Tata Group: नोएल टाटा को टाटा ट्रस्ट्स का नया चेयरमैन नियुक्त किया गया है। यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी उन्हें उनके भाई रतन टाटा के निधन के बाद मिली है। रतन टाटा ने 1991 में टाटा समूह की बागडोर संभालने के बाद से ही टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन पद को संभाला था, लेकिन अब यह पद सर्वसम्मति से नोएल टाटा को सौंपा गया है। नोएल टाटा, रतन टाटा के सौतेले भाई हैं और पिछले चार दशकों से टाटा समूह के विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय भूमिका निभाते आ रहे हैं।
टाटा ट्रस्ट्स के साथ पुराना नाता
नोएल टाटा का टाटा ट्रस्ट्स के कार्यों में पुराना और मजबूत संबंध रहा है। वर्तमान में वे सर रतन टाटा ट्रस्ट और सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट के ट्रस्टी हैं, जो टाटा ट्रस्ट्स के अंतर्गत आते हैं। टाटा ट्रस्ट्स, टाटा समूह की परोपकारी गतिविधियों को प्रोत्साहित करने और समाज सेवा के कार्यों में सक्रिय योगदान देता है। टाटा संस, जो टाटा समूह की मुख्य कंपनी है, उसमें टाटा ट्रस्ट्स का बहुमत (66%) हिस्सा है। नोएल टाटा का ट्रस्ट में सक्रिय भागीदारी यह सुनिश्चित करती है कि ये ट्रस्ट समाज के लिए स्थायी योगदान दें और व्यापारिक मोर्चे पर भी सफल रहें।
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लंबी छलांग के साथ टाटा कंपनियों की वृद्धि
नोएल टाटा टाटा समूह की कई कंपनियों में महत्वपूर्ण पदों पर आसीन हैं। वे टाटा समूह की रिटेल कंपनी ट्रेंट, टाटा इंटरनेशनल लिमिटेड, और टाटा इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन के चेयरमैन हैं, साथ ही टाटा स्टील और टाइटन के वाइस चेयरमैन के रूप में भी कार्यरत हैं। नोएल टाटा की रणनीतियों और व्यवसायिक दृष्टिकोण का प्रभाव ट्रेंट की सफलता में विशेष रूप से देखा गया है, जिसका बाजार पूंजीकरण अब 2.93 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच गया है। ट्रेंट के साथ उनके नेतृत्व में कंपनी ने खुदरा क्षेत्र में अपनी सशक्त पहचान बनाई और लाभकारी व्यापारिक वृद्धि दर्ज की।
टाटा इंटरनेशनल लिमिटेड में भी उनकी नेतृत्व क्षमता ने नए आयाम जोड़े। अगस्त 2010 से नवंबर 2021 तक वे इस कंपनी के प्रबंध निदेशक रहे, और उनके कार्यकाल के दौरान इसका कारोबार 500 मिलियन डॉलर से बढ़कर 3 बिलियन डॉलर तक पहुंचा। इस सफलता के पीछे उनकी नीतियों और व्यापारिक दूरदर्शिता का मुख्य योगदान रहा है।