Recently updated on July 29th, 2024 at 06:59 pm
Sawan and Kanwar Yatra : सावन के महीने में कावड़ यात्रा का बहुत खास महत्व होता हैं। हर साल लाखों लोग अलग-अलग जगह से अपनी कावड़ में गंगाजल भरकर अपने घर या गाँव तक पैदल आते हैं। अपने निवास स्थान के मंदिर में कावड़ के गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करते हैं।
सभी कावड़ यात्री सावन के महीने में ये यात्रा शुरू करते हैं और सावन महीने की त्रयोदशी यानि सावन शिवरात्रि के दिन अपनी कावड़ में भरकर लाए गंगाजल से भगवानशिव का अभिषेक कर अपनी यात्रा सम्पन्न करते हैं अब आप ये सोचेंगे के कावड़ होता क्या हैं।
क्या होती हैं कावड़ ?
कावड़ लकड़ी या बांस का एक डंडा होता हैं। इसे रंग-बिरंगे कपड़े, धागों, झंडे और फूलो से सजाया जाता हैं। इस डंडे के दोनों तरफ कलश लटकाया जाता हैं। उस कलश में गंगाजल भरकर उसे अपने कंधे पर रखकर कावड़ यात्री यात्रा करते है।
कावड़ यात्रा का इतिहास |Sawan and Kanwar Yatra
हिन्दू पुराणों के अनुसार कावड़ यात्रा की शुरुआत त्रेता युग में भगवान शिव के परम भक्त रावण ने की थी। जब समुद्र मंथन हो रहा था तब अमृत से पहले विष निकला। जिससे सारी सृष्टि में ताप पैदा होने लगा। भगवान शिव ने सृष्टि की रक्षा के लिए विष पी लिया। विष पीने से भगवान शिव का कंठ नीला हो गया।
विष की नकारात्मक ऊर्जा से भगवान शिव पीड़ित होने लगे। तब रावण ने कावड़ में गंगाजल भरकर पैदल यात्रा कर पुरामहादेव मंदिर में भगवान शिव को गंगाजल चढ़ाया। तब जाकर भगवान शिव को नकारात्मक ऊर्जा से राहत मिली। तब से हर साल सावन के महीने में भगवान शिव के गंगाजल से अभिषेक करने का विधान शुरू हुआ।
The beautiful scene of the enchanting Kanwar Yatra of Shiva devotees from Haridwar.
Bolo… Jai Mahadev ! pic.twitter.com/U27EnXvO5d
— DHARMIC BHARAT (@DharmicBharat) July 23, 2024
कावड़ यात्रा में धार्मिक आस्था
हिन्दू धर्म में सभी शिवभक्त कावड़ यात्रा में बहुत विश्वास रखते हैं। माना जाता हैं की अपनी किसी मनोकामना पूर्ति के लिए कावड़ यात्रा करने से भगवान शिव आपकी मनोकामना पूरी करते है। भक्त अपनी यात्रा पैदल पूरी करते हैं। वे मीलों तक पैदल चलकर अपने घर तक कावड़ लाते हैं।
आज के समय में ऐसा नहीं हैं की केवल आदमी या लड़के ही कावड़ यात्रा में शामिल होते हैं। अब लड़किया भी कावड़ यात्रा में जाती हैं। शिवभक्त इस कदर इसमे आस्था रखते हैं की हर कावड़ यात्री को वो भोले नाथ के दूत के रूप में देखते हैं। सभी कावड़ यात्री को उनके नाम से नहीं बुलाते। उन्हे भोले के नाम से पुकारा जाता हैं।
कावड़ यात्रा के नियम |Sawan and Kanwar Yatra
कावड़ यात्रा कोई सामान्य यात्रा नहीं हैं। इसे बहुत पवित्र माना जाता हैं और आस्था की दृष्टि से देखा जाता हैं
इसलिए कावड़ यात्रा के कुछ विशेष नियम भी होते हैं जो सभी यात्री को निभाने होते हैं :
सभी कावड़ियों को पैदल ही यात्रा करनी होती हैं।
यात्रा के दौरान किसी भी तरह के तामसिक आहार या नशीली चीज का सेवन नहीं करना चाहिए।
यात्रा से आने के बाद जब तक कावड़ में लाए गए गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक न कर दो तब तक कावड़
यात्री अपने घर में प्रवेश नहीं कर सकते।
सभी कावड़ियों को गेरुआ या केसरिया रंग के कपड़े पहनने होते हैं।
भगवान शिव का अभिषेक करने तक कोई भी कावड़िया प्याज-लहसुन का सेवन नहीं कर सकता।
एक बार कावड़ उठा लेने के बाद उसे कहीं भी धरती पर नहीं रखा जाता। इससे कावड़ अधूरी मानी जाती हैं।