Thursday, November 21, 2024
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शर्मनाक: कर्नाटक में कांग्रेस के आते ही ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ शुरू

Recently updated on July 25th, 2024 at 12:41 pm

जैसा कि आप जानते ही होंगे कि कर्नाटक चुनाव के नतीजे इस बार कांग्रेस के पक्ष में आए हैं। कर्नाटक में बड़ी जीत हासिल करने के बाद कांग्रेस खुशी से फूली नहीं समा रही हैं। शायद बहुत समय के बाद कांग्रेस के हाथ किसी राज्य में इतनी बड़ी जीत लगी है। नहीं तो कांग्रेस देश के सियासी नक्शे से लगातार सिकुड़ती ही दिख रही थी।

लेकिन कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार आते ही, वहां हमारे दुश्मन देश पाकिस्तान का गुणगान भी शुरू हो गया है। आपने वो वीडियो तो देखा होगा, जिसमें कांग्रेस प्रत्याशी की जीत के बाद देश के कुछ गद्दार ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाते नजर आ रहे हैं। कर्नाटक के बेलगाव से बीते दिनों ये वीडियो सामने आया था, जिसमें कांग्रेस उम्मीदवार आसिफ सैत की जीत के बाद वहां कुछ लोगों ने पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगाए।

pakistan zindabad in karnataka

यहां मेरा सवाल यही है कि जश्न मनाने का भला ये कौन सा तरीका है? आपका नेता, जिसे आप सपोर्ट कर रहे थे, वो चुनाव जीता, तो आपको खुशी होगी। जश्न मनाना भी ठीक है। लेकिन जश्न मनाते मनाते दुश्मन देश के लिए इस तरह के नारे लगाना कहां तक आपको सही लगता है? जिस तरह से ये लोग जश्न मनाते हुए दिख रहे हैं, ऐसे लोगों को देशद्रोही, देश के गद्दार के अलावा और कुछ नहीं कहा जा सकता। क्योंकि वो एक ऐसे देश के समर्थन में नारेबाजी कर रहे हैं, जिसने कभी भारत के लिए अच्छा नहीं सोचा। उल्टा हमेशा वो देश भारत को जख्म ही देता आया है।

ये वहीं पाकिस्तान है, जो बार बार भारत को चोट देने की कोशिश करता है। 1965,1971 और 1999 में पाकिस्तान और भारत के बीच युद्ध हुए हैं और हर युद्ध में पाकिस्तान ने भारत के हाथों मार ही खाई है। पाकिस्तान हमेशा से अपने यहां आतंकियों को पालता पोसता आया है और फिर उसके आतंकी भारत में भयंकर हमलों को अंजाम देते हैं। पाकिस्तान के कई आतंकी हमलों में हमारे जवान शहीद होते रहते हैं। ऐसे में जब देश में कोई पाकिस्तान की भाषा बोलता है, पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगाता है और उसका गुणगान करता है, तो जाहिर तौर पर हर भारतीय का खून खौल उठता है।

और ऐसा पहली बार तो बिल्कुल नहीं है, जब भारत में रहकर कुछ लोग अपना यूं पाकिस्तानी प्रेम दिखा रहे हो। आप क्रिकेट के मैच को देख लीजिए। भारत-पाकिस्तान का मैच होता है। पाकिस्तान जीतता है, तो जश्न भारत में मनाया जाता हैं। भारत में कुछ जगहों पर पटाखे भी फूटते हैं। पाकिस्तान के समर्थन में ये जश्न मनाते हैं, नारे लगाते हैं, फिर इन्हें देशद्रोही या गद्दार कहा जाए या फिर इनकी देशभक्ति पर सवाल उठाए जाए, तो ये रोना रोने लगते हैं। मेरा सवाल यही है कि ऐसे लोगों को गद्दार या देशद्रोही नहीं तो क्या कहा जाए, जो देश में रहकर, देश का खाकर दुश्मन देश की तारीफें में कसीदे पढ़ते हैं।

अगर इन्हें इतना ही पाकिस्तान से प्यार है, तो ये लोग पाकिस्तान ही क्यों नहीं चले जाते। तब इन्हें मालूम चलेगा कि आखिर भारत में कितनी स्वतंत्रता है। पाकिस्तान और भारत दोनों को आजाद हुए 75 साल हुए है, लेकिन आज दोनों देशों के हालातों में जमीन और आसमान का अंतर है। एक तरफ हमारा भारत है, जो विश्व पटल पर अपना तिरंगा लहराता जा रहा है। आज हिंदुस्तान का डंका पूरी दुनिया में बजता है। दुनिया देख रही है कि किस तरह भारत लगातार तरक्की की राह पर आगे बढ़ रहा है, तो दूसरी ओर पाकिस्तान है, जो कंगाली और भुखमरी की मार झेल रहा है। पाकिस्तान की जनता दाने-दाने की मोहताज हो गई है। पाकिस्तान अब केवल दूसरे देशों की भीख पर ही चल रहा है।

Pakistan Economic Crisis

और तो और पाकिस्तान में तो लोकतंत्र नाम की चीज ही नहीं है। जो लोग देश में बैठकर “भारत खतरे में है” या “भारत में मुसलमान खतरे में हैं” जैसी बातें बोलते हैं, उन्हें जरा एक बार पाकिस्तान जाकर देखना चाहिए। वहां एक बार कोई नेता प्रधानमंत्री की कुर्सी से हटता है, तो उसका क्या हाल होता है, ये आप इमरान खान के साथ जो कुछ हुआ उससे देख ही सकते हैं। पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की बीते दिनों गिरफ्तारी इस तरह हुई थी, जैसे वो एक आतंकवादी हो। सिर्फ इमरान खान ही नहीं, उनसे पहले पाकिस्तान के कई और पूर्व प्रधानमंत्रियों का ऐसा ही हाल हुआ है।  इमरान खान से पहले 6 पाकिस्तानी पीएम को  गिरफ्तार किया गया। वहीं एक पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो को तो फांसी तक दी जा चुकी है। जब भारत में ऐसे लोगों को पूरी स्वतंत्रता मिलती हैं, तो ये गद्दार लोग दुश्मन देश की तारीफें करने लगते हैं।

कर्नाटक में कांग्रेस के जीतते ही ये सबकुछ हो गया और इस पर पार्टी ने अभी भी चुप्पी साध रखी है। या हम ये कहें कि अब ऐसे लोगों को कर्नाटक में कांग्रेस के आते ही एक बार फ्री हैंड मिलने वाला है, तो कुछ भी गलत नहीं होगा। क्योंकि हमें इतिहास को नहीं भूलना चाहिए। ये वहीं कांग्रेस है, जिसने PFI जैसे आतंकी संगठन के 1600 आतंकवादियों के खिलाफ सभी मामलों को वापस लेने का फैसला किया था। PFI कोई छोटा मोटा संगठन नहीं है। देश में कोई हिंसा हो, कोई दंगा या फिर किसी भी प्रकार की देश विरोधी गतिविधि, PFI का नाम इनमें शामिल रहता है। PFI ही वो संगठन है, जिसने 2047 तक भारत को इस्लामिक देश बनाना का सपना देखा है। उसके इरादे बेहद ही खतरनाक है।

ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि बाहरी ताकतों से तो एक बार फिर भी लड़ना आसान होता है लेकिन समस्या तब बड़ी हो जाती है, जब दुश्मन आपके घर में ही बैठा हो। भारत ऐसे दुश्मनों से हमेशा से ही घिरा आया है।

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