RG Kar Medical College Rape-Murder: कोलकाता की एक विशेष अदालत सोमवार, 20 जनवरी, 2025 को आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल की ट्रेनी महिला डॉक्टर के साथ हुए रेप और हत्या के मामले में दोषी सिविक वालंटियर संजय रॉय को सजा सुनाएगी। यह मामला अगस्त 2024 में उस वक्त सुर्खियों में आया था, जब ट्रेनी डॉक्टर का शव अस्पताल परिसर के सेमिनार हॉल से बरामद किया गया।
18 जनवरी को ठहराया गया दोषी
विशेष अदालत के न्यायाधीश अनिर्बान दास ने 18 जनवरी को संजय रॉय को इस जघन्य अपराध के लिए दोषी ठहराया था। न्यायाधीश ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि इस मामले में अधिकतम सजा मृत्युदंड और न्यूनतम सजा आजीवन कारावास हो सकती है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सोमवार को दोपहर लगभग 12 बजे अदालत की कार्यवाही शुरू होगी। शुरुआत में न्यायाधीश दोषी और पीड़िता के माता-पिता से उनके अंतिम बयान सुनेंगे, जिसके बाद सजा का ऐलान किया जाएगा।
सीबीआई की जांच जारी
यह मामला कई स्तरों पर जांच और न्याय प्रक्रिया का हिस्सा रहा है। घटना के तुरंत बाद कोलकाता पुलिस की विशेष जांच टीम (SIT) ने शुरुआती जांच की और संजय रॉय को गिरफ्तार किया। हालांकि, घटना के पांच दिन बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने मामले की जांच अपने हाथ में ली।
सीबीआई ने विशेष अदालत को सूचित किया है कि इस मामले में सबूतों से छेड़छाड़ और बदलाव के पहलू पर अभी भी जांच जारी है। केंद्रीय एजेंसी के अनुसार, इस पहलू पर सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल करने की गुंजाइश बनी हुई है।
घटना का विवरण और जांच प्रक्रिया
पीड़िता का शव 9 अगस्त, 2024 को सुबह आरजी कर मेडिकल कॉलेज के सेमिनार हॉल से बरामद हुआ था। शुरुआती जांच में खुलासा हुआ कि यह मामला रेप और हत्या का है। जांच के दौरान कई गवाहों के बयान दर्ज किए गए और फोरेंसिक सबूत जुटाए गए।
सीबीआई ने अपराध के 59 दिन बाद, 11 नवंबर, 2024 को मुकदमे की प्रक्रिया शुरू की। दोषसिद्धि की प्रक्रिया अपराध की तारीख के 162 दिनों के भीतर पूरी हो गई, और अब सजा सुनाए जाने की तारीख अपराध के 164 दिन बाद आ रही है।
मृत्युदंड की संभावना
विशेष अदालत के न्यायाधीश ने अपराध की गंभीरता को देखते हुए मृत्युदंड की संभावना को लेकर पहले ही संकेत दिए हैं। दोषी संजय रॉय पर बलात्कार और हत्या के साथ-साथ सबूत नष्ट करने के प्रयास का भी आरोप है।
पीड़िता के परिवार की मांग
पीड़िता के परिवार ने न्याय के लिए अदालत से अपील की है। उनका कहना है कि उनकी बेटी के साथ हुई इस बर्बर घटना ने न केवल उन्हें, बल्कि पूरे मेडिकल समुदाय को झकझोर कर रख दिया है। परिवार ने दोषी को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग की है।
अदालत का फैसला: एक अहम मोड़
यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति के अपराध का नहीं, बल्कि कानून व्यवस्था और न्याय प्रक्रिया की पारदर्शिता का भी परीक्षण है। न्यायालय का फैसला न केवल पीड़िता और उसके परिवार के लिए, बल्कि समाज में महिलाओं की सुरक्षा और न्याय की उम्मीद के लिए भी अहम होगा।
सोमवार का दिन इस मामले में न्याय की दिशा में अंतिम कदम होगा, और यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि दोषी को क्या सजा मिलती है।