RSS:गृह मंत्रालय ने एक आदेश जारी करते हुए सरकारी कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रमों में शामिल होने पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया है। आरएसएस ने मोदी सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है। दरअसल, कार्मिक लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय ने आदेश जारी किया है.
सरकार द्वारा जारी इस आदेश में बताया गया है निर्देशों की समीक्षा के बाद ये फैसला लिया गया है कि 30 नवंबर 1966 और 26 जुलाई 1970, 28 अक्टूबर 1980 के संबंधित कार्यालय ज्ञापनों से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का जिक्र हटा दिया जाए.
सरकार के फैसले पर संघ ने जताई खुशी
इसका मतलब है कि सरकारी कर्मचारी अब संघ की गतिविधियों में हिस्सा ले सकते है. आपको बता दे कि केंद्र सरकार ने 1966, 1970 और 1980 में तत्कालीन सरकारों द्वारा जारी उन आदेशों में संशोधन किया है जिनमें सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस की शाखाओं और उसकी अन्य गतिविधियों में शामिल होने पर रोक लगाई गई थी। सरकार के इस फैसल पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा कि, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गत 99 वर्षों से सतत राष्ट्र के पुनर्निर्माण एवं समाज की सेवा में संलग्न है।
राष्ट्रीय सुरक्षा, एकता-अखंडता एवं प्राकृतिक आपदा के समय में समाज को साथ लेकर संघ के योगदान के चलते समय-समय पर देश के विभिन्न प्रकार के नेतृत्व ने संघ की भूमिका की प्रशंसा भी की है। पीएम मोदी के शासन का वर्तमान निर्णय समुचित है और भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था को पुष्ट करने वाला है।
सुनील आंबेकर ने कहा कुछ ऐसा |RSS
साथ ही उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा, एकता – अखंडता और प्राकृतिक आपदा के समय में समाज को साथ लेकर चलने के संघ के योगदान के कारण देश के विभिन्न स्तर के नेतृत्व ने समय समय पर संघ की भूमिका को सराहा है. इसके साथ ही आंबेडकर ने आरोप लगाया कि राजनीतिक हितों के कारण तत्कालीन सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के संघ जैसे रचनात्मक संगठन की गतिविधियों में हिस्सा लेने पर बेबुनियाद प्रतिबंध लगा दिथा था.
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सरकार के इस फैसले का केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने भी स्वागत किया और कहा कि जो फैसला कांग्रेस सरकार ने लिया था उसका हटना स्वागत योग्य है. गोयल ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि इस प्रकार के देश भक्त और सामाजिक संस्थाओं को लेकर कांगेस की सोच नकारात्मक रही है.
विपक्ष ने सरकार के इस फैसले पर दी प्रतिक्रिया |RSS
वहीं सरकार के इस फैसले को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे समेत अन्य विपक्षी नेताओं ने प्रतिक्रिया दी है. कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने एक्स पर लिखा कि पीएम मोदी जी ने 58 साल बाद, सरकारी कर्मचारियों पर RSS की गतिविधियों में शामिल होने पर 1966 में लगा प्रतिबंध हटा दिया है। मोदी जी इस प्रतिबंध को हटा कर सरकारी दफ़्तरों के कर्मचारियों को विचारधारा के आधार पर विभाजित करना चाहते हैं।
इस फैसले पर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह भारतीय संविधान के तो खिलाफ है। मेरा मानना है कि ऐसे सांस्कृतिक संगठन को परमिट नहीं करना चाहिए। कई सांस्कृतिक संगठन है जो कम्युनिस्ट विचारधारा को मानते हैं, क्या उनको भी परमिशन कर देंगे।