Tuesday, September 17, 2024
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Ramayan : जब एक तोते ने माता सीता को दिया था श्राप, जानिए कथा

Ramayan: रामाय़ण सनातन धर्म के प्रसिद्ध महाकाव्य़ों में से एक है। यह महाकाव्य महर्षि वाल्मिकी जी के द्वारा लिखा गया है। इस ग्रंथ मे हमे कई कथाएं सुनने को मिलती है। ऐसी कथाएं जो श्री राम और माता सीता के जीवन से जुङी कई घटनाएं हमे बताती हैं। लेकिन भगवान श्री राम और माता सीता के जीवन के कुछ ऐसे पहलू भी हैं जिनका रामायण मे वर्णन नहीं है। उन्हीं कथाओं का वर्णन हिंदू धर्म के शास्त्रों मे मिलता है।

माता सीता को विवाह से पहले एक श्राप मिला था। जिसके बारे मे बहुत कम लोग जानते हैं। उस श्राप का फल उन्हें विवाह के बाद भोगना पङा था। जिसके बारे मे रामायण मे कहीं वर्णन नहीं है। जानते है क्या था वो श्राप जिसका दंड माता सीता को भोगना पङा।

किसने दिया था माता सीता को श्राप ?

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जब माता सीता छोटी थी तब उन्होने गलती से एक मादा तोते को कैद कर लिया था। जिस कारण नर तोते ने दुखी होकर माता सीता को श्राप दिया था।

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नर तोते ने क्यों दिया था माता सीता को श्राप

धार्मिक कथाओं के अनुसार एक बार बचपन मे माता सीता अपनी सहेलियों के साथ बगीचे मे खेल रहीं थी। उसी बगीचे मे एक पेङ पर तोता-तोती का एक जोङा बैठा था। वे दोनों आपस मे श्री राम और माता सीता के बारे मे बात कर रहे थे। जब माता सीता का ध्यान उनपर गया तो वे छुपकर उनकी बातें सुनने लगीं। वे दोनो माता सीता के जन्म और उनके विवाह की बातें कर रहे थे।

माता सीता उनकी बातें सुनकर हैरान थी कि वे ये सब कैसे जानते हैं। जब उन्होनें कहा कि जनकपुत्री सीता का जिस राजा से विवाह होगा उसका जन्म हो चुका है। तब माता सीता उनके पास गई। उन्हे बताया कि मैं ही जनकपुत्री सीता हूँ लेकिन तुम दोनों मेरे जीवन के बारे मे सबकुछ कैसे जानते हो।

तोते के जोङे ने बताया कि वह दोनों महर्षि वाल्मिकी जी के आश्रम मे एक पेङ पर रहते थे। वाल्मिकी जी अपने शिष्यों को ये सब बातें बताया करते थे। जो हम सुनते थे और ये सब बातें हमे रट गई हैं। जब माता सीता को यह पता चला तो उन्हें अपने जीवन के बारे मे और अधिक जानने की इच्छा हुई। उन्होनें तोते के जोङे से उनके साथ उनके महल मे रहने की विनती की। नर तोते ने माता सीता की विनती को अस्वीकार कर दिया।

जब माता सीता ने उन्हें जबरदस्ती पकङने की कोशिश की तो नर तोता उङ गया लेकिन मादा तोते को उन्होने पकङ लिया। नर तोते ने माता सीता से विनती कर कहा कि उनकी मादा तोता गर्भवती है। कृपया वे उन्हें छोङ दें। उसने माता सीता से बहुत विनती की लेकिन उन्होनें मादा तोते को नहीं छोङा। अपनी मादा तोते के वियोग मे नर तोते की मृत्यु हो गई।

तब नर तोते ने माता को श्राप दिया कि जिस तरह तुमने हमारे जोङे को अलग किया है ठीक उसी तरह जब तुम भी गर्भवती होगी तो तुम्हें भी अपने जीवन साथी का वियोग सहना पङेगा। इतना कहकर नर तोते ने अपने प्राण त्याग दिए।ऐसा बताया जाता है कि उसी श्राप के कारण माता सीता को गर्भवती होने के समय प्रभु श्री राम से वियोग सहना पङा था।

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