Recently updated on July 25th, 2024 at 12:41 pm
महिला आरक्षण बिल संसद में पास कर दिया गया है। इस बिल को ” नारी शक्ति वंदन अधिनियम ” नाम दिया गया है। सरकार इस बिल के जरिए महिलाओं को राजनीति से लेकर देश के अन्य तमाम क्षेत्रों में पुरुषों के बराबर भागीदार बनाने जा है। यह एक अहम कदम है और इसके लिए सरकार की सराहना की जानी चाहिए। इस विधेयक में प्रविधान है कि लोकसभा दिल्ली विधानसभा और सभी राज्यों के विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा। यानी कि महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित होंगी। इस ऐतिहासिक बदलाव के बाद से सक्रिय राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेंगी। लेकिन राजनीति कहीं ना कहीं से हर मुद्दे के बीच आ ही जाती है और इस मुद्दे को लेकर भी ऐसा ही कुछ हुआ है। संसद में महिला आरक्षण बिल जैसे ही पेश किया गया कांग्रेस ने इस पर अपना दावा ठोक दिया। कांग्रेस का कहना था कि यूपीए सरकार के दौरान ही महिला आरक्षण की बात की गई थी और इस संबंध में बिल भी संसद में पेश किया गया था। इस बात में कोई शक नहीं है की यूपीए सरकार ने महिला आरक्षण की बात की थी लेकिन कई फैसलों की तरह महिला आरक्षण का महत्वपूर्ण फैसला भी यूपीए सरकार के दौरान सफल नहीं हो पाया।
महिलाओं को विधानसभा और संसद में सीटों में आरक्षण का प्रावधान इस बिल के जरिये किया गया है. लेकिन इसी बीच कहीं ना कहीं से विपक्ष की जो एक आदत है कि वह हर मुद्दे में कोई ना कोई खोट खोज ही लेती है तो इस मुद्दे के साथ भी विपक्ष ने ऐसा ही कुछ करने की कोशिश की है। दरअसल, विपक्ष ने सरकार की मनसा पर सवाल उठाए हैं जो की हास्यास्पद है। बात अगर इस बिल की करें तो इस बिल को लागू करने संबंधी जो प्रावधान है उसके तहत ही इस बिल को लागू किया जाएगा। लेकिन विपक्ष की छटपटाहट देखते ही बन रही है। विपक्ष अब यह सोच रहा है कि महिला आरक्षण बिल का क्रेडिट भी केंद्र की मोदी सरकार को चला जाएगा और आने वाले 2024 के लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार को इसका फायदा हो जाएगा। अब इस बात की आशंका को लेकर विपक्ष अपनी छाती पीट रहा है।लेकिन सवाल ये है कि क्या एक जिम्मेदार विपक्ष होने के नाते इस बात को नहीं समझ जाना चाहिए कि महिला आरक्षण बिल संसद में महिलाओं के लिए लाया गया है वो महिलाओं के कल्याण के लिए है।
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महिलाओं की भागीदारी हमारे समाज में पुरुषों के बराबर होनी चाहिए इस बात से हर कोई सहमत है लेकिन विपक्ष को तो केवल राजनीति ही राजनीति हर बात में नजर आती है। विपक्ष द्वारा उठाए गए सवाल काफी हास्यास्पद है। हालांकि विपक्षी पार्टियों ने इस बिल का समर्थन तो जरूर किया है लेकिन जिस प्रकार से उन पार्टियों द्वारा सरकार की मनसा पर सवाल खड़े किए गए हैं वह सच में हास्यास्पद है। हम यह जरूर समझते हैं कि विपक्ष सवाल करने के लिए होता है और जरूर विपक्ष द्वारा सवाल किया भी जाना चाहिए। लेकिन ऐसे मुद्दों में राजनीति खोजने की कोशिश नहीं की जानी चाहिए जो समाज से जुड़ा है, जो देश से जुड़ा है और जो महिलाओं के कल्याण से जुड़ा है। लेकिन विपक्ष को ये बात समझ नहीं आती और वे हर समय अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने में लगे रहते हैं.ऐसा लगता होता है कि विपक्ष को केवल एक ही चीज की लालसा है और वह है ” सत्ता ” । लेकिन विपक्ष को यह समझना चाहिए कि सत्ता जनता की मेहरबानी पर मिलती है। जनता आपके काम को देखने के बाद ही आपको सत्ता की चाबी सौंपती है और ऐसा ही साल 2014 में हुआ जब देश की जनता ने बीजेपी को चुना। लेकिन अब क्योंकि 10 साल से केंद्र में बीजेपी और एनडीए की सरकार है तो विपक्ष में बैठी कांग्रेस और कई परिवारवादी पार्टियां इस बात को हजम नहीं कर पा रहे हैं कि आखिर वें इतने सालों से सत्ता से बाहर कैसे हैं ? इसीलिए सरकार के हर फैसले पर सवाल करना विपक्ष की आदत बन गई है।