Friday, November 22, 2024
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RSS का जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने पर जोर, भागवत बोले- किसी को छूट नहीं मिले

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस (RSS) ने एवरेस्ट विजेता पद्मश्री संतोष यादव को अपना विजयादशमी समारोह का मुख्य अतिथि बनाया है। यह पहला मौका है जब आरएसएस ने किसी महिला को अपने दशहरा कार्यक्रम का मुख्य अतिथि बनाया है। संतोष यादव ने सरसंघचालक मोहन भागवत के साथ पूजा-अर्चना की। अब सरसंघचालक स्वयंसेवकों को संबोधित कर रहे हैं। उन्होंने नागपुर के आरएसएस मुख्यालय में परंपरागत शस्त्र पूजा की है। सरसंघचालक ने अपने संबोधन में कहा कि हम कौन हैं, हमारी आत्मा क्या है, इसकी स्पष्ट जानकारी होनी चाहिए। अगर हमें यह जानकारी होगी तो हमें प्रगति का रास्ता साफ-साफ दिखेगा। भागवत ने अपने संबोधन में और क्या-क्या कहा, आइए जानते हैं… 

जनसंख्या नियंत्रण की नीति लाए सरकार: मोहन भागवत 
जनसंख्या पर एक समग्र नीति बने, सब पर समान रूप से लागू हो, किसी को छूट नहीं मिले, ऐसी नीति लाना चाहिए। 70 करोड़ से ज्यादा युवा हैं हमारे देश में। चीन को जब लगा कि जनसंख्या बोझ बन रही है तो उसने रोक लगा दी। हमारे समाज को भी जागरूक होना पड़ेगा। नौकरी-चाकरी में भी अकेली सरकार और प्रशासन कितना रोजगार बढ़ा सकती है? समाज अगर ध्यान नहीं देता है तो होता है। 

समाज में समानता और सबको सम्मान का भाव रखना होगा: भागवत 
मंदिर, पानी, श्मसान नहीं सबके लिए समान हो, इसकी व्यवस्था तो सुनिश्चित करनी ही होगी। ये घोड़ी चढ़ सकता है, वो घोड़ी नहीं चढ़ सकता, ऐसी मूर्खतापूर्ण बातें तो हमें खत्म करनी होंगी। सबको एक-दूसरे का सम्मान करना होगा। हमें समाज का सोचना होगा, सिर्फ स्वयं का नहीं। कोरोना काल में समाज और सरकार ने एकजुटता दिखाई तो जिनकी नौकरी गई, उन्हें काम मिला। आरएसएस ने भी रोजगार देने में मदद की। उधर, सरकार ऐसी व्यवस्था करे कि लोग बीमार ही नहीं हों। उपचार तो बीमारी के बाद होता है।

संस्कार सिर्फ स्कूल-कॉलेजों से नहीं बन सकते: RSS प्रमुख 
सामाजिक आयोजनों में, जनमाध्यमों के द्वारा, नेताओं के द्वारा संस्कार मिलते हैं। केवल कॉलेजों से संस्कार नहीं मिलते हैं। केवल स्कूली शिक्षा पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। सबसे ज्यादा प्रभाव घर के वातावरण, समाज के वातावरण का होता है। नई शिक्षा नीति की बहुत बातें हो रही हैं, लेकिन क्या हम अपनी भाषा में पढ़ना चाहते हैं? एक भ्रम है कि अंग्रेजी से रोजगार मिलता है। ऐसा नहीं है। 

जो कार्रवाइयां चल रही हैं, भोले मन से समाज उसमें फंसे नहीं: भागवत 
हमारे बीच दूरियां बढ़ाने के लिए सतत प्रयास करते रहते हैं जिससे देश में आतंक का वातावरण बने। किसी को कोई डर न रहे, अनुशासन न रहे, ऐसा प्रयास हमेशा चलते रहते हैं। हम उनको पैठ दें, इसलिए वो हमसे नजदीकी जताते हैं। जाति, पंथ, संप्रदाय के नाम पर वो हमारे हमदर्द बनके आते हैं जबकि उनका अपना हित होता है। वो अपने हितों के लिए देश-समाज के विरोधी बन जाते हैं। भागवत ने गैर-कानूनी घोषित किए गए इस्लामी कट्टरपंथी संगठन पीएफआई पर हुई कार्रवाइयों की तरफ इशारा किया। उन्होंने सचेत किया, ‘जो कार्रवाइयां चल रही हैं, भोले मन से समाज उसमें फंसे नहीं।’

रास्ता निकालने वाले को लचीलापन धारण करना पड़ता है: भागवत 
कोरोना से विपदा से बाहर आने के बाद हमारी अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे रास्ते पर आ रही है और वो आगे जाएगी, इसकी भविष्यवाणी पूरी दुनिया के विशेषज्ञ कर रहे हैं। खेल क्षेत्र में भी बहुत सुधार हुआ है। खिलाड़ियों के प्रदर्शन से हमारा सीना गौरव से फूल जाता है। हमें प्रगति करनी है तो स्वयं को जानना होगा। हमें परिस्थितियों के अनुकूल लचीला होना पड़ता है। हालांकि, हम ये देखना होगा कि कितना लचीला होना और किन परिस्थितियों में होना है। अगर वक्त की मांग के अनुसार खुद को नहीं बदलेंगे तो यह हमारी प्रगति का बड़ा बाधक साबित होगा। 

