दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा का एक आदेश इन दिनों चर्चा में है। संजय अरोड़ा ने आदेश पारित करते हुए कहा है कि अगर दिल्ली में कोई व्यक्ति अपना मकान, दुकान या ऑफिस निर्माण करवा रहा है तो उसे अब दिल्ली पुलिस सीधे रोकने के लिए नहीं जा सकती।
वहीं, इस मामले पर दिल्ली के लोगों की अपनी-अपनी अलग राय है। राणा परमजीत सिंह (Ex-Chairman law & general purposes committee. NDMC) का कहना है कि दिल्ली में अवैध निर्माण एक गंभीर समस्या है। यहां अवैध निर्माण ही नहीं होते बल्कि अवैध कब्जे भी बहुत होते हैं। ऐसे में दिल्ली पुलिस आदेश में अपने ड्यूटी और कर्तव्यों की पूरी व्यख्या अवश्य ही करनी होगी नहीं तो दिल्ली में अवैध निर्माण को बढ़ावा मिलेगा। राणा परमजीत सिंह ने मामले पर आगे भी जानकारी दी है, लेकिन सबसे पहले दिल्ली पुलिस के द्वारा पारित आदेश को पहले पढ़ और समझ लेते हैं।
संजय अरोड़ा ने इस आदेश में लिखा है कि, दिल्ली महानगर में सुशासन की अनेकों चुनौतियों में से एक अवैध निर्माण की है। हालांकि ये विषय वस्तु प्राथमिक रूप से नगर निगम और भूमि नियोजक संस्थाओं के अधिकार क्षेत्र का है, राज्य की विधि प्रवर्तन शाखा होने के नाते दिल्ली पुलिस की भी इस ओर नियत जिम्मेदारियां संबंधित अधिनियमों और विभागीय स्थाई आदेशों में संहिताबद्ध हैं।
सबकी सुगम जानकारी के लिए निम्न बिंदुओं को दोहराया जाता है।
- दिल्ली म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन अधिनियम 1957 की धारा 475 के अनुसार प्राइवेट/निजी अवैध निर्माण के संदर्भ में पुलिस की भूमिका मात्र दिल्ली पुलिस स्थाई आदेश संख्या L&O/81/2022 की धारा ।।.(B) द्वारा स्थापित तरीके से, संबंधित म्युनिसिपल अधिकारी को सूचना देने की है।
- यह सूचना देने के पश्चात दिल्ली पुलिस को आगे किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप करने का अधिकार मात्र तभी उत्पन्न होता है जब दिल्ली म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन अधिनियम 1957, की धारा 344(2) के तहत म्युनिसिपल अधिकारी की ओर से हो रहे अवैध निर्माण को रोकने, कामगारों को हटाने और निर्माण सामग्री को जब्त करने हेतु निर्देश प्राप्त हो। ऐसे किसी निर्देश के पालन को किस विधि से किया जाना है, यह दिल्ली पुलिस स्थाई आदेश संख्या L&O/81/2022 की धारा।।.(A) में वर्णित है।
- उपरोक्त 1 और 2 के अलावा दिल्ली पुलिस को स्वंयभु सिर्फ उस सूरत में हस्तक्षेप करने का अधिकार है जहां सरकारी भूमि पर अतिक्रमण की सूचना मिले या ऐसा अतिक्रमण उनके सामने हो रहा हो।
समय समय पर, दिल्ली के हर क्षेत्र, प्रक्षेत्र से, इस बाबत दिल्ली पुलिसकर्मियों के अनाचरण की शिकायतें मिलती रहती हैं। इनसे एक पेशेवर पुलिस बल की छवि धूमिल होती है।
जनता का कानून और उसके प्रवर्तकों पर विश्वास ही हमारी सफलता की सर्वोत्तम कुंजी है। इस विश्वास के साथ किसी तरह का समझौता, किसी भी सूरत में, बिल्कुल अक्षम्य है। बीट में, बाजार में, आवासीय या अनधिकृत कॉलोनियों में, सदैव चौकसी रखने वाले पुलिसकर्मियों को अपनी जिम्मेदारी साफ पता होनी चाहिए। इसमें किसी अपवाद की, किसी कोताही की, कोई गुंजाइश नहीं है।
ये परिपत्र समस्त सम्बंधित पुलिस कर्मियों तक पहुंचे, उनके आचरण में शामिल हो और इसका निरंतर पालन हो, ये सभी अधीक्षण अधिकारियों की व्यक्तिगत जिम्मेदारी है। किसी भी चूक लिए वे स्वयं उत्तरदायी होंगे। आयुक्त पुलिस – दिल्ली
अवैध निर्माण को मिलेगा बढ़ावा – राणा परमजीत सिंह
जी हां, इस पूरे आदेश में संजय अरोड़ा ने इस बात की साफ तौर पर तस्दीक की है कि अब दिल्ली पुलिस उसी सूरत में निर्माण रूकवा सकती है जब उसे कंसर्न डिपार्टमेंट से शिकायत प्राप्त हो। वहीं, राणा परमजीत सिंह का मामले पर आगे कहना है कि अवैध निर्माण से दिल्ली पहले ही परेशान है। अब अगर दिल्ली पुलिस सीधे अवैध निर्माण पर एक्शन नहीं लेगी तो अवैध निर्माण बढ़ेगा। राणा परमजीत ये भी कहते हैं कि अगर नक्शा पास है, अवैध निर्माण नहीं हो रहा है तो बिल्डिंग निर्माण करने वाला या मकान, दुकान बनाने वाला अपने निर्माण स्थल पर एमसीडी से पास नक्शा लगाने की व्यवस्था कर दें, लेकिन अवैध निर्माण में ऐसा नहीं होता है। अब जब दिल्ली पुलिस सीधा हस्तक्षेप ही नहीं करेगी तो अवैध निर्माण को बढ़ावा मिलेगा। वहीं, राणा परमजीत सिंह का यह भी कहना है कि दिल्ली पुलिस अगर सीधे तौर पर अवैध निर्माण को नहीं रोकेगी तो दिल्ली में अवैध निर्माण करने वाले माफिया के हाथ मजबूत होंगे औऱ वो एमसीडी के लोगों के साथ मिलीभगत कर सकते हैं। वहीं, एमसीडी के पास जब यह सीधे अधिकार चला जाएगा तब एमसीडी के कुछ भ्रष्ट लोग अपनी मनमर्जी भी कर सकते हैं। ऐसे में दिल्ली के लोगों को और ज्यादा परेशानी हो सकती है।
हल बताते हुए राणा परमजीत सिंह कहते हैं कि, अवैध निर्माण का पहला हल तो यही है कि ज्यादा से ज्यादा सख्ती हो, दिल्ली पुलिस का सीधा हस्तक्षेप अवैध निर्माण पर हो इसके अलावा दिल्ली एमसीडी को भी अवैध निर्माण पर निगरानी रखने के लिए तैयारी करनी चाहिए। अब क्योंकि दिल्ली एमसीडी चुनाव भी होने हैं, इससे पहले दिल्ली के पूर्व पार्षदों और विधायकों को इस मामले पर गहन चर्चा भी जरूर करनी चाहिए।
बहरहाल, दिल्ली पुलिस के इस आदेश के बाद दिल्ली के उन लोगों में काफी प्रसन्नता है जो ईमानदारी से अपने घरों का निर्माण करवाने में जुटे हैं।