Monday, September 23, 2024
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Resrvation System in India : वर्टिकल रिजर्वेशन और होरिजॉन्टल रिजर्वेशन क्या है ? जानिए क्यों मचा है आरक्षण पर बवाल

Resrvation System in India: भारत में आरक्षण की व्यवस्था सामाजिक न्याय और समानता को सुनिश्चित करने के लिए लागू की गई है। यह व्यवस्था वंचित और पिछड़े वर्गों के उत्थान के उद्देश्य से बनाई गई थी। आरक्षण के अंतर्गत मुख्य रूप से दो प्रकार के आरक्षण आते हैं: क्षैतिज (Horizontal) और ऊर्ध्वाधर (Vertical) आरक्षण। इन दोनों के बीच के अंतर और सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाल ही में किए गए फैसलों को समझना महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से SC/ST और OBC के संदर्भ में।

1. ऊर्ध्वाधर आरक्षण (Vertical Reservation)

ऊर्ध्वाधर आरक्षण वह आरक्षण है जो अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) जैसी सामाजिक श्रेणियों के लिए लागू होता है। इस प्रकार का आरक्षण मुख्य रूप से जाति या वर्ग के आधार पर दिया जाता है।

ऊर्ध्वाधर आरक्षण में प्रत्येक श्रेणी के लिए आरक्षित सीटें या नौकरियां निर्धारित होती हैं। उदाहरण के लिए, यदि सरकारी नौकरियों में OBC के लिए 27% आरक्षण है, तो इस वर्ग के उम्मीदवारों को कुल नौकरियों में से 27% हिस्सेदारी मिलनी चाहिए। इसी तरह SC के लिए 15% और ST के लिए 7.5% आरक्षण निर्धारित किया गया है। यह आरक्षण राज्यों की जरूरतों और सामाजिक संरचना के आधार पर भी भिन्न हो सकता है।

Resrvation System in India

2. क्षैतिज आरक्षण (Horizontal Reservation)

क्षैतिज आरक्षण का उद्देश्य विभिन्न सामाजिक श्रेणियों में विशेष जरूरतों वाले समूहों को आरक्षण प्रदान करना है। इसमें मुख्य रूप से महिलाओं, विकलांगों, पूर्व सैनिकों, और अन्य वंचित समूहों को शामिल किया जाता है। क्षैतिज आरक्षण को ऊर्ध्वाधर आरक्षण के भीतर लागू किया जाता है।

उदाहरण के लिए, यदि किसी राज्य में सरकारी नौकरियों में महिलाओं के लिए 30% आरक्षण है, तो यह आरक्षण SC, ST, OBC और सामान्य (General) वर्गों के लिए अलग-अलग लागू किया जाएगा। इसका मतलब है कि प्रत्येक श्रेणी में 30% नौकरियां महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी।

3. क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर आरक्षण का संयोजन

आरक्षण की प्रक्रिया में क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर आरक्षण का एक संयोजन होता है। इसका मतलब यह है कि पहले ऊर्ध्वाधर आरक्षण लागू किया जाता है और उसके बाद क्षैतिज आरक्षण को उस वर्ग के भीतर लागू किया जाता है।

उदाहरण के लिए, यदि किसी विशेष श्रेणी में 100 नौकरियां हैं और उनमें से 27 OBC के लिए आरक्षित हैं, तो OBC के भीतर महिलाओं के लिए 30% क्षैतिज आरक्षण लागू होगा। यानी OBC श्रेणी में 8 नौकरियां महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। इसी प्रकार, अन्य वर्गों के लिए भी यह नियम लागू होता है।

File:Supreme Court of India, inside bulidings 01.jpg - Wikimedia Commons

4. सुप्रीम कोर्ट का फैसला

क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर आरक्षण की जटिलताओं के चलते कई बार इस पर विवाद और कानूनी चुनौतियां सामने आती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस विषय पर समय-समय पर विभिन्न फैसले दिए हैं, जिनसे इस व्यवस्था को और स्पष्ट किया गया है।

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने SC/ST और OBC के आरक्षण के दावों पर एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया। इस आदेश में अदालत ने कहा कि क्षैतिज आरक्षण को ऊर्ध्वाधर आरक्षण के भीतर लागू किया जाएगा, और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि दोनों के बीच संतुलन बना रहे। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी वर्ग के लिए आरक्षित सीटों की संख्या उस वर्ग के कुल आरक्षण से अधिक नहीं होनी चाहिए।

उदाहरण के लिए, यदि किसी राज्य में SC के लिए 15% और OBC के लिए 27% आरक्षण है, तो क्षैतिज आरक्षण के बाद भी SC और OBC के लिए कुल आरक्षित सीटें 15% और 27% ही रहनी चाहिए। इस प्रकार, किसी भी वर्ग के भीतर क्षैतिज आरक्षण को लागू करते समय इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि ऊर्ध्वाधर आरक्षण की सीमा का उल्लंघन न हो।

5. क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर आरक्षण के विवाद

आरक्षण की व्यवस्था को लेकर देश में कई बार विवाद होते रहे हैं। क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर आरक्षण के बीच संतुलन बनाए रखने में अक्सर कठिनाई होती है। कुछ मामलों में यह देखा गया है कि क्षैतिज आरक्षण के कारण ऊर्ध्वाधर आरक्षण की सीमा पार हो जाती है, जिससे विवाद उत्पन्न होते हैं।

इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट का हालिया फैसला महत्वपूर्ण है, जिसमें अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि क्षैतिज आरक्षण को ऊर्ध्वाधर आरक्षण के भीतर ही सीमित रखा जाना चाहिए। इस फैसले से आरक्षण की प्रक्रिया में पारदर्शिता और संतुलन की उम्मीद की जा सकती है।

6. सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि क्षैतिज आरक्षण का लाभ उठाने वाले उम्मीदवारों को ऊर्ध्वाधर आरक्षण के तहत भी गिना जाएगा, जिससे किसी भी वर्ग के उम्मीदवारों को दोहरे लाभ का मौका न मिले। यह आदेश विशेष रूप से OBC और SC/ST के संदर्भ में महत्वपूर्ण है, जहां आरक्षण की जरूरत अधिक होती है।

अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि क्षैतिज आरक्षण का लाभ केवल उसी वर्ग के उम्मीदवारों को मिलना चाहिए जो उस वर्ग के लिए पात्र हैं। उदाहरण के लिए, OBC वर्ग के भीतर क्षैतिज आरक्षण के तहत महिलाओं को मिलने वाला आरक्षण केवल OBC वर्ग की महिलाओं के लिए ही होना चाहिए, न कि अन्य वर्गों की महिलाओं के लिए।

क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर आरक्षण की प्रक्रिया जटिल हो सकती है, लेकिन यह समाज के वंचित और पिछड़े वर्गों को अवसर प्रदान करने के लिए आवश्यक है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने हालिया आदेश में इन दोनों आरक्षणों के बीच के संबंध को स्पष्ट किया है, जिससे आरक्षण की व्यवस्था और अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष हो सकती है।

इस फैसले से यह सुनिश्चित होगा कि आरक्षण का लाभ उन लोगों को मिले जो वास्तव में इसके हकदार हैं, और यह कि किसी भी वर्ग के साथ अन्याय न हो। आरक्षण की इस व्यवस्था को लेकर समाज में जागरूकता और समझ बढ़ाने की जरूरत है, ताकि सभी वर्गों को उनका उचित हक मिल सके।

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