Pakistan: पाकिस्तान की मौजूदा आर्थिक स्थिति गंभीर संकट का संकेत दे रही है। देश के हालात ने न केवल उसकी घरेलू स्थिति को प्रभावित किया है, बल्कि उसके विदेशी रिश्तों और निवेश पर भी नकारात्मक असर डाला है। इसी बीच पाकिस्तान के लिए एक बुरी खबर सामने आई है। बता दे कि पाकिस्तान के प्रमुख दोस्तों, चीन और सऊदी अरब, ने हाल ही में पाकिस्तान में अपने निवेश की योजनाओं को रोकने का फैसला लिया है। यह बदलाव पाकिस्तान की मौजूदा स्थिति और सुरक्षा चिंताओं के मद्देनजर हुआ है।
पाकिस्तान का आर्थिक संकट
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पिछले कुछ वर्षों से गंभीर मंदी का सामना कर रही है। देश की मुद्रा मूल्यहीन हो गई है, विदेशी मुद्रा भंडार घट गया है, और महंगाई ने आम जनता की कठिनाईयों को और बढ़ा दिया है। इसके अतिरिक्त, पाकिस्तान में हाल ही में एक महीने से चल रहे विद्रोह ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। विद्रोह ने सुरक्षा स्थिति को कमजोर कर दिया है और इसने विदेशी निवेशकों को भी चिंता में डाल दिया है।
चीन और सऊदी अरब की निवेश योजनाओं पर रोक | Pakistan
चीन और सऊदी अरब, जो पाकिस्तान के पारंपरिक दोस्त रहे हैं, ने हाल ही में पाकिस्तान में निवेश करने से पीछे हटने का निर्णय लिया है। पिछले साल, चीन ने पाकिस्तान में 1.42 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त निवेश की बात की थी, लेकिन अब उसने इस निवेश को रोक दिया है। चीन की चिंता का मुख्य कारण पाकिस्तान में सुरक्षा की कमी है। चीन के कई प्रोजेक्ट पाकिस्तान में चल रहे हैं, और इन प्रोजेक्ट्स में काम कर रहे चीनी इंजीनियर्स पर आतंकी हमले हो रहे हैं। पाकिस्तान सरकार इन इंजीनियर्स को पर्याप्त सुरक्षा नहीं प्रदान कर पा रही है, जिससे चीन की चिंता और बढ़ गई है।
सऊदी अरब ने भी अपने निवेश योजनाओं को कम कर दिया है। पहले, सऊदी अरब ने पाकिस्तान में 2 लाख करोड़ रुपये के निवेश का वादा किया था, लेकिन अब यह घटकर 40 हजार करोड़ रुपये पर आ गया है। हालिया निवेश की योजना को भी रोक दिया गया है। इसके अलावा, सऊदी अरब ने भारत में निवेश की योजनाओं को प्राथमिकता दी है और वहां 8 लाख करोड़ रुपये के निवेश की योजना बनाई है।
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पाकिस्तान की अमेरिका के साथ बढ़ती नजदीकियां । Pakistan
चीन और सऊदी अरब के पाकिस्तान से पीछे हटने का एक कारण पाकिस्तान की अमेरिका के साथ बढ़ती नजदीकियां भी हैं। पाकिस्तान की अमेरिका के साथ बढ़ती रणनीतिक और आर्थिक साझेदारी ने चीन और सऊदी अरब के बीच असंतोष को जन्म दिया है। चीन का मानना है कि पाकिस्तान अमेरिका की ओर झुक रहा है, जो उसकी क्षेत्रीय हितों के खिलाफ है। इसके अलावा, बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में लगातार हमलों ने चीन की चिंताओं को और बढ़ा दिया है। इन हमलों के चलते चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के खिलाफ विरोध हो रहा है, जो चीन के लिए एक महत्वपूर्ण परियोजना है।
यूएई ने भी निवेश करने से किया इंकार
यूएई ने भी पाकिस्तान को बड़ा झटका दिया है। उसने पाकिस्तान में 83 हजार करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की थी, लेकिन यह निवेश भी अब आगे नहीं बढ़ा है। यूएई के इस फैसले ने पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति को और भी कठिन बना दिया है। यूएई ने अब अपनी निवेश योजनाओं को अन्य देशों की ओर मोड़ने का निर्णय लिया है, विशेष रूप से भारत में, जहां वह बड़े निवेश की योजना बना रहा है।
पाकिस्तान की मौजूदा आर्थिक स्थिति और उसके दोस्तों द्वारा निवेश में कटौती ने उसकी मुश्किलों को और बढ़ा दिया है। सुरक्षा चिंताओं, अमेरिका के साथ बढ़ती नजदीकियों, और अन्य आंतरिक समस्याओं ने विदेशी निवेशकों को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया है। पाकिस्तान को अब अपने आर्थिक सुधारों, सुरक्षा स्थितियों में सुधार और विदेशी रिश्तों को पुनः सुधारने की आवश्यकता है, ताकि वह इन समस्याओं से उबर सके और अपने आर्थिक विकास को पुनर्जीवित कर सके।