Saturday, November 23, 2024
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संघ भाईचारे, मित्रता और शांति का पक्षधर है : मोहन भागवत 

Recently updated on July 25th, 2024 at 12:44 pm

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि आरएसएस को लेकर जो भ्रम फैलाया गया वो सरासर गलत है। आरएसएस सभी धर्म संप्रदाय और लोगों को साथ लेकर चलने वाली संस्था है। संघ की पिछले 90 साल से भी ज्यादा समय से यही कोशिश है कि देश में अखंडता भाईचारा और शांति बनी रहे।

आरएसएस से जुड़ा हर एक व्यक्ति देश को सर्वोपरि मानता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने विजयादशमी पर नागपुर में आयोजित आरएसएस के सालाना महोत्सव में अपने विचार देश के सामने रखे। 

मोहन भागवत ने यहां मंच से कहा कि मौजूदा समय में बेरोजगारी, जनसंख्या नीति, भेदभाव, अल्पसंख्यक, हिंदू राष्ट्र और संघ को लेकर कहीं गई बातें चर्चा में है। आरएसएस इन सभी मुद्दों पर गंभीर है। खासकर आरएसएस को लेकर फैलाए गए भ्रम को लेकर मोहन भागवत ने यहां साफ तौर पर यह भी कहा कि आरएसएस को लेकर एक भ्रम काफी तेजी से फैलाया गया कि संघ अल्पसंख्यक विरोधी है। यहां मोहन भागवत ने कहा कि संघ देश के हर एक नागरिक का बराबर सम्मान करता है। मोहन भागवत ने साफ कहा कि संघ भाईचारे, मित्रता और शांति का पक्षधर है। 

यहां आपको यह बताना आवश्यक है कि हाल ही में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने ऑल इंडिया इमाम ऑर्गनाइजेशन के चीफ इमाम डॉ. इमाम उमर अहमद इलियासी से मुलाकात की थी। इससे पूर्व भागवत से पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी और दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग सहित कई मुस्लिम बुद्धिजीवियों के एक समूह ने मुलाकात की थी।

हालांकि इस मुलाकात को लेकर कई लोगों ने संघ का काफी विरोध भी किया था। विरोधियों का कहना था कि मोहन भागवत एसी कमरों में बैठने वाले नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं और जमीनी नेताओं से वह लगातार दूरी बना रहे हैं। वहीं, आरएसएस का मुस्लिम मंच इस बात की तस्दीक करता है कि आरएसएस लगातार अल्पसंख्यक वर्ग को लेकर गंभीर है और उनके उत्थान को लेकर तत्पर भी रहता है। तीन तलाक का मामला हो या फिर देश में अल्पसंख्यक आयोग के विस्तार का मामला, सभी को लेकर सरकार की नीति इस बात की गवाही देने के लिए काफी है कि देश में मुस्लिम समुदाय देश की नीतियों से संतुष्ट है। खासकर, उत्तर प्रदेश की बात की जाए तो इस बार उत्तर प्रदेश सरकार को फिर से सत्ता में लाने के काम में मुस्लिम महिलाओं का बड़ा योगदान है। 

संस्कार सिर्फ स्कूल-कॉलेजों से नहीं बन सकते: RSS प्रमुख 

मंच से मोहन भागवत ने यह भी कहा कि सामाजिक आयोजनों में, जनमाध्यमों के द्वारा, नेताओं के द्वारा संस्कार मिलते हैं। केवल कॉलेजों से संस्कार नहीं मिलते हैं। केवल स्कूली शिक्षा पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। सबसे ज्यादा प्रभाव घर के वातावरण, समाज के वातावरण का होता है। नई शिक्षा नीति की बहुत बातें हो रही हैं, लेकिन क्या हम अपनी भाषा में पढ़ना चाहते हैं? एक भ्रम है कि अंग्रेजी से रोजगार मिलता है। ऐसा नहीं है। 

जो कार्रवाइयां चल रही हैं, भोले मन से समाज उसमें फंसे नहीं: भागवत 

हमारे बीच दूरियां बढ़ाने के लिए सतत प्रयास करते रहते हैं जिससे देश में आतंक का वातावरण बने। किसी को कोई डर न रहे, अनुशासन न रहे, ऐसा प्रयास हमेशा चलते रहते हैं। हम उनको पैठ दें, इसलिए वो हमसे नजदीकी जताते हैं। जाति, पंथ, संप्रदाय के नाम पर वो हमारे हमदर्द बनके आते हैं जबकि उनका अपना हित होता है। वो अपने हितों के लिए देश-समाज के विरोधी बन जाते हैं। भागवत ने गैर-कानूनी घोषित किए गए इस्लामी कट्टरपंथी संगठन पीएफआई पर हुई कार्रवाइयों की तरफ इशारा किया। उन्होंने सचेत किया, ‘जो कार्रवाइयां चल रही हैं, भोले मन से समाज उसमें फंसे नहीं।’

रास्ता निकालने वाले को लचीलापन धारण करना पड़ता है: भागवत 

कोरोना से विपदा से बाहर आने के बाद हमारी अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे रास्ते पर आ रही है और वो आगे जाएगी, इसकी भविष्यवाणी पूरी दुनिया के विशेषज्ञ कर रहे हैं। खेल क्षेत्र में भी बहुत सुधार हुआ है। खिलाड़ियों के प्रदर्शन से हमारा सीना गौरव से फूल जाता है। हमें प्रगति करनी है तो स्वयं को जानना होगा। हमें परिस्थितियों के अनुकूल लचीला होना पड़ता है। हालांकि, हम ये देखना होगा कि कितना लचीला होना और किन परिस्थितियों में होना है। अगर वक्त की मांग के अनुसार खुद को नहीं बदलेंगे तो यह हमारी प्रगति का बड़ा बाधक साबित होगा। 

हमेशा होता रहा है आरएसएस में महिलाओं का सम्मान: भागवत 

आरएसएस के कार्यक्रम में महिलाओं की भागीदारी डॉक्टर साहब (डॉक्टर हेडगेवार) के वक्त से ही हो रही है। अनसूइया काले से लेकर कई महिलाओं ने आरएसएस के कार्यक्रमों में हिस्सेदारी ली। वैसे भी हम आधी आबादी को सम्मान और उचित भागीदारी तो देनी ही होगी। उन्होंने कहा, ‘जो काम पुरुष कर सकता है, वो सब काम मातृशक्ति भी कर सकती है। लेकिन जो काम महिलाएं कर सकती हैं, वो सब काम पुरुष नहीं कर सकते।’ उन्होंने कहा कि महिलाओं के बिना समाज की पूर्ण शक्ति सामने नहीं आएगी।

नागपुर से राष्ट्रीय स्वयं संघ प्रमुख ने कई मुद्दों पर अपने विचार रखे। मोहन भागवत के विचारों का केन्द्र विंदु एक ही था और वह था देश में परस्पर भाईचारा और अखंडता बनी रहे। 

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