PDS System: भारत का सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) दुनिया के सबसे बड़े खाद्य सुरक्षा कार्यक्रमों में से एक है। इसका उद्देश्य गरीब और कमजोर वर्गों को सब्सिडी पर खाद्यान्न उपलब्ध कराना है। हालांकि, एक हालिया अध्ययन ने पीडीएस प्रणाली में बड़ी खामियों और रिसाव (लीकेज) की ओर ध्यान आकर्षित किया है। भारतीय खाद्य निगम (FCI) और राज्य सरकारों द्वारा वितरित करीब 28% अनाज इच्छित लाभार्थियों तक नहीं पहुंचता। इससे सरकारी खजाने को 69,000 करोड़ रुपये का वार्षिक नुकसान हो रहा है, जो कि खाद्य सुरक्षा और वित्तीय प्रबंधन में सुधार की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करता है।
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ToggleKey findings of the report
1. लीकेज का पैमाना
एक अध्ययन के अनुसार, 2022-23 में 20 मिलियन टन चावल और गेहूं अपने सही लाभार्थियों तक नहीं पहुंच पाया। यह मात्रा कुल आवंटित अनाज का लगभग एक-तिहाई है। रिपोर्ट ने अनुमान लगाया है कि यह अनाज या तो खुले बाजार में बेचा जाता है या अन्य तरीकों से गायब हो जाता है। इस लीकेज के कारण सरकारी खजाने पर 69,108 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ता है।
2. राज्यों में लीकेज का हाल
रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्वोत्तर के राज्यों जैसे अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड में लीकेज की समस्या सबसे अधिक है। डिजिटलीकरण की कमी और कमजोर निगरानी प्रणाली इसे बढ़ावा देते हैं।
- बिहार और पश्चिम बंगाल: इन राज्यों ने लीकेज में उल्लेखनीय कमी की है। बिहार में यह दर 68.7% (2011-12) से घटकर 19.2% (2022-23) हो गई, जबकि पश्चिम बंगाल में यह 69.4% से 9% तक कम हो गई।
- उत्तर प्रदेश: लीकेज दर 33% होने के साथ यह राज्य कुल रिसाव में सबसे ऊपर है।
- हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, महाराष्ट्र: इन राज्यों में भी लीकेज की दर चिंताजनक है।
3. डिजिटलीकरण और POS मशीनें
2016 में उचित मूल्य की दुकानों में पॉइंट ऑफ सेल (POS) मशीनों के उपयोग से पारदर्शिता बढ़ाने और लीकेज कम करने में मदद मिली है। इसके बावजूद, डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम के बावजूद लीकेज की समस्या बनी हुई है।
लीकेज के कारण
- प्रणाली की खामियां
सरकारी खाद्यान्न वितरण प्रणाली में पारदर्शिता और निगरानी की कमी के कारण अनाज का एक बड़ा हिस्सा खुले बाजार या निर्यात के लिए भेजा जाता है। - डिजिटलीकरण की कमी
पूर्वोत्तर राज्यों में तकनीकी सुधारों की धीमी प्रगति लीकेज को बढ़ावा देती है। - अयोग्य लाभार्थी
लाभार्थियों की पहचान में खामियां होने से फर्जी राशन कार्ड और गलत लक्ष्यीकरण की समस्या होती है। - भ्रष्टाचार
उचित मूल्य की दुकानों और वितरण प्रणाली में भ्रष्टाचार लीकेज का एक बड़ा कारण है।
समाधान और सुधार के सुझाव
- डिजिटलीकरण में वृद्धि
पीडीएस प्रणाली में पूर्ण डिजिटलीकरण सुनिश्चित करना आवश्यक है। राशन कार्ड को आधार से जोड़ने की प्रक्रिया तेज करनी चाहिए। - लाभार्थियों की सटीक पहचान
योग्य लाभार्थियों को चिन्हित करने के लिए नियमित सर्वेक्षण और डेटा अपडेट की आवश्यकता है। - वैकल्पिक वितरण प्रणाली
रिपोर्ट ने खाद्यान्न वितरण के स्थान पर प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण (DBT) या फूड वाउचर सिस्टम अपनाने का सुझाव दिया है। इससे पारदर्शिता और कुशलता बढ़ सकती है। - सख्त निगरानी और कार्रवाई
वितरण प्रक्रिया पर निगरानी रखने के लिए तकनीकी उपकरणों का इस्तेमाल बढ़ाना और अनियमितताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करना जरूरी है।
भारत का पीडीएस प्रणाली कमजोर वर्गों को खाद्य सुरक्षा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हालांकि, लीकेज की समस्या इस प्रयास को कमजोर करती है। पिछले एक दशक में सुधारों के बावजूद, 28% अनाज का रिसाव बताता है कि प्रणाली में अभी भी बड़े सुधार की आवश्यकता है। डिजिटलीकरण, पारदर्शिता, और लाभार्थियों की सटीक पहचान से पीडीएस को अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है। यह न केवल आर्थिक नुकसान को कम करेगा, बल्कि यह सुनिश्चित करेगा कि गरीबों तक उनके अधिकार का अनाज पहुंचे।
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