Friday, November 22, 2024
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पाकिस्तान के इस मुख्यमंत्री का गजब कारनामा, चुनावी हलफनामे में लगाई लंदन यूनिवर्सिटी की फर्जी डिग्री और फिर…

पड़ोसी देश पाकिस्तान से आए-दिन नए-नए कारनामे सामने आते ही रहते हैं। अब तक पाकिस्तान के नेता भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर तो बदनाम थे ही, लेकिन अब वहां से एक गजब का मामला सामने आ रहा है। दरअसल, गिलगित-बाल्टिस्तान के मुख्यमंत्री खालिद खुर्शीद पर चुनावी हलफनामे में लंदन विश्वविद्यालय की फर्जी डिग्री लगाने का आरोप है। आपको बता दें कि खालिद खुर्शीद इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के नेता हैं।

लंदन यूनिवर्सिटी ने डिग्री को बताया फेक

फर्जी डिग्री लगाने के इस मामले को लेकर पाकिस्तान के उच्च शिक्षा आयोग ने खुर्शीद की इसके सत्यापन के लिए लंदन विश्वविद्यालय से अनुरोध किया। इसके बाद लंदन विश्वविद्यालय ने डिग्री को फर्जी करार दिया। इसके बाद अब संभावना है कि जल्द ही मुख्यमंत्री खालिद खुर्शीद को अयोग्य करार दिया जा सकता है। साथ ही उनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही भी होगी।

रिपोर्ट्स के अनुसार मुख्यमंत्री खालिद खुर्शीद ने जो डिग्री लगाई उसके कागज की गुणवत्ता, उभरा हुआ टिकट, फॉन्ट और हस्ताक्षर जैसे स्पष्ट अंतर देखने को मिल रहे थे। लंदन यूनिवर्सिटी के द्वारा उसी विभाग के अन्य छात्रों के लिए एक ही समय-सीमा में जारी किए गए अन्य डिग्रियों के साथ खुर्शीद की डिग्री की तुलना की। इसके बाद उनकी डिग्री को फर्जी करार दिया। अब उच्च शिक्षा आयोग उनकी डिग्री को रद्द करने के लिए एक पत्र का मसौदा तैयार कर रहा है। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के पास विशेष रूप से उपलब्ध दस्तावेजों के मुताबिक खुर्शीद ने जून 2009 में बेलफोर्ड यूनिवर्सिटी से अपनी बैरिस्टर की डिग्री हासिल करने का दावा किया था।

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बदनाम करने का लगाया आरोप

वहीं इन आरोपों पर मुख्यमंत्री खालिद खुर्शीद की कानूनी टीम के सदस्य यासिर अब्बास ने कहा कि सीएम के राजनीतिक विरोधी गिलगित बाल्टिस्तान में पीटीआई की सरकार को बदनाम करने के लिए उनकी शैक्षणिक योग्यता के खिलाफ प्रचार कर रहे हैं।

खालिद खुर्शीद ने बेलफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी नाम के तहत संचालित डिप्लोमा वाली डिग्री हासिल की, लेकिन डिग्री वास्तव में मौजूद नहीं थी। आपको बता दें कि खालिद खुर्शीद कुछ समय के लिए इंग्लैंड गए थे और फिर वो पाकिस्तान लौट आए। वो जब पाकिस्तान आए तो उनके रिश्तेदार और करीबी सहायक उन्हें बैरिस्टर समझने लगे। बैरिस्टर की डिग्री दिखाने पर जी-बी बार काउंसिल ने उनके दस्तावेजों पर भरोसा किया और वकील के रूप में नामांकित किया। साथ ही उन्हें प्रैक्टिस करने का लाइसेंस जारी कर दिया।
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