Savitri Jindal : सावित्री जिंदल, जो भारत की प्रमुख उद्योगपति और बीजेपी की नेता हैं, ने आज 12 सितंबर को हिसार विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल करने का ऐलान किया है। यह निर्णय उस वक्त आया जब उन्हें उम्मीद थी कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) उन्हें टिकट देगी, लेकिन पार्टी ने मौजूदा विधायक और हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री कमल गुप्ता को ही टिकट देने का निर्णय लिया।
सावित्री जिंदल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पहले ट्विटर) पर अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए लिखा, “प्रभु कृपा से और अपने हिसार परिवार ने जो मुझे 5 सितंबर को आदेश दिया था, उसी आशीर्वाद से आज 12 सितंबर को सुबह 10.30 बजे हिसार विधानसभा के विकास और परिवर्तन के लिए नामांकन भरने जा रही हूं। आप सब का प्यार आशीर्वाद मेरी ताकत है।”
सावित्री जिंदल की राजनीतिक कैरियर
सावित्री जिंदल को हरियाणा की राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। वह भारत के बड़े उद्योग समूह, जिंदल समूह की अध्यक्ष हैं। उनका परिवार राजनीति और व्यापार में गहरी पैठ रखता है। कुरुक्षेत्र से बीजेपी सांसद नवीन जिंदल की मां, सावित्री जिंदल का राजनीति में प्रवेश तब हुआ था जब उनके पति, ओम प्रकाश जिंदल की आकस्मिक मृत्यु हो गई थी। ओम प्रकाश जिंदल ने हरियाणा में जिंदल स्टील के कारोबार को खड़ा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, और वे खुद भी एक प्रमुख राजनेता थे। उनकी मृत्यु के बाद, सावित्री जिंदल ने उनके राजनीतिक और सामाजिक कार्यों को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया।
बीजेपी से असंतोष | Savitri Jindal
हालांकि सावित्री जिंदल बीजेपी की नेता रही हैं, इस बार पार्टी से टिकट न मिलने के कारण उन्हें असंतोष हो गया। हिसार विधानसभा सीट से वे बीजेपी टिकट चाहती थीं, लेकिन पार्टी ने कमल गुप्ता को उम्मीदवार बनाकर उनके सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर दी। सावित्री जिंदल को यह निर्णय स्वीकार्य नहीं था, और उन्होंने पार्टी के इस फैसले पर असहमति जताते हुए 9 सितंबर को यह ऐलान किया कि वे निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ेंगी।
समर्थकों ने क्या कहा
सावित्री जिंदल ने अपनी घोषणा में स्पष्ट रूप से यह कहा कि वे वही करेंगी जो उनके समर्थक उनसे कहेंगे। उनके हिसार के समर्थक उन्हें इस चुनाव में लड़ने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह चुनाव उनका आखिरी चुनाव होगा, और वे इसे सेवा का अंतिम अवसर मानती हैं। उनकी यह बात उन लोगों के लिए एक संदेश है जो सोचते हैं कि उनका यह कदम सिर्फ व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा से प्रेरित है। सावित्री जिंदल ने अपने समर्थकों के विश्वास और आशीर्वाद को अपनी ताकत बताते हुए कहा कि वे अपने क्षेत्र के विकास के लिए चुनाव में उतर रही हैं।
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निर्दलीय नामांकन का फैसला
बीजेपी के नेताओं ने उन्हें मनाने की कई कोशिशें कीं, ताकि वे निर्दलीय चुनाव लड़ने के फैसले को वापस लें और पार्टी के समर्थन में काम करें। लेकिन सावित्री जिंदल ने इन सबको दरकिनार करते हुए अपने फैसले पर अडिग रहने का संकल्प लिया। उन्होंने यह घोषणा की कि वे 12 सितंबर को नामांकन दाखिल करेंगी, और उसी दिन निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव में उतरने का निर्णय लेंगी।
यह निर्णय हरियाणा की राजनीति में एक नया मोड़ लाता है, जहां एक प्रमुख उद्योगपति और बीजेपी की वरिष्ठ नेता अब स्वतंत्र रूप से चुनावी मैदान में हैं।
राजनीति में सावित्री जिंदल की छवि
सावित्री जिंदल को एक सशक्त महिला नेता के रूप में देखा जाता है, जिन्होंने न केवल व्यापार जगत में, बल्कि राजनीति में भी अपनी पहचान बनाई है। वे लंबे समय तक हरियाणा सरकार में मंत्री भी रह चुकी हैं और विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर उनकी पकड़ मजबूत रही है। उन्होंने हमेशा महिलाओं के उत्थान, शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास के मुद्दों पर काम किया है। उनके इस कदम से यह भी स्पष्ट हो रहा है कि वे अब भी अपने राजनीतिक जीवन में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहती हैं, भले ही वे बीजेपी से अलग होकर स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ें।
हिसार की राजनीति और इसका प्रभाव
हिसार हरियाणा की राजनीति में हमेशा से एक महत्वपूर्ण सीट रही है। यहां की जनता का मूड भी काफी महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह क्षेत्र व्यापार और राजनीति दोनों में सक्रिय है। सावित्री जिंदल के निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला हिसार की राजनीति को और भी अधिक रोचक बना देता है, जहां अब बीजेपी, कांग्रेस और निर्दलीय प्रत्याशी के बीच कड़ा मुकाबला हो सकता है।
कमल गुप्ता, जो मौजूदा विधायक हैं और बीजेपी के उम्मीदवार हैं, ने इस सीट पर पहले ही कई विकास कार्य किए हैं, जिनका लाभ उन्हें चुनाव में मिल सकता है। लेकिन सावित्री जिंदल का हिसार के व्यापारिक और सामाजिक क्षेत्रों में गहरा प्रभाव है, जो उन्हें एक मजबूत दावेदार बनाता है। जिंदल परिवार का व्यापारिक साम्राज्य और उनकी समाज सेवा के कार्यों का भी हिसार के मतदाताओं पर व्यापक प्रभाव हो सकता है।