुच के खिलाफ आरोपों पर केंद्रित हैं। पीएसी की अगली बैठक 10 सितंबर को आयोजित होने वाली है, लेकिन यह जल जीवन मिशन के ऑडिट समीक्षा तक सीमित रहेगी। इसके बाद, इस महीने के अंत में पीएसी की एक और बैठक आयोजित की जा सकती है, जिसमें वित्त और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के अधिकारियों को तलब किया जा सकता है।

बुच पर लगे आरोप | SEBI

माधबी पुरी बुच पर कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं 

हितों का टकराव: हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार, सेबी की जांच प्रक्रिया में हितों का टकराव हो सकता है, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या सेबी ने सही तरीके से जांच की है।

भ्रष्टाचार और वित्तीय विवाद: कांग्रेस पार्टी ने आईसीआईसीआई बैंक से बुच को किए गए भुगतान पर सवाल उठाया है। बुच के पूर्व नियोक्ता, आईसीआईसीआई बैंक द्वारा उन्हें दिए गए लाभ और सेबी में वेतन प्राप्त करने के बावजूद आय प्राप्त करने के आरोप भी सामने आए हैं।

कर्मचारियों की शिकायतें: जी के संस्थापक सुभाष चंद्रा और सेबी के कर्मचारियों ने वित्त मंत्रालय को लिखित शिकायतें की हैं, जिनमें उन्होंने बुच के भ्रष्ट आचरण और सेबी के खराब प्रबंधन के आरोप लगाए हैं।

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सेबी का Counter Argument

सेबी ने इन आरोपों का खंडन किया है। सेबी का कहना है कि कर्मचारियों द्वारा किए गए दावों के पीछे “बाहरी तत्व” थे और कार्यस्थल पर “सार्वजनिक अपमान” की शिकायतें गलत जगह की गई थीं। सेबी ने यह भी कहा कि आरोपों के पीछे राजनीतिक और बाहरी दबाव हो सकते हैं।

पीएसी की आगामी बैठक और संभावित परिणाम

पीएसी की आगामी बैठक में यह देखने के लिए महत्वपूर्ण होगा कि वे इस मुद्दे की जांच कैसे करते हैं और क्या कोई ठोस कदम उठाए जाते हैं। विपक्षी दलों ने इस मामले की स्वतंत्र जांच की मांग की है, यह तर्क देते हुए कि यह राष्ट्रीय हित में है और विदेशी निवेशकों के भरोसे को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।

पीएसी के अध्यक्ष केसी वेणुगोपाल ने इस मामले को गंभीरता से लिया है, और इसमें सत्तारूढ़ एनडीए और विपक्षी इंडिया ब्लॉक दोनों के सदस्य शामिल हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि यह मामला केवल एक राजनीतिक मुद्दा नहीं बल्कि भारतीय पूंजी बाजार की अखंडता और नियामक संस्थानों की विश्वसनीयता से जुड़ा हुआ है।

माधबी पुरी बुच के खिलाफ आरोप और सेबी के खिलाफ चल रही जांच भारतीय पूंजी बाजार की स्थिरता और पारदर्शिता के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षा है। यह मामला न केवल सेबी के कार्यों की समीक्षा का प्रश्न है, बल्कि यह भी जांचने का अवसर प्रदान करता है कि भारत के वित्तीय नियामक तंत्र में सुधार की आवश्यकता है या नहीं। आने वाले दिनों में पीएसी की जांच और इसके परिणाम यह तय करेंगे कि क्या भारतीय पूंजी बाजार की नीतियों और प्रथाओं में कोई महत्वपूर्ण बदलाव किए जाने की आवश्यकता है।

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