हमेशा होता रहा है आरएसएस में महिलाओं का सम्मान: भागवत 
आरएसएस के कार्यक्रम में महिलाओं की भागीदारी डॉक्टर साहब (डॉक्टर हेडगेवार) के वक्त से ही हो रही है। अनसूइया काले से लेकर कई महिलाओं ने आरएसएस के कार्यक्रमों में हिस्सेदारी ली। वैसे भी हम आधी आबादी को सम्मान और उचित भागीदारी तो देनी ही होगी। उन्होंने कहा, ‘जो काम पुरुष कर सकता है, वो सब काम मातृशक्ति भी कर सकती है। लेकिन जो काम महिलाएं कर सकती हैं, वो सब काम पुरुष नहीं कर सकते।’ उन्होंने कहा कि महिलाओं के बिना समाज की पूर्ण शक्ति सामने नहीं आएगी।

मुझे पूछते थे- क्या तुम संघी हो: संतोष यादव 
मुख्य अतिथि पर्वतारोही पद्मश्री संतोष यादव ने बताया कि उन्हें उनके आचरण से लोग पूछते थे कि क्या वो संघी हैं? उन्होंने कहा कि मुझे तब पता नहीं होता था कि वो क्या पूछ रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘मुझे तब पता नहीं था कि संघ क्या है? संघी क्या होता है? आज मेरा प्रारब्ध मुझे संघ के सर्वोच्च मंच पर ले आया।’ उन्होंने स्वयंसेवकों से कहा, ‘आप जिस संकल्प के साथ, निःस्वार्थ भाव से 97 वर्षों से लगे हुए हैं उन संकल्पों और निःस्वार्थ भावों को और बल दें और आगे बढ़ते रहें। मैं आपके साथ हूं। आपने मुझे बल दिया। हम आपको बल देंगे।’ 

संतोष यादव को सम्मानित करते आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत। 

 विजयादशमी के दिन आरएसएस में शस्त्र पूजा की परंपरा है। आरएसएस प्रमुख शस्त्र पूजा के बाद हर वर्ष संगठन के नागपुर स्थित मुख्यालाय से व्याख्यान देते हैं। इसमें वो भले ही स्वयंसेवकों को संबोधित करते हों, लेकिन उनका यह संबोधन राष्ट्रीय महत्व का होता है। सरसंघचालक अपने संबोधन में ज्वलंत राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मुद्दों का जिक्र करते हैं। उनके भाषण से यह भी पता चलता है कि आखिर आरएसएस की सोच क्या है और वह किस दिशा में आगे बढ़ रहा है। आरएसएस प्रमुख के संबोधन को संगठन के सोशल मीडिया पेज पर देखा जा सकता है। आरएसएस के फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पेज पर इसका सीधा प्रसारण होगा। हम भी यहां उनके संबोधन की हर बड़ी बातों से आपको रू-ब-रू करवाते रहेंगे।

Mohan Bhagwat 1

आरएसएस प्रमुख ने पिछले वर्ष के दशहरा उद्बोधन में देश की बेतहाशा बढ़ती जनसंख्या के साथ-साथ बच्चों में मोबाइल फोन के दुरुपयोग, नशे की लत, ओटीटी प्लैटफॉर्म्स को लेकर भी चिंता जाहिर की थी। दूसरी तरफ उन्होंने भारत को अपने पड़ोसी पाकिस्तान के इरादों को लेकर भी सतर्क रहने का सुझाव दिया था। उन्होंने यह भी कहा था कि भारत की छवि खराब करने का अंतरराष्ट्रीय अभियान चल रहा है। तब उन्होंने कहा था, ‘विश्व को खोया हुआ संतुलन और परस्पर मैत्री की भावना देने वाला धर्म का प्रभाव ही भारत को प्रभावी करता है। यह ना हो पाए इसीलिए भारत की जनता, इतिहास, संस्कृति इन सबके विरुद्ध असत्य कुत्सित प्रचार करते हुए विश्व के साथ ही भारत के जनों को भी भ्रमित करने का काम चल रहा है।’ 

 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लिए दशहरा आखिर साल का सबसे बड़ा दिन क्यों है?
आरएसएस प्रमुख ने पिछले दिनों कई मुस्लिम विद्वानों से बात की है। वो दिल्ली के एक मदरसे और मस्जिद में भी गए। इस लिहाज से माना जा रहा है कि इस बार के संबोधन में वो देश में हिंदू-मुस्लिम एकता पर अपना विस्तृत नजरिया पेश करेंगे। वैसे मोहन भागवत पिछले कुछ सालों से हिंदू-मुस्लिम एकता की भावना को बल देने वाले महत्वपूर्ण विषयों को कई बार उठा चुके हैं। उन्होंने एक भाषण में यह भी कहा था कि हर मस्जिद में शिवलिंग क्या देखना। वो काशी में ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग मिलने के दावे पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे थे। भागवत यह भी कह चुके हैं कि आरएसएस ने विशेष परिस्थितियों के कारण राम जन्मभूमि आंदोलन में हिस्सा लिया था, अब उसका इस तरह का कोई और आंदोलन छेड़ने का नहीं है। 

स्त्रोत : न्यूज़ वेबसाइट एवं आरएसएस कार्यालय

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